अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस हर साल 21 मार्च को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस की स्थापना 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। तब से दुनिया भर में लाखों लोग इसे सभी तरह के वनों के अवसर के रूप में मनाते हैं। जो कुछ पेड़ और जंगल हमारे लिए करते हैं, उनकी रक्षा के लिए हम सभी को मिलकर काम करना जरूरी है।
पेड़ हवा को साफ करने से लेकर हमारे पीने के पानी को छानने, हानिकारक यूवी किरणों से हमें छाया प्रदान करने और आश्रय देने का काम करते हैं। पेड़ों की लोगों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका होती है। पेड़ हमें पौष्टिक भोजन प्रदान करने, तनाव कम करने, हमारे स्वास्थ्य में सुधार और कार्बन को अलग करने समेत उनकी जड़ें, तने और पत्ते, पेड़ कई अलग-अलग तरह के लाभ प्रदान करते हैं।
हम इस साल के टिकाऊ उत्पादन और खपत की थीम को लेकर विशेष रूप से उत्साहित हैं। हमारे प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करने वाले और महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाली अस्थिर प्रथाओं से दूर जाना एक ऐसा भविष्य बनाने के लिए आवश्यक है जहां लोग और प्रकृति एक साथ पनप सकें।
हम जो भोजन करते हैं, जो पानी पीते हैं और जिन घरों में हम रहते हैं, हम जो कुछ भी करते हैं वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वनों से जुड़ा होता है। वास्तव में वैश्विक वनों की कटाई में शीर्ष 3 योगदानकर्ता औद्योगिक कृषि, लकड़ी की कटाई और खनन शामिल हैं।
क्या है अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस 2022 का विषय या थीम
अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस 2022 की थीम "वन और टिकाऊ उत्पादन और खपत" है।
वनों को पुनर्स्थापित करना और आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा करना कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन यहां निरंतर खपत और उत्पादन से दूर जाने के कई भी कारण हैं।
वनों के बारे में क्या कहते हैं तथ्य?
खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक वन क्षेत्र कम से कम 3.3 करोड़ लोगों के लिए रोजगार पैदा करता है और वनों के उत्पादों का उपयोग अरबों लोग करते हैं।
यह अनुमान है कि दुनिया के आधे से अधिक आर्थिक उत्पादन या जीडीपी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर निर्भर करता है, जिसमें वनों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं भी शामिल हैं। अनुमान है कि दुनिया की कुल आबादी के आधे से अधिक बिना लकड़ी वाले वन उत्पादों का उपयोग भलाई और अपनी आजीविका के लिए करते हैं।
धरती के स्वास्थ्य और मानव कल्याण के लिए वन अहम हैं।
वन पृथ्वी की लगभग एक तिहाई भूमि को कवर करते हैं और लोगों को लकड़ी, ईंधन, भोजन और चारा जैसे सामान प्रदान करते हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करते हैं, जैव विविधता, मिट्टी, नदियों और जलाशयों की रक्षा करते हैं और उन क्षेत्रों के रूप में काम करते हैं जहां लोग प्रकृति के करीब पहुंच सकते हैं।
वनों का स्थायी रूप से उपयोग करने से हमें अक्षय, पुन: उपयोग में लाने और पुन: उपयोग की जाने वाली सामग्रियों के आधार पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
कई वैकल्पिक सामग्रियों की तुलना में कम पर्यावरणीय प्रभावों के साथ लकड़ी का उपयोग अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। एक बार उपयोग की जाने वाली लकड़ी का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण किया जा सकता है, जिससे इसका जीवन बढ़ाया जा सकता है और इसके भौतिक पदचिह्न को और कम किया जा सकता है।
वन उत्पादों के उपयोग का विस्तार कार्बन को कम करने में योगदान देता है।
विज्ञान और नवाचार लकड़ी और पेड़ों से आकर्षक नए उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं, जिनमें कपड़ा, खाद्य पदार्थ, निर्माण सामग्री, सौंदर्य प्रसाधन, जैव रसायन, बायोप्लास्टिक और दवाएं शामिल हैं। अक्षय लकड़ी और पेड़-आधारित उत्पादों के साथ कम टिकाऊ सामग्री को बदलने से कार्बन पदचिह्न को कम किया जा सकता है।
खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक वन दुनिया की स्थलीय जैव विविधता के लगभग 80 फीसदी का घर हैं, जिसमें 60,000 से अधिक पेड़ प्रजातियां हैं।
लगभग 1.6 अरब लोग भोजन, आश्रय, ऊर्जा, दवाओं और आय के लिए सीधे जंगलों पर निर्भर हैं।
दुनिया बार में हर साल 1 करोड़ हेक्टेयर जंगल गायब किए जा रहे हैं जो आइसलैंड के आकार के बराराबर का आकर है।
वनों की कटाई और क्षरण को रोकने के लिए और अधिक कार्रवाई की आवश्यकता है।
1990 के बाद से दुनिया ने 42 करोड़ हेक्टेयर वन जोकि भारत से बड़ा इलाके का नुकसान हो चुका है और मुख्य रूप से कृषि विस्तार के कारण प्रति वर्ष लगभग 1 करोड़ हेक्टेयर वनों का काटा जाना जारी है। वनों को स्थायी रूप से प्रबंधित करने से वनों की कटाई और गिरावट को कम करने में मदद मिल सकती है, बिगड़े हुए परिदृश्य को बहाल करने और लोगों को रोजगार और नवीकरणीय सामग्री प्रदान करने में मदद मिल सकती है।
क्या है भारत में जंगलों का हाल
डाउन टू अर्थ पत्रिका के लिए सुनीता नारायण द्वारा हाल ही में जारी नवीनतम राष्ट्रीय वन सर्वेक्षण को लेकर एक नया विश्लेषण किया गया है। उन्होंने विश्लेषण के आधार पर अनुमानों में एक बड़ा और हानिकारक अंतर पाया है।
हाल ही में जारी वन सर्वेक्षण रिपोर्ट में 25.87 मिलियन या 2.587 करोड़ हेक्टेयर वनों का कोई उल्लेख नहीं है। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वे मौजूद हैं या वे किस स्थिति में हैं।
2019 से 2021 के बीच भारत के वन क्षेत्र में मात्र 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस 'विकास' का अधिकांश भाग 'खुले जंगलों' में रिकॉर्ड किए गए वन क्षेत्रों के बाहर की भूमि पर रहा है।
डाउन टू अर्थ की संपादक सुनीता नारायण कहती हैं कि यह वन क्षेत्र के रूप में 'कुल दर्ज' और उस दर्ज किए गए क्षेत्र पर मौजूद वास्तविक वन कवर के बीच का अंतर है। आईएसएफआर 2021 के अनुसार दर्ज वन क्षेत्र 77.53 मिलियन या 7.753 करोड़ हेक्टेयर है। लेकिन इन भूमि पर वनावरण 51.66 मिलियन हेक्टेयर बताया जाता है। इसका मतलब है कि वनों के रूप में वर्गीकृत क्षेत्र का 34 प्रतिशत जोकि 25.87 मिलियन या 2.587 करोड़ हेक्टेयर आकलन में गायब है! इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 में यह नहीं बताया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य के आकार के बराबर वन भूमि के इस विशाल क्षेत्र का क्या हो रहा है।
आप अंतर्राष्ट्रीय वानिकी दिवस 2022 को कैसे मना सकते हैं?
आप वनों के लिए जश्न मनाने वाले कार्यक्रमों का आयोजन या उनमें शामिल होकर इसे मना सकते हैं। जिनमें वृक्षारोपण, संगोष्ठी, कला प्रदर्शनियां, फोटो प्रतियोगिताएं या बहस की मेजबानी कर सकते हैं।
आप इन कार्यक्रमों की तस्वीरें IDF@fao.org को भेज सकते हैं ताकि वे उन्हें दुनिया भर में होने वाली घटनाओं की गैलरी में जोड़ सकें।
आप 13 भाषाओं में उपलब्ध लोगो, बैनर और पोस्टर साझा कर सकते हैं।
#IntlForestDay हैशटैग का उपयोग करके सोशल मीडिया पर चर्चा में शामिल हो सकते हैं। इस वर्ष के कुछ प्रमुख संदेशों को साझा करें या अपने पसंदीदा जंगल की एक तस्वीर लें और इसे हमारे और अपने दोस्तों के साथ साझा करें।