वन्य जीव एवं जैव विविधता

16 महीने में 17 देशों की यात्रा करने वाले मंगोलियाई कुकू पक्षी ओनन को बेहद रास आया भारत

मंगोलियाई कुकू ओनन पक्षी शायद अब जीवित नहीं है लेकिन उसने प्रवास के लिए मंगोलिया से अफ्रीका का जो रास्ता चुना वह संरक्षणकर्ताओं के लिए एक नई रणनीति तय करने वाला है।

Vivek Mishra
भारत पूरी दुनिया में प्रवासी पक्षियों का पंसीददा पर्यटन स्थल है। हालांकि कुछ वर्षों से भारत में लगातार हो रही प्रवासी पक्षियों की मौत और दुर्घटनाओं और बिगड़ती हुई नैसर्गिक प्राकृतिक अवस्थाओं ने प्रवासी पक्षियों के सरंक्षण को लेकर चिंता की लकीरें भी बढ़ाई हैं। बहरहाल भारत के लिए बेहद खुशी की बात है कि हाल ही में दुनियाभर में लोकप्रियता बटोरने वाले ओनन नाम के मंगोलियाई पक्षी कुकू को भी भारत ही सबसे ज्यादा रास आया है।
 
16 महीनों में 17 देशों की 33 सरहदों को पार करके सफलतापूर्वक करीब 40 हजार किलोमीटर की यात्रा करने वाले ओनन ने सबसे ज्यादा वक्त भारत में बिताया। वहीं, ओनन के शरीर में फिट किए गए डिवाइस ने एक अक्तूबर को आखिरी सिग्नल भेजा था। उसके बाद से 15 अक्तूबर तक कोई संदेश न मिलने पर यह माना जा रहा है कि इतनी लंबी यात्रा तय करने वाला दुनिया का वाहिद ओनन शायद अब हमारे बीच नहीं है। 
 
मंगोलियन कुकू प्रोजेक्ट के तहत 8 जून, 2019 को टीम कुकू तैयार हुई थी। प्रवास करने वाली इस पक्षियों की टीम में ओनन भी शामिल था। ओनन एक स्थानीय नदी का नाम है। टीम कुकू में एक पक्षी को भी यह नाम दिया गया था जो अब सदा के लिए जेहन में रहेगा। प्रवासी पक्षियों की टीम के सभी सदस्यों की पीठ पर एक डिवाइस टैग लगया गया था। यह टाइगर सेंसस के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कॉलर टैग की तरह था जो प्रवासी पक्षियों की गतिविधियों और उनकी हलचल का लगातार सिग्नल भेजता रहा। इन संकेतों से ही हमें पता चला कि ओनन ने बिना रुके-बिना थके 64 घंटों में 3500 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा तय की। कुकू ओनन को याद करते हुए इंटरनेट पर लोगों ने उसे याद भी किया। 
 
ओनन का पीछा होता रहा। भारत में मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के पास भी कुछ लोग ओनन का पीछा करते हुए पहुंचे। वहीं, इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईसीयूएन) के सदस्य और आईएफएस प्रवीण कासवान ने ओनन पक्षी की प्रवास यात्रा को लगातार ट्रैक किया। भारत में उसे इंटरनेट पर लोकप्रिय भी बनाया। उन्होंने डाउन टू अर्थ को बताया कि "यह अध्ययन बताता है कि कितने आश्चर्यजनक तरीके से पक्षियों की यह प्रवास यात्रा पूरी होती है और यह पक्षी ही हैं जो दुनिया को कैसे एक दूसरे से जोड़ते हैं। संरक्षण हमेशा सीमाओं को पार होकर करने वाली चीज है। ओनन ने हमे बहुत सिखाया है और वह हमेशा जीवित रहेगा।" 
 
मंगोलियाई कुकू की प्रवास यात्रा से जुड़ी इस परियोजना की शुरुआत करने वाले बर्ड बीजिंग के संस्थापक टेरी टाउनशेंड ने डाउन टू अर्थ को ओनन के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उनकी इस परियोजना में ब्रिटिश ट्रस्ट ऑफ ओनिथोलॉजी और वाइल्डलाइफ साइंस एंड कंजर्वेशन सेंटर ऑफ मंगोलिया सहयोगी हैं। वहीं ओरिएंटल बर्ड क्लब भी उन्हें सहयोग दे रहा है। बर्ड बीजिंग संस्थापक टेरी टाउनशेंड से डाउन टू अर्थ के विवेक मिश्रा की बातचीत :  
 
क्या हजारों मील का सफलता पूर्वक सफर तय करने वाले कुकू पक्षी ओनन के मृत्यु की खबर सत्य है ? 
 
हम कभी 100 फीसदी यह नहीं जान पाएंगे  कि ओनन मर चुका है। लेकिन हम सबसे ज्यादा यकीन करने वाली संभावित बात कह सकते हैं। यह संभव है कि ओनन पर लगाया गया टैग उसके बदन से हट गया हो। लेकिन ऐसा होने की संभावनना बेहद कम है। टैग से मिलने वाले तापमान के आंकड़े यह बताते हैं कि या तो टैग बंद हो गया है या फिर पक्षी मर चुका है। और हम ऐसा सोचते हैं कि बाद में कही गई बात की संभावना ज्यादा है।    
 
 
मंगोलियाई कुकू प्रोजेक्ट का मुख्य मकसद क्या पता लगाना था?
 
इस परियोजना के दो मकसद हैं। पहला तो यह कि पूर्वी एशिया में कुकू कहां पर ठंड में अपना प्रवास करते हैं और कौन सा रास्ता वे वहां पहुंचने के लिए चुनते हैं। इसके अलावा दूसरा मकसद  है ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रवासी पक्षियों के आश्चर्य से जोड़ना है। उनमें यह जागरुकता पैदा करनी है कि आखिर उन्हें इन पक्षियों के डेरों को क्यों संरक्षित करें।
 
इस परियोजना से हासिल होने वाले परिणाम क्या मदद पहुंचाएंगे ? 
 
प्रवासी पक्षियों की इस सुदूर और अविराम यात्रा के परिणाम एक बेहतर समझ बनाने में मदद करेंगे कि आखिर कुकू और अन्य प्रवासी पक्षियों की जरूरत क्या है। इससे उनके संरक्षण में हमें ज्यादा मदद मिल पाएगी। 
 
40 हजार किलोमीटर यात्रा करने वाले ओनन पक्षी की उम्र क्या थी? 
 
हम कुकू की औसत उम्र के बारे में नहीं जानते हैं लेकिन हम यकीन करते हैं कि कुकू की उम्र 4 से 6 बरस होती है। ओनन को जब टैग लगाकर टीम का हिस्सा बनाया गया था तब वह करीब एक बरस का था। और जब वह 17 देशों की यात्रा करके वापस आया तो वह तकरीबन 2.5 बरस का था। 
 
इस परियोजना के तहत टीम में शामिल किए गए अन्य कुकू पक्षियों का क्या हुआ ? 
 
इस परियोजना में कुल पांच पक्षी शामिल थे। इन पांचों में ओनन आखिरी था जिसका हम आखिरी वक्त तक पीछा कर पाए। हमें लगता है कि टैग भी फेल हुए और अन्य कुछ पक्षी शायद मर भी गए।
 
क्या किसी और प्रजाति के पक्षी ने कभी इतनी लंबी यात्रा का रिकॉर्ड बनाया है? 
 
यह प्रवास पर जाने वाले पक्षियों की सूची में रिकॉर्ड है। इतनी लंबी यात्रा किसी ने नहीं तय की। हां कुछ समुद्री पक्षी हैं, मिसाल के तौर पर आर्कटिक टर्न और पानी वाले पक्षी जैसे बार टेल्ड गोडविट प्रवास के लिए लंबी दूरी तय करती हैं। हालांकि यह पक्षी महासागरों में ही रुक जाते हैं यदि जरूरत पड़ती है, जैसे कि कुकूज। 
 
ओनन कुकू को प्रवास में कौन सी जगह सबसे ज्यादा पसंद आई और वहां कितना लंबा प्रवास रहा ? 
 
कुकूज ने अपने प्रवास के लिए भारत में लंबा समय बिताया। अरब सागर को पार करने से पहले बाद में कुकू यहां रहे। भारत में भी वे स्थान बदलते रहे। उन्होंने मानसूनी हवाओं के बदलने का शरद ऋतु में इंतजार किया और वसंत ऋतु में अफ्रीका पार करके आराम किया। इस दौरान वे 3 से 4 सप्ताह शरद ऋतु में रुके और एक से दो सप्ताह वसंत ऋतु में रुके।  
 
ओनन का मंगोलिया से अफ्रीका और अफ्रीका से मंगोलिया वापसी का रास्ता मानचित्र में देखिए