वन्य जीव एवं जैव विविधता

चंबल में बढ़ रहा है पनचीरा का कुनबा

मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश की सीमाओं के बीच से बहती चम्बल नदी के आसपास करीब 950 किमी का है जिसमें सैकड़ों प्रजाति के पक्षी देखे जा सकते हैं

DTE Staff

सत्यप्रकाश पांडे

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) द्वारा विलुप्त प्रजाति में रखे गए स्कीमर परिवार के पक्षी इंडियन स्कीमर का सबसे बड़ा कुनबा अब भारत की चंबल नदी में है। सच कहें तो दुनिया भर में लुप्त प्राय स्थित में पहुंचें इस हिमालयी पक्षी को चंबल की खूबसूरत वादियां खूब रास आ रही है।  राजस्थान के धौलपुर और मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की सीमा के बीचोबीच बहती देश की निर्मल चम्बल नदी ना सिर्फ पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है बल्कि देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से फोटोग्राफरों के अलावा बर्ड वॉचर्स का जमावड़ा भी यहां लगता है। 

इंडियन स्कीमर को हिंदी में पनचीरा व राजस्थानी स्थानीय भाषा में पंछीडा भी कहते हैं। अपनी काली टोपी और चटक नारंगी रंग की चोंच, जिसका निचला भाग ऊपरी भाग की अपेक्षा लंबा होने के कारण इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। खूबसूरत और आकर्षक लाल चोंच के पक्षी इंडियन स्कीमर की उड़ान इन दिनों चंबल नदी में आसानी से देखी जा सकती है। चंबल के टापूओं पर इनका शोर और मछली पकडऩे के दौरान इनकी कलाबाजी वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों और बर्ड वॉचर्स को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। इस पक्षी के लिए चंबल को अब प्राकृतिक रहवास के रूप में मान लिया गया है।  

इंडियन स्कीमर अपनी कलाबाजियों से सबको आकर्षित करती है। चोंच से पानी को चीरते हुए मछली का शिकार कर ये पंछी खुद को एक अचूक और माहिर शिकारी सिद्ध करता है।  इसके पंखों का विस्तार लगभग 108 से.मी. होता है। राजस्थान का धौलपुर और मुरैना जिला इसका एक अहम पड़ाव है। यहां पर इंडियन स्कीमर का पूरा कुनबा प्रजनन के लिए हर साल ठहरता है। गुलाबी लंबी चोंच, सफेद गर्दन, गुलाबी पैर और काले रंग का धड़ इंडियन स्कीमर को अधिक आकर्षक बनाता है। मछलियों और कीट के शिकार के दौरान पंखों को अत्यंत तेजी से हिलाते हुए मुंह खोलकर नदी के पानी को चीरते हुए निकलने का दृश्य किसी रोमांच से कम नहीं होता।

एक जानकारी के मुताबिक़ दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, म्यांमार में संकटग्रस्त स्थिति में पहुंची इंडियन स्कीमर पक्षी की संख्या चंबल सेंक्चुअरी में हर साल बढ़ रही है। चंबल सेंचुरी में कार्यरत वन मंडल मुरैना के जानकार और काबिल कर्मचारी सोनू तोमर ने बताया कि इन पक्षियों का प्रजननकाल शुरू हो चुका है, मई तक अण्डों से चूजे बाहर निकल आते हैं।  एक अनुमान के मुताबिक़ इंडियन स्कीमर की दुनियाभर में आबादी करीब 3000 के आसपास ही बची है।  मुरैना वन मंडल के वन कर्मी सोनू तोमर ने बताया कि इंडियन स्कीमर अपने चूजों की रक्षा के लिए बाज से भी भिड़ जाती है। बाज इनके चूजों का शिकार करने के लिए घोंसले पर हमला करते हैं। इंडियन स्कीमर अधिकांश हमलों में बचाव करने में सफल रहती है। 

तीन राज्य, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश की सीमाओं के बीच से बहती चम्बल नदी का विस्तार करीब साढ़े नौ सौ किलोमीटर का है जिसमें सैकड़ों प्रजाति के पक्षी देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं चम्बल नदी को दुनियाभर में घड़ियालों के लिए भी जाना जाता है।  साफ-सुथरी चंबल नदी में सिर्फ लुप्तप्राय: जलीय जीवों का ठिकाना ही नहीं है बल्कि घड़ियाल, मगरमच्छ और दुर्लभ कछुओं का बड़ा संसार निवास करता है ।