पंचायत अध्यक्ष के. सुनील (इनसेट) ने कहा है कि वे शिकार की तलाश में आए वन्यजीवों को मारने के लिए शूटरों के इस्तेमाल के परिणाम भुगतने के लिए तैयार हैं।iStock, lsgkerala.gov.in 
वन्य जीव एवं जैव विविधता

केरल की पंचायत का विवादास्पद प्रस्ताव: जंगली जानवरों को मारने के लिए शार्पशूटर्स की नियुक्ति

पंचायत का कहना है कि ये जानवर खेती को नष्ट कर रहे हैं और ग्रामीणों के लिए खतरे का कारण बन रहे हैं

K A Shaji

केरल की एक ग्राम पंचायत के अनोखे प्रस्ताव के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है।

पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा है कि वह शार्पशूटर्स को नियुक्त करेगी, ताकि गांवों में घुसने वाले जंगली जानवरों को मारा जा सके। इस प्रस्ताव पर जहां राज्य के वन विभाग ने आपत्ति जताई है, वहीं वन्यजीव संरक्षणविदों ने भी नाराजगी जताई है।

केरल के कोझीकोड जिले के चक्कीतापारा गांव की पंचायत ने यह प्रस्ताव पारित किया गया है। यह गांव पश्चिमी घाट के पास स्थित है और यहां चारों ओर बहुत ज्यादा जंगल हैं । इस क्षेत्र में किसान फसलें उगाते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां जंगली जानवरों के हमले बढ़ गए हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष गहरा गया है। पंचायत का कहना है कि ये जानवर खेती को नष्ट कर रहे हैं और ग्रामीणों के लिए खतरे का कारण बन रहे हैं।

यह भारत में पहली बार है जब किसी स्थानीय प्राधिकरण ने कानूनी सुरक्षा का उल्लंघन करते हुए वन्यजीवों को मारने का फैसला किया है।

ग्राम पंचायत के प्रधान के. सुनील ने कहा कि वे शार्पशूटर्स को नियुक्त करने के फैसले के परिणामों का सामना करने के लिए तैयार हैं। पंचायत ने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया है, जिसमें विपक्षी पार्टी कांग्रेस के सदस्य भी शामिल थे, लेकिन राज्य वन विभाग ने इसका विरोध किया है और इसे अवैध बताया है, क्योंकि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत जंगली जानवरों को मारना प्रतिबंधित है। जब तक कि जानवरों से सीधे खतरा न हो।

वन विभाग ने राज्य के गृह विभाग से पंचायत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

जबकि पंचायत उच्च न्यायालय में इस निर्णय को चुनौती देने की तैयारी कर रही है। पंचायत का तर्क है कि इस कानून को घनी आबादी वाले क्षेत्रों में लागू करना व्यावहारिक नहीं है।

चक्कीतापारा पंचायत ने कहा है कि शार्पशूटर्स 21 सदस्यीय पैनल होंगे और वे दिन-रात गांव की सुरक्षा करेंगे। केरल के मुख्य वन्यजीव संरक्षक, प्रमोद जी कृष्णन ने चक्कीतापारा पंचायत अध्यक्ष को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत मिलने वाले अधिकारों को रद्द करने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि पंचायत का यह निर्णय संविधान के खिलाफ है और यह सार्वजनिक आदेश को गलत तरीके से प्रस्तुत करता है।

ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष चिप्पी मनोज ने कहा कि शार्पशूटर्स न सिर्फ जंगली सूअर, बल्कि बंदर और हाथियों जैसे अन्य जानवरों से भी उत्पन्न समस्याओं का समाधान करेंगे।