पश्चिम बंगाल के सुंदरवन टाइगर रिजर्व एरिया में स्थानीय लोगों व वन विभाग के कर्मचारियों ने एक बाघ को बेहोशी की हालत में देखा और उसे होश में लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
वन कर्मचारियों ने 30 मई की सुबह बाघ को हरिखाली क्षेत्र में एक तालाब के पास पड़ा पाया। कर्मचारियों ने उसके मुंह में पानी डालकर उसे होश में लाने की कोशिश की, लेकिन बाघ के शरीर में कोई हरकत न हुई। इसके बाद वन कर्मचारी उसे इलाज के लिए नाव में लादकर सजनेखाली में वन विभाग के मेडिकल कैम्प ले जा रहे थे, लेकिन नाव में ही उसकी मौत हो गई। बाघ की उम्र 11 से 12 साल के आसपास बताई गई है। मृत्यु के कारणों की पड़ताल के लिए बाघ के शव को पोस्टमार्टम करने भेज दिया गया है।
वन कर्मचारियों ने बताया कि बाघ के शरीर पर बाहरी जख्म के कोई निशान नहीं मिले हैं, लेकिन उसके मुंह के नुकीले दांत टूटे हुए थे, जो शिकार पकड़ने में मदद करते हैं।
बंगाल के स्टेट वाइल्डहाइल बोर्ड के सदस्य और सोसाइटी फॉर हेरिटेज एंड इकोलॉजिकल रिसर्चेज (शेर) नाम के एनजीओ के महासचिव जयदीप कुंडू ने डाउन टू अर्थ को बताया, “बाघ के नुकीले दांत उसे शिकार को दबोचने में मदद करते हैं। इस बाघ के ये दांत टूटे हुए थे। संभव है कि शिकारियों के हमले में ये दांत टूटे हों या प्राकृतिक तरीके से भी ये टूट सकते हैं। लेकिन इतना साफ है कि ये दांत नहीं रहने की सूरत में बाघ के लिए शिकार करना बेहद मुश्किल होता है।”
सुंदरवन रॉयल बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है और इसे ऐतिहासिक धरोहर का दर्जा भी मिला हुआ है। लगभग 10200 वर्ग किलोमीटर में फैले सुंदरवन का 4200 वर्ग किलोमीटर हिस्सा पश्चिम बंगाल के उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले में आता है और बाकी 6 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बांग्लादेश में है। हाल के वर्षों में सुंदरवन में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है। साल 2010 में सुंदरवन में बाघों की संख्या महज 70 थी, जो साल 2014 में बढ़कर 76 और साल 2018 में 88 पर पहुंच गई थी। वहीं, साल 2019-2020 में की गई गणना के मुताबिक, सुंदरवन में बाघों की संख्या 96 है, जिनमें नर बाघों की संख्या 23 और नर बाघों की संख्या 43 बताई गई है।
इस साल 12 मार्च को लोकसभा में पूछे गये एक सवाल में बताया गया कि भारत में साल 2018 से 2020 तक 303 बाघों की मृत्यु भी हुई है, जिनमें सुंदरवन के चार बाघ शामिल हैं।
दूसरी ओर, यास चक्रवात के कारण साढ़े नौ फीट का मगरमच्छ गांव के एक निजी तालाब में पहुंच गया था, जिसे स्थानीय लोगों और दक्षिण 24 परगना फॉरेस्ट डिविजन के कर्मचारियों ने तालाब से निकाल कर सुरक्षित ठिकाने पर पर पहुंचाया। इसी तरह चक्रवात के कारण एक हिरण तेज धार में बह रही थी, जिसे वन विभाग के अधिकारियों ने बचा लिया।
नमकीन पानी गांवों में घुसने से खेती पर असर
यास चक्रवात के कारण जान-माल की बहुत क्षति नहीं हुई है, लेकिन नदियों पर बांध टूट जाने और नदी में 20 फीट तक जलस्तर बढ़ जाने से सुंदरवन के कमोबेश सभी गांवों में कई फीट समुद्र का नमकीन पानी प्रवेश कर गया है। सुंदरवन में मैनग्रो वनो को लेकर काम करने वाले एनजीओ नेचर एनवायरमेंट एंड वाइल्डलाइफ सोसाइटी की ज्वाइंट सेक्रेटरी अजंता दे ने डाउन टू अर्थ को बताया, “चक्रवात को लेकर जो पूर्वानुमान था, वो तो काफी हद तक सही निकला लेकिन जलस्तर इतना बढ़ जाएगा और गांव के गांव नमकीन पानी से भर जाएंगे, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। नमकीन पानी के कारण किसानों को बहुत नुकसान होगा।”