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संसद में आज: 2022-23 में जंगली हाथियों के हमलों के कारण कर्नाटक में 29 लोग हुए हताहत

Madhumita Paul, Dayanidhi

नदियों में बढ़ता प्रदूषण

संसद का मॉनसून सत्र आज यानी 20 जुलाई से शुरू हो चुका है। सदन में आज नदियों में जारी प्रदूषण को लेकर प्रश्न पूछा गया, जिसके जवाब में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों के सहयोग से राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत निगरानी स्टेशनों के माध्यम से समय-समय पर नदियों और अन्य जल निकायों की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है।  

उन्होंने कहा, सितंबर, 2018 की सीपीसीबी रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद से तेलंगाना में नलगोंडा तक मुसी नदी का विस्तार प्राथमिकता-प्रथम श्रेणी में आता है। हालांकि, नवंबर, 2022 में प्रकाशित सीपीसीबी की नवीनतम रिपोर्ट में, पूघाट से रुद्रवेली, कासनीगुडा से वलिगोंडा तक के हिस्से को मुसी नदी में प्राथमिकता-प्रथम खंड के रूप में पहचान की गई है।

वहीं जल निकायों की गणना पर भी आज सदन में जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू से सवाल किया गया, उन्होंने जवाब देते हुए बताया कि जल निकायों की पहली गणना के अनुसार, भारत में 2424540 जल निकाय हैं।

अतिक्रमित जल निकायों में से 95.4 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जबकि, 4.5 फीसदी शहरी क्षेत्र में हैं। हालांकि, ग्रामीण जल निकायों में से केवल 1.6 फीसदी पर ही अतिक्रमण है, जबकि शहरी जल निकायों में 2.5 फीसदी पर अतिक्रमण किया गया है।

शहरी क्षेत्र में भूजल स्तर को लेकर बिश्वेश्वर टुडू ने बताया कि, मई 2023 के दौरान सीजीडब्ल्यूबी द्वारा एकत्र किए गए कुछ शहरी क्षेत्रों तथा शहरों के जल स्तर के आंकड़ों की तुलना मई महीने के दशकीय (2013-2022) औसत से की गई है। जल स्तर के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि निगरानी किए गए लगभग 58.9 प्रतिशत कुओं में भूजल स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है और 41.1 प्रतिशत कुओं में जल स्तर में गिरावट देखी गई है।

शहरों में बाढ़ की बढ़ती घटनाएं

मॉनसून का मौसम जारी हैं, देश के कई हिस्से जलमग्न हैं। शहरों में जल भराव को लेकर प्रश्न का उत्तर देते हुए आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री कौशल किशोर ने बताया कि अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के तहत शहर-वार, वर्ष-वार शहरी बाढ़ के आंकड़ों का रखरखाव नहीं किया जाता है।

उन्होंने कहा, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने 2017 में शहरी बाढ़ पर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और अन्य हितधारकों को तूफान जल निकासी प्रणालियों की योजना, डिजाइन, संचालन और रखरखाव में सहायता करने और सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को शहरी बाढ़ की स्थिति में तैयारियों के स्तर को बढ़ाने और आपातकालीन संचालन सहित सहायता करने के लिए जल निकासी प्रणाली, 2019 पर मैनुअल प्रकाशित किया है।

गंगा नदी द्वारा कटाव

एक सवाल के जवाब में आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने सदन में बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जानकारी है कि मुर्शिदाबाद जिले में फरक्का, समसेरगंज, सुती-प्रथम और द्वितीय, रघुनाथगंज-द्वितीय, लालगोला, भवनगोला-द्वितीय, रानीनगर-द्वितीय, जलांगी ब्लॉक और धुलियान नगर पालिका सहित गंगा-पद्मा नदी के आसपास के क्षेत्रों में लगभग 1480 हेक्टेयर भूमि पिछले 15 वर्षों के दौरान नष्ट हो गई है।

ई-कचरा प्रबंधन को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने सीपीसीबी के हवाले से आज सदन में इस बात की जानकारी दी कि, वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 के तहत अधिसूचित 21 प्रकार के ईईई से उत्पन्न ई-कचरा क्रमशः 13,46,496.31 टन और 16,01,155.36 टन होने का अनुमान लगाया गया था, जो दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं है।

देश के प्रमुख शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की स्थिति

वहीं आज राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने सदन में बताया कि, मंत्रालय ने 123 बिना गुणवत्ता वाले शहरों की पहचान की है जहां पीएम 10 सांद्रता लगातार पांच वर्षों तक राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) से अधिक रही है। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए, मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एन सीएपी) लॉन्च किया है, जो 131 शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक समयबद्ध, राष्ट्रीय स्तर की रणनीति बनाई है। 

कर्नाटक में मानव पशु संघर्ष

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज सदन में जानकारी देते हुए कहा कि, कर्नाटक राज्य से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 2019-20 से 2021-22 के बीच जंगली हाथियों के हमलों के कारण 83 लोग हताहत हुए हैं। इसके अलावा, वर्ष 2022-23 में जंगली हाथियों के हमलों के कारण कर्नाटक में अभी तक 29 लोगों के हताहत होने की जानकारी है।