वन्य जीव एवं जैव विविधता

लोगों के 250 मीटर दूर होने पर भी वन्यजीवों पर इसका बुरा असर पड़ता है: अध्ययन

Dayanidhi

अधिकतर लोगों को वन्यजीवों के प्रति बुरा व्यवहार और उनको शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए जाना जाता है। घर के बाहर मनोरंजन खासकर संरक्षित क्षेत्रों के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। जानवरों के आवासों में मानवीय शोर शराबा उनके जीवित रहने और प्रजनन दर को कम कर सकती है।    

जो आखिरकार वन्यजीवों की आबादी को कम कर सकती है या उन क्षेत्रों से उन्हें पूरी तरह मिटा सकती है जहां वे अच्छी तरह से फल फूल रहे हों। फिर भी, पार्क की योजना बनाने वाले और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधक अक्सर इन प्रभावों को सीमित करने के तरीके के बारे में साफ-साफ सिफारिशें नहीं कर पाते हैं।   

वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी के शोधकर्ताओं ने वन्यजीवों पर मनोरंजन के प्रभावों पर लगभग 40 वर्षों के शोध का अवलोकन किया, इसमें उन चीजों को खोजने की कोशिश की जहां मनोरंजन की वजह से हमारे आसपास के वन्यजीव प्रभावित होते हैं। यहां यह भी जानना था कि कब से और किस हद तक किसी प्रजाति को परेशान किया जा रहा है, अंततः इसके आधार पर प्रभावी प्रबंधन निर्णय लिए जा सकते हैं। यह इनके सफल संरक्षण की संभावना को बढ़ा सकता है।   

शोधकर्ताओं ने पाया कि शोरबर्ड्स और सॉन्गबर्ड्स पर मनुष्यों और वाहनों से पड़ने वाले प्रभाव या असुविधाजनक दूरी 100 मीटर या उससे भी कम थी, जबकि बाज और चील के लिए यह 400  मीटर से अधिक थी। लोगों को इन वन्यजीवों से एक निश्चित दूरी बनानी चाहिए ताकि उन पर बुरा प्रभाव पड़े।

स्तनधारियों, मध्यम आकार के चूहा, गिलहरी आदि कतरने वाले जानवरों के लिए प्रभावित होने की सीमा 50 मीटर है, एल्क जैसे बड़े खुर वाले स्तनपायी से लोगों को 500 से 1,000 मीटर दूर रहना चाहिए। एल्क, जिसे वापिटी के रूप में भी जाना जाता है, यह हिरण परिवार के अंदर सबसे बड़ी प्रजातियों में से एक है। यह उत्तरी अमेरिका के साथ-साथ मध्य और पूर्वी एशिया में पाए जाने वाले सबसे बड़े स्थलीय स्तनधारियों में से एक है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि लोगों के द्वारा फैलाई जाने वाली अशांति की सीमाएं व्यापक रूप से अलग-अलग हो सकती हैं। पार्कों और संरक्षित क्षेत्रों की योजना और रखरखाव के दौरान मानवीय गतिविधियों और नियंत्रित यात्रा सीमाओं के आसपास बड़े बफर जोन पर हमेशा विचार किया जाना चाहिए।  

जर्नल नेचर कंजर्वेशन में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर, अध्ययनकर्ता सिफारिश करते हैं कि मानव गतिविधियों को कम से कम 250 मीटर दूर से भी वन्यजीवों को प्रभावित करने वाला माना जाना चाहिए। इसके अलावा, वे भविष्य के शोध के लिए स्पष्ट रूप से उन बिंदुओं की पहचान करने का आह्वान करते हैं जहां वन्यजीवों को प्रभावित करने के लिए मनोरंजन को शुरू या समाप्त किया जाता है।