वन्य जीव एवं जैव विविधता

सेवानिवृत हुए कूनो राष्ट्रीय उद्यान के शिल्पकार जसवीर सिंह चौहान

जसवीर सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में मध्य प्रदेश वन्य जीव रणनीति एवं कार्य योजना 2023- 2043 के रूप में 20 वर्षों का एक विजन डाक्यूमेंट तैयार किया

Faiyaz A Khudsar

जसवीर सिंह चौहान एक ऐसा नाम जिसे देश भर के वन्य जीव जगत में किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। मैं व्यक्तिगत रूप से एक शोधकर्ता से वैज्ञानिक के रूप में स्थापित हुआ, जिसमें उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है और मुझे कुछ अन्य शिक्षाविदों और वन अधिकारियों का भी भरपूर समर्थन मिला।

जसवीर सिंह चौहान मध्य प्रदेश कैडर के 1987 बैच के वन अधिकारी हैं और उन्हें कूनो राष्ट्रीय उद्यान के शिल्पकार के रूप में भी जाना जाता है जहां उन्होंने डीएफओ एवं वन संरक्षक के रूप में 6 साल से अधिक का समय बिताया।

वन्यजीवों के प्रबंधन और स्थानीय समुदायों के साथ परस्पर निकटता बनाए रखने में उनकी दक्षता और ग्रामीणों से संबंधित मुद्दों की उनकी समझ, उन्हें गांव के सफल पुनर्वास का चैंपियन बना दिया। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के फैन अभ्यारण से स्थाई मवेशी कैंपों को हटाना और अंततः कूनो राष्ट्रीय उद्यान से सहरिया प्रभुत्व वाले 24 गांव का सफल पुनर्वास उनका प्रमुख योगदान रहा है।

गांव के प्रत्येक सदस्यों का नाम में पिता के याद रखने की चौहान साहब की सलाहियत ने कूनो परियोजना के सफल कार्यान्वन को और अधिक आसान बना दिया। वह हमेशा सोच समझकर निर्णय लेने वाले अधिकारी रहे हैं।

दबाव में नहीं झुकनेवाले अधिकारी रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि वह उच्च सत्य निष्ठा और अनुसंधान के प्रति मित्रवत व्यक्ति रहे हैं जो पद और उम्र की परवाह किए बिना सभी पक्षों के विचारों और सुझावों को शामिल करने की प्रवृत्ति रखते हैं।

वह सहभागी वन्य जीव प्रबंधन का एक आदर्श उदाहरण रहे हैं। एक दयालु व्यक्ति जिसने सभी कर्मचारियों को बोलने और बात करने की सहजता प्रदान की। कूनो में मेरा स्वयं अनुभव रहा है की क्षेत्र में लगातार बैठकर की, विशेष रूप से कर्मचारियों के मुद्दों, समस्याओं, बच्चों की शिक्षा आदि के बारे में पूछताछ करना और अपने स्तर पर कई मुद्दों को हल करने का प्रयास करना उनकी फितरत थी।

जमीनी हकीकत को देखने के लिए जंगल में पैदल चलने के उनकी आदत ने कूनो में पर्यावास प्रबंधन, वाटर होल का विकास, वेटलैंड की बहाली और गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम से पाइपलाइन द्वारा कूनो राष्ट्रीय उद्यान के विभिन्न स्थलों में वन्य जीवों के लिए पानी उपलब्ध कराने में मदद मिली।

पहले चरण में कूनो के खैर खो से केम तलैया और फिर अन्य स्थानों पर पानी लाया गया। उनकी प्रभावी रन नीतियों ने कूनो को प्रस्तावित एशियाई शेर के पुनर्स्थापना के लिए उत्तम क्षेत्र बनाने में मदद की।

उन्हें सक्रिय वन्य जीव प्रबंधन पर विशेष रुचि थी और इस प्रतिबद्धता के कारण कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में कृष्ण मृग को पुनर्स्थापित किया जा सका जहां उन्होंने कई वर्ष पूर्व उपनिदेशक के रूप में और फिर निदेशक के रूप में वन्य जीव प्रबंधन का कार्य किया।

उन्होंने सतपुड़ा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हार्ड ग्राउंड बारासिंघा के पुनर्स्थापना के साथ-साथ बांधवगढ़ और संजय टाइगर रिजर्व में गौर की आबादी की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सहजता से संपर्क एवं उनकी उपलब्धता ने उन्हें सभी स्तर के कर्मचारी, शोधकर्ताओं, यहां तक की ग्रामीण के भी बहुत करीब बना दिया। उनके उत्कृष्ट संपर्क करने के कौशल ने उन्हें वन्य जीव संरक्षण, पर्यावास बहाली, वन्य जीव संरक्षण में वैज्ञानिक तकनीकी का उपयोग करने का राजदूत बना दिया।

कई अवसरों पर मैंने उन्हें न केवल एक लीडर, टीम के सदस्य और पर्यवेक्षक के रूप में अथक परिश्रम करते हुए देखा बल्कि एक शिक्षक के रूप में भी देखा, एक बार बोमा के माध्यम से कान्हा में चीतल पकड़ने के दौरान मैंने देखा कि जानवरों के सफलतापूर्वक पकड़े जाने के बाद वह सभी कर्मचारी के साथ खड़े हुए और उनके कार्य की सराहना की लेकिन साथ ही साथ उनके अगली बार ना दोहराए जाने वाली गलतियों की सूची बनाने का भी आग्रह किया।

कर्मचारियों पर भरोसा करने की उनकी आदत ने वास्तव में उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया। वह मध्य प्रदेश सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। मोटे तौर पर वह वन्य जीव में अधिक पदस्थ रहे बल्कि वन्य जीव में उनकी गहरी रुचि ने उन्हें अपने समय के सबसे कुशल अधिकारी बनने में मदद की।

राज्य के संपूर्ण वन जीवन की देखभाल के लिए मध्य प्रदेश शासन ने उन्हें प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव संरक्षण के रूप में पदस्थापित किया। उन्होंने अपने कार्यकाल में मध्य प्रदेश वन्य जीव रणनीति एवं कार्य योजना 2023- 2043 के रूप में 20 वर्षों का एक विजन डाक्यूमेंट तैयार किया है। जो कि मध्य प्रदेश में वन्य जीव के कुशल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगा।

हाल में ही भारतवर्ष में अफ्रीकी चीतो को कूनो में स्थापित करने का श्रेय भी उनके नेतृत्व के नाम दर्ज है।

अपने लगभग 35 वर्षों के सफल कार्यकाल के उपरांत 30 सितंबर 2023 को जसवीर सिंह चौहान सेवानिवृत हो रहे हैं।

एक सरल स्वभाव के व्यक्ति, वैज्ञानिक तकनीकी से लैस, वर्तमान समय में घटते सिमटते वन क्षेत्र, विकास के भेंट चढ़ती महत्वपूर्ण वन्य जीव कॉरिडोर, बढ़ती आबादी का दबाव आदि के परिवेश में जसवीर सिंह चौहान जैसे वन अधिकारी का अनुभव अपने देश के वन्य जीव प्रबंधन में अति उपयोगी साबित होगा।

(ये लेखक के निजी विचार हैं)