वन्य जीव एवं जैव विविधता

खतरे में हैं 6,400 किमी का सफर करने वाली मोनार्क तितलियों का अस्तित्व, रेड लिस्ट में शामिल

Lalit Maurya

प्रवास के लिए 6,400 किलोमीटर की यात्रा करने वाली मोनार्क तितलियों को पहली बार आईसीयूएन द्वारा जारी रेड लिस्ट में संकटग्रस्त प्रजातियों को सूची में शामिल किया गया है। इस बारे में जो आधिकारिक जानकारी सामने आई है उसके अनुसार यदि इन तितलियों के विषय में अभी कुछ न किया गया तो भविष्य में यह तितलियां विलुप्त हो जाएंगी। ऐसे में इस पूरी प्रजाति का अस्तित्व ही खतरे में है।

गौरतलब है कि आईसीयूएन द्वारा जारी रेड लिस्ट में अब तक कुल 147,517 प्रजातियों को शामिल किया गया है , जिनमें से 41,459 विलुप्त होने के कगार पर हैं। इस बार के अपडेट में आईयूसीएन ने संकट ग्रस्त प्रजातियों की सूची में 5,042 प्रजातियों को और जोड़ा है, जिनमें मोनार्क बटरफ्लाई भी एक है। 

तितलियों की यह प्रजाति दुनिया भर में अपने लम्बे प्रवास के लिए जानी जाती हैं जो अमेरिकी महाद्वीप में अपने प्रवास के दौरान करीब 6,400 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस यात्रा में उनकी कई पीढ़ियां गुजर जाती हैं।

ऐसा नहीं है कि इस लिस्ट के अनुसार केवल मोनार्क तितलियां ही संकट में है, उनके अलावा लम्बी पूंछ वाले मकाक बंदर के साथ-साथ स्टर्जन तक इस लिस्ट में शामिल हैं। गौरतलब है कि दुनिया में बाकी बची स्टर्जन की 26 प्रजातियां अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिनपर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। वहीं  2019 में यह आंकड़ा 85 फीसदी था।

क्यों घट रही है इन खूबसूरत तितलियों की आबादी

यदि इन खूबसूरत तितलियों की घटती आबादी के पीछे की वजह की बात करें तो इसके लिए इनके आवास को होता नुकसान, वन विनाश,  कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग, शहरी विस्तार, सूखा, जलवायु परिवर्तन जैसे कारक मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं।   

आईसीयूएन के अनुसार यह संकटग्रस्त प्रवासी मोनार्क तितली, मोनार्क तितली (डैनौस प्लेक्सिपस) की ही एक उप-प्रजाति है। जो सर्दियों में मैक्सिको और कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा की ओर गर्मियों के प्रजनन के लिए मैदानों में प्रवास के लिए जानी जाती है। अनुमान है कि पिछले एक दशक में इन आबादी में 72 फीसदी की गिरावट आई है। कृषि और शहरी विकास के लिए वैध और अवैध रूप से साफ किए जा रहे जंगलों ने मेक्सिको और कैलिफ़ोर्निया में तितलियों के शीतकालीन आश्रय को पहले ही काफी हद तक नष्ट कर दिया है।

वहीं गहन कृषि के लिए कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग इन तितलियों और मिल्कवीड को नुकसान पहुंचा रहा है। गौरतलब है कि मिल्कवीड वो मेजबान पौधा है जिसे मोनार्क तितली के लार्वा द्वारा खाया जाता है।

इसके साथ-साथ जलवायु में आते बदलावों ने भी प्रवासी मोनार्क तितली को काफी हद तक प्रभावित किया है। जो एक तेजी से बढ़ता हुआ खतरा है। इसके कारण पड़ने वाला सूखा जहां एक तरफ मिल्कवीड के विकास को प्रभावित कर रहा है वहीं साथ ही इसकी वजह से जंगल में आग लगने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। बढ़ता तापमान इन तितलियों को मिल्कवीड के उपलब्ध होने से पहले ही प्रवास करने को मजबूर कर रहा है। वहीं मौसम की मार के चलते इस प्रजाति की लाखों तितलियों को असमय जान देनी पड़ी है।

99.9 फीसदी घट गई है पश्चिमी मोनार्क की आबादी

पता चला है कि उत्तरी अमेरिका में प्रवासी मोनार्क तितलियों की दो आबादी रहती हैं, जो दोनों ही खतरे में हैं। इन तितलियों की करीब 90 फीसदी आबादी पूर्वी प्रवासी मोनार्क तितलियों की है, जो दशकों से घट रही है। पता चला है कि जहां 1996 में इन तितलियों की आबादी 38.4 करोड़ थी वो 2019 में घटकर 6 करोड़ रह गई है।

वहीं दूसरी तरफ इन तितलियों की पश्चिमी आबादी के विलुप्त होने का जोखिम कहीं ज्यादा है। अनुमान है पिछले कुछ दशकों में इनकी आबादी में 99.9 फीसदी की गिरावट आई है। जहां 1980 में इनकी आबादी एक करोड़ से ज्यादा थी वो 2021 में घटकर 1,914 रह गई हैं। ऐसे में इस बात को लेकर सबसे बड़ी चिंता यह है कि क्या इनकी आबादी को बनाए रखें और विलुप्त होने से रोकने के लिए इस प्रजति की पर्याप्त तितलियां जीवित हैं।

इस बारे में आईयूसीएन के महानिदेशक डॉ ब्रूनो ओबेरले का कहना है कि रेड लिस्ट में किया गया अपडेट प्रकृति के इन आश्चर्यों की नाजुकता को उजागर करता है। जैसा की हजारों किलोमीटर का प्रवास करने वाली अनोखी मोनार्क तितलियों के मामले में हो रहा है।

उनके अनुसार प्रकृति की इस समृद्ध विविधता को संरक्षित करने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने के लिए निर्णायक कार्रवाई करने की जरुरत है। साथ ही इसके लिए प्रभावी, बेहतर तरीके से संरक्षित क्षेत्रों की आवश्यकता है। जैव विविधता का यह संरक्षण बदले में समाज को भोजन, पानी, स्थायी रोजगार जैसी जरुरी सेवाएं देने में मददगार होता है।