जगुआर अपने मूल निवास स्थान का लगभग 50 हिस्सा खो चुके हैं और अब ये मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के 18 देशों में रहते हैं।  फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, श्रीजीत के
वन्य जीव एवं जैव विविधता

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस: आवास के संकट से जूझ रहे हैं जगुआर

जगुआर का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा ओनका है, जो एक स्तनधारी प्राणी है तथा मांसाहार पर निर्भर रहता है। इनका औसत जीवन काल 12 से 15 साल होता है।

Dayanidhi

हर साल 29 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य जगुआर के लिए बढ़ते खतरों और उनके संरक्षण की तत्काल जरूरत को सामने लाना है। ये बड़ी बिल्लियां, जिन्हें अमेरिका में सबसे बड़ी और मध्य और दक्षिण अमेरिका में जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए अहम माना जाता है, ये दुनिया भर में तीसरी सबसे बड़ी शिकारी बिल्ली हैं।

अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर जगुआर के रहने वाले देशों की सामूहिक आवाज है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के व्यापक प्रयासों के हिस्से के रूप में जगुआर गलियारों और उनके आवासों के संरक्षण की जरूरत को लकेर ध्यान आकर्षित किया जा सके।

मार्च 2018 में 14 सीमावर्ती देशों के प्रतिनिधि न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में जगुआर 2030 फोरम के लिए एकत्र हुए। इस फोरम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोगात्मक जगुआर संरक्षण पहलों पर विचार किया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय जगुआर दिवस बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है। कई सीमाओं वाले देश भी राष्ट्रीय जगुआर दिवस समारोह मना रहे हैं, जिसमें ब्राजील भी शामिल है, जिसने जगुआर को जैव विविधता के प्रतीक के रूप में मान्यता दी है

जगुआर दक्षिण अमेरिका में बड़ी बिल्लियों में सबसे बड़े हैं और आकार के मामले में दुनिया भर में तीसरे स्थान पर आते हैं। उनका आवरण आम तौर पर भूरे से नारंगी रंग का होता है, जिसमें काले निशान होते हैं जिन्हें "रोसेट्स" कहा जाता है, जो उनके आकार के कारण गुलाब जैसा दिखता है। कभी-कभी, कुछ जगुआर इतने काले होते हैं कि वे लगभग बेदाग दिखाई देते हैं।

अपने बड़े आकार, शक्ति और शिकार करने की क्षमता के कारण, जगुआर को "बड़ी बिल्लियों" में से एक माना जाता है। बाघ, तेंदुए, चीते और कौगर भी इसी श्रेणी में आते हैं। मेक्सिको से लेकर अर्जेंटीना तक 18 देशों में पाए जाने वाले जगुआर ज्यादातर ब्राजील में रहते हैं, जहां सबसे अधिक जंगली जगुआर पाए जाते हैं। वे जंगलों, सवाना और झाड़ियों में रह सकते हैं। जगुआर तैरने और चढ़ने में अच्छे होते हैं और उन्हें जीवित रहने के लिए साफ पानी और बहुत अधिक जगह की जरूरत होती है।

जगुआर का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा ओनका है, जो एक स्तनधारी प्राणी है तथा मांसाहार पर निर्भर रहता है। इनका औसत जीवन काल 12 से 15 साल होता है।

सिर और शरीर, पांच से छह फीट, पूंछ 27.5 से 36 इंच के बीच होती है, इनका वजन 100 से 250 पाउंड तक हो सकता है।

जगुआर अपने मूल निवास स्थान का लगभग 50 हिस्सा खो चुके हैं और अब ये मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के 18 देशों में रहते हैं। प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) उनकी स्थिति की जांच में जुटा है और यदि अवैध शिकार और निवास स्थान का नुकसान जारी रहा, तो उन्हें जल्द ही "असुरक्षित" श्रेणी में शामिल किया जा सकता है।