तेनकाना नाम कन्नड़ शब्द से आया है जिसका अर्थ है दक्षिण, जो दर्शाता है कि सभी ज्ञात प्रजातियां दक्षिण भारत और उत्तरी श्रीलंका से संबंधित हैं। साभार:जूकीज पत्रिका
वन्य जीव एवं जैव विविधता

दक्षिण भारत में कूदने वाली मकड़ियों की नई प्रजाति ‘तेनकाना’ की हुई खोज

शोधकर्ताओं की टीम ने पहली बार तेनकाना जयमंगली का भी वर्णन किया, जिसका नाम कर्नाटक में जयमंगली नदी के नाम पर रखा गया, जहां इसे पहली बार देखा गया था

Dayanidhi

शोधकर्ताओं की एक टीम ने कूदने वाली या जंपिंग स्पाइडर की एक नई प्रजाति, 'तेनकाना' की खोज की है, जो पूरे दक्षिण भारत में पाई जाती है, जिसमें पहले से ज्ञात दो प्रजातियां शामिल हैं।

हालांकि साल 1902 में पाई गई जंपिंग स्पाइडर वंश कोलोपस साइमन की वर्तमान संरचना, प्रजातियों के बीच समानता ने होने के कारण इसकी पहचान नहीं हो पाई। इस वंश में अब दो अलग-अलग समूह हैं, पहला कैंसेलटस प्रजाति, जिसमें पेड़ों पर निवास करने जंगली प्रजातियां शामिल हैं, जो ज्यादातर श्रीलंका में पाई जाती हैं, जिन्हें नर पल्प द्वारा पहचाना जा सकता है जिसमें टेगुलर लोब नहीं होता और शरीर चमकदार और लंबा होता है।

दूसरी है मनु प्रजाति समूह, जिसमें श्रीलंका और दक्षिण भारत के अपेक्षाकृत शुष्क क्षेत्रों में पाई जाने वाली जमीन पर रहने वाली प्रजातियां शामिल हैं, जो एक साफ टेगुलर लोब और अधिक सघन शरीर से पहचाने जा सकते हैं, जो न तो चमकदार होता है और न ही ज्यादा लंबा होता है।

इसकी मदद से कर्नाटक से एक नई प्रजाति, तेनकाना जयमंगली भी सामने आई। तेनकाना प्रजाति का आकार प्लेक्सीपिन्स के बीच उनकी वर्तमान स्थिति के अनुरूप है।

तेनकाना नाम कन्नड़ शब्द से आया है जिसका अर्थ है दक्षिण, जो दर्शाता है कि सभी ज्ञात प्रजातियां दक्षिण भारत और उत्तरी श्रीलंका से संबंधित हैं। यह नया समूह जंपिंग स्पाइडर की प्लेक्सिपिना उप-जनजाति से संबंधित है जो हाइलस और टेलामोनिया जैसे संबंधित समूहों से अलग है।

शोध के मुताबिक, खोज करने वालों में भारत और कनाडा के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल थे और उनके निष्कर्ष जूकीज नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं। शोधकर्ताओं ने इस शोध के लिए आनुवंशिक अध्ययन और शारीरिक परीक्षण दोनों का उपयोग किया।

जंगलों में रहने वाली संबंधित प्रजातियों के विपरीत, तेनकाना मकड़ियां शुष्क इलाकों और जमीनी आवासों में रहना पसंद करती हैं। वे तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पाई गई हैं।

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता और वेन मैडिसन तथा चेन्नई के सविता संस्थान के शोधकर्ताओं ने इस नए वंश की स्थापना की। आनुवांशिक विश्लेषण बेंगलुरु के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में किया गया।

शोध में कहा गया है कि दक्षिण भारत और श्रीलंका में पाई जाने वाली दो प्रजातियां जो पहले कोलोपसस में थीं, जो तेनकाना मनु और कर्नाटक में पाई जाने वाली तेनकाना अर्कावती है, अब इन्हें नए वंश में स्थानांतरित कर दिया गया हैं। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व का नाम 2014 में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. मनु थॉमस के नाम पर रखा गया था।

शोधकर्ताओं की टीम ने पहली बार तेनकाना जयमंगली का भी वर्णन किया, जिसका नाम कर्नाटक में जयमंगली नदी के नाम पर रखा गया, जहां इसे पहली बार देखा गया था।