रांची से आनंद दत्त
बीते एक महीने में झारखंड में कई जगहों पर पक्षियों की मौत हो रही है। खूंटी, लातेहार, पलामू, लोहरदगा सहित कई अन्य जिलों में इसका असर देखने को मिल रहा है। सबसे अधिक शिकार कौए हो रहे हैं। खूंटी में बीते सात पांच फरवरी को 50 से अधिक कौए मरे पाए गए थे। चार फरवरी को पलामू टाइगर रिजर्व में दुर्लभ प्रजाति के दो हरियाल पक्षी की मौत हो गई थी। यहीं पर इससे पहले मैना, चील, तीतर, बगुला सहित कई अन्य पक्षियों की मौत हुई थी।
पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के निदेशक यतींद्र कुमार दास ने कहा कि दो हरियाल की मौत हुई है, किन कारणों से हुई यह पता नहीं चल पाया, लेकिन इसके अलावा अन्य पक्षियों की मौत पीटीआर में तो नहीं हुई है। इसलिए किसी तरह की जांच के लिए सैंपल नहीं भेजा गया है।
इसके अलावा लोहरदगा में बड़ी संख्या में कौआ, कोयल और चमगादड़ की मौत हुई है। कुडू प्रखंड में सोमवार को पशु चिकित्सकों की एक टीम जांच के लिए पहुंची। पशुपालन अधिकारी डॉ सुशील तिग्गा ने बताया कि गांवों से मुर्गी और बत्तख फार्म से ब्लड, क्लोएका और गले के स्वाब का सैंपल लिया गया है। उसे जांच के लिए रांची के पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान भेजा गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल खाने में जहर या फिर मौसम में तेजी से बदलाव इसका कारण नजर आ रहा है। क्योंकि दिन को गर्मी और रात को बहुत अधिक ठंड होने से पक्षियां सामंजस्य नहीं बिठा पा रही हैं। वहीं इंडिया बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के झारखंड कॉर्डिनेटर सत्यप्रकाश का कहना है कि उन्हें बर्ड फ्लू की आशंका लग रही है, क्योंकि दोनों पड़ोसी राज्य ओडिशा और छत्तीसगढ़ में इसका असर फैल चुका है।
लातेहार में लोगों ने खेतों में, सड़कों पर, घरों के आगे मरे हुए कौए देखे हैं। अभी तक अधिकारियों ने बर्ड फ्लू की आशंका से इंकार किया है। लातेहार के जिला पशुपालन अधिकारी आरएस राम ने बताया कि सैंपल जमा किया गया है. लेकिन अभी तक जांच के लिए नहीं भेजा गया है। हालांकि रांची में अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी गई है।
खूंटी जिला कोर्ट परिसर में बीते 28 जनवरी को दर्जनों कौए मर गए थे. जिला पशुपालन पदाधिकारी सुमन कुमार ने बताया कि हमने जो सैंपल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हेल्थ एंड प्रोडक्शन को भेजा था, उसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है. वहां की एक टीम 17 फरवरी को खुद जांच करने आई थी और सैंपल लेकर गई है। इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ दयानंद ने कहा कि 15 दिन बाद ही रिपोर्ट आएगी।
वहीं पशुपालन विभाग के निदेशक ने ढुलमुल जवाब देते हुए कहा कि हां कुछ-कुछ जगहों पर मरने की सूचना मिली है। बड़े स्तर पर नहीं हुआ है. जांच रिपोर्ट जब आएगी, तभी कुछ कहा जा सकता है।
इससे पहले बीते साल भी बर्ड फ्लू ने यहां पक्षियों को अपने चपेट में लिया था. उस वक्त भी भोपाल स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) के लैब में सैंपल भेजा गया। जहां बर्ड फ्लू (एच5एन1) पुष्टि हुई थी। वहीं 2011 में झारखंड में भी बर्ड फ्लू ने अपना कहर बरपाया था. उस दौरान पूरे राज्य में कई जगहों पर बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हुई थी।