वन्य जीव एवं जैव विविधता

भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी ततैया की नई प्रजाति, पर्यावरण थिंक टैंक “अत्री” के नाम पर रखा गया नाम

परजीवी ततैया की इस नई प्रजाति का नाम अत्री राजथे रखा गया है, जबकि साथ ही ब्रोकोनिड ततैया के एक पूरे वंश (जीनस) का नाम "अत्री" रख दिया गया है

Lalit Maurya

भारतीय वैज्ञानिकों ने ततैया की एक नई प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम पर्यावरण थिंक टैंक अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी ऐंड द एन्वायरनमेंट (अत्री) के नाम पर रखा गया है। इतना ही नहीं देश में यह पहला मौका है जब किसी कीट के पूरे वंश का नाम किसी पर्यावरण संस्थान के नाम पर रखा गया है।

इस बारे में विस्तृत जानकारी जर्नल जूटाक्सा में प्रकाशित अध्ययन में सामने आई है। शोध के मुताबिक ततैया की इस नई प्रजाति का नाम ‘अत्री राजथे’ रखा गया है। वैज्ञानिकों ने ‘अत्री राजथे’ के साथ ही पहले से ही ज्ञात दो अन्य प्रजातियों (बाएसिस इम्प्रोसेरस और बाएसिस वैलिडस) को उनकी रूपात्मक समानता को देखते हुए ब्रोकोनिड ततैया के एक पूरे वंश (जीनस) का नाम "अत्री" रखा है। गौरतलब है कि ताइवान में 1998 में खोजी गई इन दोनों प्रजातियां को पहले ‘डायोस्पिलस जीनस’ में शामिल किया गया था।

परजीवी ततैया का यह नया वंश (जीनस) उपपरिवार ब्राचिस्टिना की जनजाति डायोस्पिलिनी से संबंधित है। डायोस्पिलिनी जनजाति में 13 जेनेरा और 125 प्रजातियां शामिल हैं। गौरतलब है कि देश में यह पहला मामला है, जब डायोस्पिलिनी जनजाति से सम्बन्ध रखने वाली ततैया (अत्री राजथे) का पता चला है। इस नए जीनस की खोज डच कीट विज्ञानी कॉर्नेलिस वैन एच्टरबर्ग के सहयोग से की गई है जोकि नीदरलैंड के नेचुरलिस बायोडायवर्सिटी सेंटर से जुड़े हैं।     

देखा जाए तो नई खोजी गई प्रजाति (अत्री राजथे) एक परजीवी ततैया है। यह परजीवी, अन्य कीड़ों के सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक दुश्मन होते हैं। ऐसे में इंसान उनके इस व्यवहार का फायदा फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक भारत में 6,000 से ज्यादा परजीवी प्रजातियों की जानकारी सामने आ चुकी है। इसके बावजूद हम 100 से भी कम का उपयोग प्राकृतिक जैविक नियंत्रण प्रणालियों में कर रहे हैं। 

इस खोज के बारे में अत्री के कार्यवाहक निदेशक डॉ रविकांत जी. का कहना है कि, "इस नए और अनोखे जीनस की खोज एक बार फिर इस बात का प्रमाण है कि हम भारत में परजीवी ततैया की अविश्वसनीय विविधता के बारे में कितना कम जानते हैं।" उनके अनुसार भारत के पश्चिमी घाट में ऐसी कई दुर्लभ प्रजातियों का खजाना है जो अभी भी विज्ञान के लिए अज्ञात हैं।

छोटे हो या बड़े, सभी जीव प्रकृति के लिए हैं महत्वपूर्ण

यह कोई पहला मौका नहीं है जब बेंगलुरु स्थित अनुसंधान गठन अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड द एनवायरनमेंट के शोधकर्ताओं ने इन दुर्लभ प्रजातियों की खोज की है, इससे पहले भी इस संस्थान के तीन शोधकर्ताओं ने मिजोरम के जंगलों में पहली बार दुर्लभ चींटी जीनस 'मिरमेसीना' की दो नई प्रजातियों की खोज की थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक मिजोरम राज्य से दो नई प्रजातियों की खोज मिरमेसीना जीनस का पहला रिकॉर्ड है।

इस बारे में अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी ऐंड द एन्वायरनमेंट के अध्यक्ष डॉक्टर कमल बावा का कहना है कि अत्री की टीम द्वारा ततैया के एक नए वंश की खोज बहुत महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विल्सन, जोकि शायद सबसे प्रसिद्ध जैव विविधता विशेषज्ञ थे उनका कहना था कि “यह छोटी चीजें हैं जो दुनिया को चलाती हैं।“ उनके अनुसार जैव विविधता संरक्षण में हमारा ध्यान बड़े जीवों पर रहता है, जिसमें छोटे जीव कहीं खो से जाते हैं।

उनके अनुसार जीव चाहे वो बड़े हो या छोटे सभी प्रकृति के महत्वपूर्ण घटक हैं। जो दुनिया भर में आज बुरी तरह प्रभावित हो रहे इकोसिस्टम के कामकाज को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में इन जीवों का संरक्षण अत्यंत जरुरी है।