वन्य जीव एवं जैव विविधता

संसद में आज: ग्रेट निकोबार परियोजना के लिए नौ लाख से अधिक पेड़ काटे जाने के आसार

देश भर में लगभग 33,592 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नेटवर्क को अधिकृत किया है, जिसमें से 23,173 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन चालू है

Madhumita Paul, Dayanidhi

ग्रेट निकोबार परियोजना के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या

आज तीन अगस्त 2023, को सदन में उठे एक सवाल के जवाब में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि, ग्रेट निकोबार परियोजना में विकास के लिए निर्धारित वन क्षेत्र में काटे जाने वाले पेड़ों की अनुमानित संख्या 9.64 लाख है। इसके अलावा, यह उम्मीद की जा रही है कि विकास क्षेत्र का लगभग 15 फीसदी हिस्सा हरी और खुली जगह बनी रहेगी। इस तरह, संभावित पेड़ों की काटे जाने की संख्या 9.64 लाख से कम होगी। इसके अलावा, उन्होंने कहा, पेड़ों की कटाई चरणबद्ध तरीके से की जाएगी।

नामीबिया से लाए गए चीतों की स्थिति

वहीं एक अन्य प्रश्न के उत्तर में चौबे ने बताया कि, नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों में से सात जीवित हैं। भारत में चीता की शुरूआत के लिए कार्य योजना के अनुसार, पहले चरण (पांच  वर्ष) के लिए, परियोजना की अनुमानित लागत 91.65 करोड़ रुपये है।

प्राकृतिक गैस की मांग

प्राकृतिक गैस की मांग को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि, सरकार ने ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को वर्तमान में लगभग 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, इस दिशा में सरकार द्वारा विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें राष्ट्रीय गैस ग्रिड पाइपलाइन का विस्तार, सिटी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क का विस्तार, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनलों की स्थापना, किफायती यातायात के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी) पहल शामिल हैं।

पुरी ने बताया कि, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने देश भर में लगभग 33,592 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नेटवर्क को अधिकृत किया है, जिसमें से 23,173 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन चालू है और कुल 12,206 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।

यूरेनियम दूषित क्षेत्रों का मानचित्रण

सदन में जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि, जल राज्य का विषय है, भूजल की गुणवत्ता पर अध्ययन करना और जनता को सुरक्षित जल उपलब्ध कराना राज्यों के अधिकार के अंतर्गत आता है। इसके अलावा, केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) पूरे देश में विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों और भूजल गुणवत्ता निगरानी के दौरान क्षेत्रीय स्तर पर भूजल गुणवत्ता के आंकड़े तैयार करता है। ये अध्ययन देश के कुछ हिस्सों में अलग-अलग हिस्सों में बीआईएस की स्वीकार्य सीमा से अधिक यूरेनियम की मौजूदगी का संकेत देते हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

वहीं एक अन्य सवाल के जवाब में  टुडू ने  बताया कि, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, गंगा नदी के कायाकल्प के लिए अपशिष्ट जल उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, नदी तट प्रबंधन (घाट और श्मशान विकास), ई-प्रवाह, वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण और सार्वजनिक भागीदारी आदि जैसे व्यापक काम किए गए हैं। अब तक 37,395.51 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर कुल 442 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 254 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। अधिकांश परियोजनाएं सीवेज बुनियादी ढांचे के निर्माण से संबंधित हैं क्योंकि अनुपचारित घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण है।

टुडू ने आगे बताया कि, 6029.75 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता के निर्माण और पुनर्वास और लगभग 5,250.98 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाने के लिए 30,797.24 करोड़ रुपये की लागत से 193 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें से 106 सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और शेष कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। पूर्ण परियोजनाओं के साथ, 2664.05 एमएलडी एसटीपी क्षमता का निर्माण व पुनर्स्थापन किया गया है और 4436.26 किमी सीवर नेटवर्क बिछाया गया है।

देश में जल स्रोतों का सूखना

सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने बताया कि, जल स्रोतों के सूखने से संबंधित उद्देश्य के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में पहचाने गए नोडल विभाग के माध्यम से राज्य सरकारों द्वारा की गई गणना से पता चला है कि देश में जल निकायों की संख्या 24,24,540 है। इनमें से 20,30,040 जल निकाय 'उपयोग में' हैं, जबकि शेष 3,94,500 जल निकाय 'उपयोग में' नहीं हैं। 'उपयोग में नहीं' बताए गए जल निकायों की कुल संख्या में से, 93,009 जल निकायों के सूखने के कारण उपयोग में नहीं होने की जानकारी है।

शहर में बाढ़ की बढ़ती घटनाएं

शहर में बाढ़ की बढ़ती घटनाओं  को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में, आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर ने बताया कि, शहरी बाढ़ की घटनाओं से संबंधित आंकड़ों का रखरखाव मंत्रालय द्वारा नहीं किया जाता है। हालांकि, पिछले पांच वर्षों के दौरान बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित प्रमुख शहरों में पलक्कड़, त्रिशूर, कोचीन, केरल में मलप्पुरम (2018 और 2020), हैदराबाद (2020), बेंगलुरु (2022), हिमाचल प्रदेश में मनाली (2023), पटियाला शामिल हैं। पंजाब में डेरा बस्सी (2023) और दिल्ली में यमुना नदी तट (2023) शामिल हैं।