यह जाने बिना की वो जंगलों को बचाने में कितने प्रभावी हैं, पिछले एक दशक में वैश्विक स्तर पर करीब 40 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को संरक्षित घोषित किया गया है। इस बाबत मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए एक शोध से पता चला है कि भूमि को केवल संरक्षित घोषित करना ही काफी नहीं है इसके लिए उनका विवेकपूर्ण चयन और उससे जुड़े नियमों को लागु करना भी जरुरी है। यह शोध जर्नल साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित हुआ है।
इसे समझने के लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में लगभग 55,000 संरक्षित क्षेत्रों की जांच की है। उन्होंने यह जानने का प्रयास किया है कि जंगलो को बचाने के लिए क्या किया जाना चाहिए। जिससे न केवल इन प्राकृतिक आवासों को बचाया जा सके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी किया जा सके। उनके अनुसार जो जंगल शहरों के नजदीक हैं वहां सबसे ज्यादा खतरा है उन जंगलों में पेड़ों को काटने से रोकने के लिए कड़े नियम बनाने चाहिए। संरक्षण के लिए नियमों को कड़ाई से लागु करना भी जरुरी है।
संरक्षित क्षेत्रों में केवल 30 फीसदी जंगलों को मिल पाई है सुरक्षा
शोध के अनुसार दुनिया भर में लगभग 71 फीसदी संरक्षित क्षेत्रों ने वनों के विनाश को रोकने में योगदान दिया है। इसके बावजूद सुधार की गुंजाइश बाकी है क्योंकि इन क्षेत्रों में केवल 30 फीसद वनों के विनाश को रोका जा सका है। जिन क्षेत्रों में ज्यादा वनों का विनाश हो रहा था वहां संरक्षित क्षेत्र ज्यादा कारगर रहे हैं। शोध के अनुसार जंगलों के विनाश को रोकने में निजी संरक्षित क्षेत्र भी उतने ही कारगर रहे हैं जितने सार्वजनिक संरक्षित क्षेत्र रहे हैं।
वनों को संरक्षित करने का मतलब है कि पेड़ ज्यादा से ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों को सोखें, साथ ही वो कटाव और बाढ़ के खतरे को भी कम करे। धूल भरी आंधी को आने से रोकें और पानी को साफ रखें इस शोध में कुछ ऐसे संरक्षित क्षेत्रों के बारे में भी पता चला है जहां संरक्षण के बावजूद वन्यजीवों का शिकार बढ़ा है।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता जियांगुओ लियू ने बताया कि सतत विकास के लिए जंगलों का संरक्षण बहुत जरुरी है। ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि हम सुनिश्चित करें कि संरक्षण के लिए जो स्थान चुना है वो सही है। इसके लिए दुनिया भर में संरक्षित क्षेत्रों की जांच करना जरुरी है।
ऐसे में शोधकर्ताओं का मत है कि जंगलों को बचाने के लिए किसी क्षेत्र को संरक्षित घोषित करना ही काफी नहीं है। इसके लिए वन संरक्षण की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ सही जंगलों की सुरक्षा पर ध्यान देना भी जरुरी है। वर्तमान में केवल निर्जन और सुदूर क्षेत्रों को संरक्षित घोषित करने का चलन है लेकिन वो संरक्षण के लक्ष्यों को हासिल करने में पूरी तरह सफल नहीं रहे हैं। इसकी जगह उन प्राकृतिक क्षेत्रों पर ध्यान देना जरुरी है जहां उनके शोषण का खतरा सबसे ज्यादा हो।