वन्य जीव एवं जैव विविधता

जंगल की आग की बढ़ती घटनाओं से अधिक खतरनाक हो सकते हैं तूफान: शोध

शोधकर्ताओं ने विभिन्न पौधों की सामग्री को एकत्र किया, फिर उन्हें जलाया और उसके बाद धुएं में उत्सर्जित कणों का विश्लेषण किया।

Dayanidhi

आज दुनिया भर में जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसके प्रभाव कितने गंभीर हो सकते हैं इसी को लेकर कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा एक शोध किया गया है। शोध से पता चला है कि आग से उत्सर्जित होने वाले कणों की रासायनिक उम्र बढ़ने से वातावरण में अधिक व्यापक बादल बनने और प्रचंड तूफानों का विकास हो सकता है।

रसायन शास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर रयान सुलिवान ने कहा इन आग की बढ़ती हुई घटनाओं से बर्फ के शुरुआती (आइस-न्यूक्लिग) कणों का निर्माण होता है, जिससे बादलों के बनने (माइक्रोफिज़िक्स) पर पर्याप्त प्रभाव पड़ सकता है, चाहे बादल बहुत अधिक ठंड़े हो, बूंदे जमी हो या तरल हो बादलों के बनने की प्रबलता अधिक रहती है। इन प्रभावों को समझना, कि यह कैसे बदल सकता है, पृथ्वी की जलवायु को सटीक रूप से मॉडलिंग करने का एक महत्वपूर्ण कारक है।  

सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक पार्टिकल स्टडीज में प्रकाशित शोध सुलिवान की टीम पर आधारित है। इसमें शोधकर्ताओं ने विभिन्न पौधों की सामग्री को एकत्र किया, फिर उन्हें जलाया और उसके बाद धुएं में उत्सर्जित कणों का विश्लेषण किया। विशेष रूप से टीम को बर्फ के शुरुआती (न्यूक्लियर) कणों में रुचि थी, दुर्लभ प्रकार के कण जो सामान्य तापमान से अधिक तापमान पर वातावरण में बर्फ के क्रिस्टल का गठन कर सकते हैं और इस प्रकार बादलों के निर्माण सहित जलवायु प्रक्रियाओं को बहुत प्रभावित करते हैं। वास्तव में, भूमि पर अधिकांश वर्षा बर्फ युक्त बादलों से शुरू होती है।

हालांकि यह पहले से ही पता था कि बायोमास के जलने से उत्सर्जित होने वाले कण- जैसे कि लंबी घास, झाड़ियां और पेड़-पौधे बर्फ की नई संरचना के निर्माण को प्रभावित कर सकते हैं, सुलिवन की टीम ने इन कणों के प्रभावों का पता लगाने में अधिक रुचि दिखाई थी, जिसके लिए वे दिनों और हफ्तों तक यात्रा करते रहे। एक विशेष चैंबर रिएक्टर, मास स्पेक्ट्रोमीटर, इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी और एक अमाइक्रोफ्लुइडिक ड्रॉपलेट फ्रीजिंग तकनीक के साथ, शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के पौधों की सामग्री के जलने से उत्सर्जित कणों का विश्लेषण किया जैसा कि जंगल में आग लगने से होता है, इन कणों के लंबे समय तक वातावरण में रहने और गुजरने के बारे में पता लगाया।

यह शोध बायोमास के जलने से वायुमंडल में एरोसोल के लंबे समय तक रहने की प्रक्रियाओं के बारे में पता लगाता है। यह शोध साइंस एडवांसेस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

आमतौर पर, बर्फ के शुरुआती कण वायुमंडल में लंबे समय तक रहने पर अपनी शक्ति खो देते हैं। लेकिन इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि बायोमास को जलाने से उत्सर्जित कणों की बर्फ की परमाणु क्षमता वास्तव में बढ़ जाती है। वायुमंडल में कणों के एक समय पर जलवायु से प्रेरित गुण कैसे विकसित होते हैं।

सुलिवान ने बताया ऐसा इसलिए है क्योंकि वायुमंडल में इनके लंबे समय तक रहने से कणों के आवरण का नुकसान शुरू होता है, जो बर्फ के सक्रिय सतह को छुपाने वाले धुएं के कणों पर मौजूद होते हैं।

जेहल ने कहा हमने अनुमान लगाया कि महज एक वर्ग मीटर घास का मैदान जलने से सैकड़ों क्यूबिक किलोमीटर वायुमंडल में बर्फ के न्यूक्लियर कणों की सांद्रता पर प्रभाव पड़ सकता है।