वन्य जीव एवं जैव विविधता

अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है, क्या है इस साल की थीम?

स्वदेशी लोगों द्वारा विश्व की लगभग 7,000 भाषाओं में से अधिकांश भाषाएं बोली जाती हैं और वे 5,000 विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं

Dayanidhi

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस दुनिया की स्वदेशी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए हर साल नौ अगस्त को मनाया जाता है। विश्व आदिवासी दिवस के रूप में भी जाना जाने वाला यह आयोजन उन उपलब्धियों और योगदान को भी मान्यता देता है जो स्वदेशी लोग पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों में अहम योगदान देते हैं।

विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2023 की थीम

स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2023, "आत्मनिर्णय के लिए परिवर्तन के एजेंट के रूप में स्वदेशी युवा" शीर्षक के तहत, जलवायु कार्रवाई, न्याय की खोज में उनके समर्पित प्रयासों को मान्यता देते हुए निर्णय लेने में स्वदेशी युवाओं की भूमिका को फिर से दर्शाता है। अपने लोगों के लिए और एक अंतर-पीढ़ीगत संबंध का निर्माण जो उनकी संस्कृति, परंपराओं और योगदान को जीवित रखता है।

विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का महत्व

स्वदेशी लोगों द्वारा अर्जित ज्ञान का संज्ञान लेना सांस्कृतिक और वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है। प्राचीन संस्कृतियों ने सदियों से अपनी जीवित रहने की रणनीतियों में सुधार किया था और बीमारियों के इलाज की खोज की थी जिससे आधुनिक वैज्ञानिकों को काफी मदद मिली है। विज्ञान के अलावा, स्वदेशी भाषाओं, उनकी आध्यात्मिक प्रथाओं और दर्शन की समझ और संरक्षण भी महत्वपूर्ण है।

विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का इतिहास

दिसंबर 1994 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने निर्णय लिया कि विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल नौ अगस्त को मनाया जाना चाहिए।

इस दिन को 1982 में जिनेवा में आयोजित मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर उप-आयोग के स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक में मान्यता दी गई। यह दिन अहम है, क्योंकि दुनिया भर में स्वदेशी लोग हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, स्वदेशी लोग दुनिया की आबादी का पांच प्रतिशत से भी कम हैं, लेकिन सबसे गरीब लोगों में 15 प्रतिशत हैं।

क्या आप जानते हैं?

स्वदेशी लोगों द्वारा विश्व की लगभग 7,000 भाषाओं में से अधिकांश भाषाएं बोली जाती हैं और वे 5,000 विभिन्न संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, आज भी दुनिया भर में, रोजगार में लगे सभी स्वदेशी लोगों में से 47 फीसदी के पास कोई शिक्षा नहीं है, जबकि उनके गैर-स्वदेशी समकक्षों में से यह आंकड़ा 17 फीसदी का है। महिलाओं के लिए तो यह अंतर और भी बड़ा है।

दुनिया भर में 86 फीसदी से अधिक स्वदेशी लोग अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करते हैं, जबकि उनके गैर-स्वदेशी समकक्षों की संख्या 66 फीसदी है।

अपने गैर-स्वदेशी समकक्षों की तुलना में स्वदेशी लोगों के अत्यधिक गरीबी में रहने के आसार लगभग तीन गुना है।

दुनिया भर में लगभग 47.6 करोड़ मूलनिवासी लोग 90 देशों में रहते हैं। वे दुनिया की आबादी का पांच प्रतिशत से भी कम हैं, लेकिन सबसे गरीब लोगों में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत है।