दुनिया भर में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को हासिल करने के लिए गंभीर और वैज्ञानिक प्रयासों में सुस्ती जारी है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने आक्रामक विदेशी प्रजातियों के बेहतर इस्तेमाल और जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए दिशानिर्देश और सुझाव जारी किए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा है कि देश की स्थिति-परिस्थिति के हिसाब से उनके सुझावों पर अमल किए बिना एसडीजी लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा।
यूरोप की परिषद बर्न कन्वेंशन कोड ऑफ कंडक्ट इनवेसिव एलियन ट्रीज़ ऑन ए स्टार्टिंग पॉइंट की आठ सिफारिशों को प्रस्तुत करने का उद्देश्य सभी विदेशी आक्रामक पेड़ों से होने वाले लाभों को बढ़ाने, तथा उनके खराब प्रभाव को कम करना है।
जैव विविधता की रक्षा के लिए वैज्ञानिकों द्वारा दिशानिर्देश और सुझाव :
वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों में देशी पेड़ों से लेकर विदेशी पेड़ों का उपयोग शामिल है। आक्रामक विदेशी पेड़ों के खतरे के बारे में जागरूक करना और दुनिया भर के रुझानों में हो रहे बदलाव पर विचार करना है। साथ ही देशी व विदेशी पेड़ों के बारे में वैश्विक नेटवर्क और शोध पर जानकारी साझा करना है। यह शोध नवबियोटा पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
वैज्ञानिकों का सुझाव है कि विदेशी वृक्षों को लगाने के दौरान दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए, साथ ही इसमें बरती जाने वाली सावधानियां एक वैश्विक समझौते की दिशा में पहला कदम है। भविष्य में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानून के तहत स्थापित इस तरह की व्यवस्था इन आवश्यकताओं को पूरा करेंगे।
इटली के सस्सारी विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. गिउसेप ब्रुंडु ने कहा वैश्विक दिशानिर्देशों के प्रयोग और उनके लक्ष्यों की प्राप्ति से वन जैव विविधता के संरक्षण, स्थायी वानिकी सुनिश्चित करने और सतत विकास की उपलब्धि में मदद मिलेगी।
शोधकर्ताओं ने बताया कि विदेशी प्रजातियां - जैसे कि प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा जो 1970 के दशक में पूर्वी अफ्रीका में पशुओं के लिए चारा, लकड़ी प्रदान करने, मिट्टी के कटाव को कम करने और धूल के तूफान के प्रभाव को कम करने के लिए शुरू की गई थी। दुनिया भर में वृक्षारोपण से जंगलों का 44 फीसदी हिस्सा बनता हैं।
शोधकर्ता मेडागास्कर सरकार के 6 करोड़ पेड़ों को लगाने सहित प्रमुख वृक्षारोपण अभियानों की ओर इशारा करते हैं। इनमें विदेशी प्रजातियों को शामिल नहीं किया गया था। इन्हें अक्सर मेडागास्कर में आर्थिक और पारिस्थितिक हितों को संतुलित करने के रूप में देखा जाता है। अन्य इसी तरह की योजनाओं में इटली में लगाए गए 6 करोड़ पेड़ों को शामिल किया गया है। यहां प्रत्येक इटली के नागरिक द्वारा जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए देशी और विदेशी वृक्षों की मिश्रित प्रजातियां लगाई गई थीं।
हालांकि वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनके वैश्विक दिशानिर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, तब तक विदेशी वृक्ष प्रजातियों के प्रसार से वन जैव विविधता का संरक्षण नही होगा। सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में सही से काम नहीं होगा तब तक वन स्थिरता हासिल करना मुश्किल है।
दक्षिण अफ्रीका के स्टेलनबॉश विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेव रिचर्डसन ने कहा विदेशी वृक्ष प्रजातियों पर वैश्विक दिशानिर्देश सामान्य सिफारिशें प्रदान करते हैं और विदेशी पेड़ों के स्थायी उपयोग की योजना बनाने और लागू करने के लिए एक बुनियादी ढांचा और सुझाव प्रदान करते हैं।
डॉ. उर्स शॉफनर का मानना है कि इस तरह के आक्रामक पेड़ ग्रामीण लोगों की आजीविका पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं, उदाहरण के लिए केन्या के बिंगो कंट्री में 86 फीसदी घास के मैदानों को नुकसान हुआ है। डॉ. उर्स शॉफनर सीएबीआई स्विट्जरलैंड में हेड इकोसिस्टम मैनेजमेंट, प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा के विशेषज्ञ हैं।
डॉ शेफनर ने कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अन्य चीजों के साथ हर देश की परिस्थितियों में जैव-भौतिकीय स्थितियां, संस्थागत और कानूनी ढांचे, आर्थिक चुनौतियां और संभावनाएं, प्रबंधन और उपयोग के मामले में काफी अंतर होता है।
इसलिए दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन में 'सब के लिए एक सा' दृष्टिकोण लागू नहीं किया जा सकता है। इसके बजाय, दिशानिर्देशों के कुशल कार्यान्वयन को प्राप्त करने के लिए विभिन्न तकनीकी और संगठनात्मक विकल्पों को जोड़ा जाना चाहिए।