वन्य जीव एवं जैव विविधता

बांस को चट करने वाले ये कीट बनें दुनिया के लिए चुनौती

लॉन्गहॉर्न बीटल को घरों में उपद्रव मचाने वाला कीट माना जाता है, यह बांस खाने के लिए जाना जाता है, इस तरह यह बांस से संबंधित उद्योग के लिए आर्थिक रूप से खतरा भी पैदा कर सकता है।

Dayanidhi

एशियाई बांस को खाने वाले लंबे सींग वाला गुबरैला को लॉन्गहॉर्न बीटल (क्लोरोफोरस एनुलैरिस) भी कहा जाता है। यह अब अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है, जो कि एक चिंता का विषय है।

इसका पता एक अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने लगाया है, इसका नेतृत्व जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के प्राकृतिक इतिहास केंद्र के शोधकर्ता ने किया है।

लंबे सींग वाले गुबरैला के पूरे जीवन चक्र को पूरा होने में 2-3 साल लग सकते हैं। यह लकड़ियों को, खासकर बांस से बनी वस्तुओं को नष्ट करने के लिए जाना जाता है, इन्हें घरों में उपद्रव मचाने वाला कीट भी माना जाता है।

वर्तमान में एशियाई लॉन्गहॉर्न गुबरैला से छुटकारा पाने का एकमात्र तरीका संक्रमित पेड़ों को नष्ट करना है। इस तरह यह बांस से संबंधित उद्योगों के लिए आर्थिक रूप से खतरा भी पैदा कर सकता है।

हमारी दुनिया पहले से ही जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का नुकसान झेल रही है। लेकिन अब अब विदेशी प्रजातियां नहीं हैं, वे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक और खतरा बनकर उभर रही हैं।

इस प्रकार, नए रिकॉर्ड किए गए विदेशी प्रजातियों के बढ़ती संख्या वैज्ञानिकों और राष्ट्रीय संस्थानों दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। हालांकि विदेशी प्रजातियों का सर्वेक्षण करना प्रजातियों के एक छोटे से हिस्से तक सीमित रहता है, जिन्हें विशेष रूप से आक्रामक और हानिकारक माना जाता है।

विदेशी प्रजातियों की भीड़ बढ़ना इस बात की ओर इशारा करता है कि वर्तमान में सही तरीके से और एक साथ सर्वेक्षण के प्रयासों में कमी आई है। जिसकी वजह से एशियाई बांस वाले लॉन्गहॉर्न बीटल (क्लोरोफ़ोरस एनुलैरिस) में बढ़ोतरी हुई है।

प्राकृतिक रूप से समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय दक्षिण पूर्व एशिया में कीट विभिन्न प्रकार के पौधों को खाते हैं लेकिन ये बांस को अधिक पसंद करते हैं। इस प्रकार, बांस के अंतरराष्ट्रीय व्यापार और लकड़ी के साथ कीड़े भी दूसरे देशों में पहुंच जाते हैं, जिसकी वजह से प्रजातियां दुनिया भर में लगातार अपने आप को बढ़ा रही हैं।

यूरोप में इसकी पहली उपस्थिति 1924 में दर्ज की गई थी, जब इंग्लैंड में इसकी पहचान हुई थी। यह अध्ययन बायोरिस्क नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक फील्डवर्क अभ्यास के दौरान टीम ने लंबे समय तक लॉन्गहॉर्न बीटल का अध्ययन किया, जिसे बाद में वैज्ञानिकों ने एशियाई बांस के कीड़े (बोरर) के रूप में पहचाना।

शोधकर्ताओं ने इन प्लेटफार्मों से अतिरिक्त संग्रह और चित्र मांगने के लिए संपर्क किया, जो आसानी से उपलब्ध कराए गए थे। परिणामस्वरूप, शोधकर्ताओं ने औपचारिक रूप से बेल्जियम और नीदरलैंड में एशियाई बांस का कीड़ा (बोरर) की उपस्थिति की पुष्टि की। उन्होंने यूरोप में प्रजातियों के 13 नए रूपों की जानकारी दी, जिससे महाद्वीप में प्रजातियों के रिकॉर्ड में 42 फीसदी की वृद्धि होने के बारे में पता चलता है।

अध्ययनकर्ता डॉ. मैथियस सीडेल ने कहा यूरोप में बढ़ते तापमान और सजावटी बांस के पौधों की बढ़ती मांग में, गुबरैला (बीटल) स्थायी रूप से स्थापित हो सकता है। यह न केवल एक उद्यान कीट बन सकता है, बल्कि यह बांस-प्रसंस्करण उद्योग के लिए आर्थिक रूप से खतरा भी पैदा कर सकता है।

नागरिक विज्ञान की क्षमता का एहसास होने के बाद, आक्रामक प्रजातियों की निगरानी में अंतर को कम करने के लिए, शोधकर्ता अब गैर-पेशेवर वैज्ञानिकों को विदेशी प्रजातियों को पहचानने और उनके बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से विशेष प्लेटफार्मों की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य विशिष्ट प्रजातियों के रिकॉर्ड से विदेशी प्रजातियों की पहचान में तेजी लाना है।