वन्य जीव एवं जैव विविधता

बाघ संरक्षण में भारत को मिली सफलता, 2006 के बाद से 124.5 फीसदी बढ़ी आबादी

2014 से 2018 के बीच बाघों की आबादी में 33 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई थी, जबकि इस बार यह वृद्धि केवल सात फीसदी के आसपास ही है। जश्न के साथ इस पर गम्भीरता से विचार करने की जरूरत है

Lalit Maurya

बाघों संरक्षण के मामले में भारत को बड़ी सफलता मिली है। यह प्रोजेक्ट टाइगर का ही नतीजा है कि 2022 में बाघों की आबादी 124.5 फीसदी बढ़कर अब 3,167 पर पहुंच गई है। गौरतलब है कि 2006 में बाघों की आबादी 1,411 दर्ज की गई थी।

यह जानकारी भारत सरकार द्वारा जारी नई रिपोर्ट "स्टेटस ऑफ टाइगर्स 2022" में सामने आई है, जिसे आज प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जारी किया गया है। गौरतलब है कि अब से पांच दशक पहले अप्रैल 1973 में बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर के रूप में सबसे बड़ी मुहिम शुरू की गई थी।

रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक 2006 में देश में मौजूद बाघों की संख्या 1,411 थी जो 2010 में बढ़कर 1,706 पर पहुंच गई थी। वहीं 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 2,226 और 2018 में 2,967 पर पहुंच गया था। इसके बाद अगले चार वर्षों में इसमें 6.74 फीसदी की वृद्धि हुई है। अब यह आंकड़ा बढ़कर 3,167 पर पहुंच गया है।

यदि आजादी से पहले के आंकड़ों को देखें तो 1900 में देश में 40,000 से ज्यादा बाघ थे फिर इनके बेतहाशा होते शिकार के चलते यह आंकड़ा 1973 तक घटकर 268 रह गया था।

जश्न के साथ देना होगा ध्यान, पिछले वर्षों के मुकाबले धीमी रही वृद्धि

हालांकि पिछले चार वर्षों से तुलना करें तो बाघों की संख्या में उतनी वृद्धि नहीं हुई है जितनी इससे पहले देखने को मिली थी। यह ऐसा विषय है जिसपर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। 2014 से 2018 के बीच बाघों की आबादी में 33 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है जबकि इस बार यह वृद्धि केवल सात फीसदी के आसपास ही है।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल बिग कैट अलायन्स (आईबीसीए) की भी शुरुआत की है, जिसका मकसद दुनिया भर में बाघ और शेर समेत बिग कैट की सात प्रजातियों की रक्षा और संरक्षण करना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने न केवल इस दुर्लभ प्रजाति को बचाया है साथ ही इसके फलने-फूलने के लिए बेहतर इकोसिस्टम भी विकसित किया है। इस बारे में प्रधानमंत्री का कहना है कि दुनिया के 75 फीसदी बाघ भारत में ही हैं।

ऐसा ही कुछ दशकों पहले देश से विलुप्त हो चुके चीते को बचाने के लिए भी किया गया है। इस प्रजाति को देश में दोबारा लाने के लिए पिछले कुछ समय में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए थे और उन्हें भारत में बसाने की कवायद जारी है।

1973 से प्रोजेक्ट टाइगर की मदद से न केवल बाघों को बचाया गया है बल्कि साथ ही इसके इकोसिस्टम को भी दोबारा बहाल करने की कोशिशें की गई थी। इन प्रयासों का ही नतीजा है कि जहां 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 18,278 वर्ग किलोमीटर में फैले नौ टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया था। अब 2022 तक उनकी संख्या बढ़कर 53 पर पहुंच गई है जो देश में 75,500 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले हैं।