वन्य जीव एवं जैव विविधता

कैसे हो एशियाई देशों में खराब भूमि और जंगलों की बहाली?

Dayanidhi

एशियाई देशों ने सन 2030 तक 4.75 करोड़ हेक्टेयर से अधिक खराब भूमि और जंगलों को बहाल करने का संकल्प लिया है। इन देशों में  फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया और भारत के भूमि संरक्षक बनने की उम्मीद है। जबकि वनों की कटाई पर रोक लगाने का संकल्प इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है।

दुनिया भर में इंडोनेशिया में वनों का सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। प्राकृतिक विनाश को पूरी तरह से रोकना जलवायु परिवर्तन से लड़ने और असंख्य पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बहाल करने की लड़ाई का केवल एक हिस्सा भर है। 

उष्णकटिबंधीय देशों में अब तक की दुनिया भर की भूमि बहाली करने के वादे का 80 फीसदी से अधिक हिस्सा है। इन्हें बॉन चैलेंज और वनों पर न्यूयॉर्क घोषणा सहित कई रूपरेखाओं के तहत बनाया गया है। जगलों की बहाली आम तौर पर जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत उत्सर्जन में कमी लाने के लिए किए गए वादों का हिस्सा है, जोकि 12 नवंबर को ग्लासगो में समाप्त हुआ। इसलिए उष्णकटिबंधीय इलाकों में पर्यावरण प्रबंधन के इस नए क्षेत्र में सफलता के साथ दुनिया भर में भूमि को बहाल करने की सफलता के लिए यह आवश्यक है।

इस तरह के एक विशाल क्षेत्र को बहाल करने के लिए बड़ी मात्रा में बीज की आवश्यकता होती है। जिसे बहाली के लिए किए गए वादों के दौरान अनदेखा किया जाता है। फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया और भारत में वन आधारित बहाली परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बीजों की जरूरत है। बीजों की आपूर्ति कैसे हो इस अध्ययन में इसकी ताकत और कमजोरियों का मूल्यांकन किया गया है।

अध्ययनकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि 4.75 करोड़ हेक्टेयर के पुनर्स्थापन लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगभग 15,700 करोड़ बीजों की आवश्यकता पड़ेगी। इस बीज का उपयोग रोपण और अन्य पुनर्योजी सामग्रियों के बीच किया जाता है।

अध्ययन में कुछ अच्छे रुझान पाए गए, जैसे कि सरकारी सहायता और वित्त पोषण में वृद्धि आदि। शोधकर्ताओं ने इसमें कम से कम दो संबंधित कमियों को भी भी उजागर किया हैं। गुणवत्ता वाले बीजों तक पहुंच की कमी और स्थानीय समुदायों के लिए बीज खरीद में भाग लेने के लिए सही अवसरों का न होना। लंबे समय तक सफलता हासिल करने के लिए इन समस्याओं को दूर करना होगा।

एलायंस ऑफ बायोवर्सिटी इंटरनेशनल के क्रिस केटल ने कहा यह अध्ययन बहुत स्पष्ट रूप से दिखाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर बीज वितरित करने की प्रमुख सीमाएं हैं, खासकर जब रोपण सामग्री और देशी प्रजातियों की विविधता की गुणवत्ता की बात आती है। यह सामाजिक और पारिस्थितिक रूप से अपनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि कई प्रमुख वृक्षारोपण परियोजनाए ऐसी भी रहीं हैं जो स्थानीय समुदायों को लाभ देने में विफल रहीं हैं।

यह समझने के लिए कि पेड़ों के बीज प्रणालियों का राष्ट्रीय स्तर का संगठन जमीन पर इनको लगाने के प्रयासों को कैसे प्रभावित करता है। इसके लिए अध्ययन में चार देशों में बीज लगाने की परियोजनाओं को लागू करने वाले लोगों से बातचीत की।

ईटीएच ज्यूरिख के प्रमुख अध्ययनकर्ता एननिया बोशर्ड ने कहा उनकी जवाबों से पता चला कि उनकी पसंदीदा प्रजातियों और बीज प्राप्त करने में चुनौतियां काफी आम थीं। बीज की गुणवत्ता के बारे में जानकारी अक्सर बीज आपूर्तिकर्ताओं द्वारा प्रदान नहीं की जाती थी। यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी गुणवत्ता नियंत्रण की कमी को दर्शाता है और बीज प्रणाली के अंदर जानकारी में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। 

अध्ययन लैटिन अमेरिका में किए गए इसी तरह के शोध पर आधारित है। जो राष्ट्रीय बीज प्रणालियों का मूल्यांकन करने के लिए एक प्रस्ताव करता है। यह इस बात का वर्णन करता है की किसी दिए गए स्थान में बीज का प्रावधान, वितरण और उपयोग कैसे कार्य करता है।

सह-अध्ययनकर्ता एवर्ट थॉमस ने कहा बीजों के माध्यम से बहाली के लिए राष्ट्रीय बीज प्रणालियों की गुणवत्ता की निगरानी से देशों को यह मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी कि वे कितनी अच्छी तरह बहाली के लक्ष्यों को हासिल कर रहे हैं। अच्छा प्रदर्शन करने वाले देश अन्य देशों के लिए प्रेरणा के रूप में काम कर सकते हैं कि कैसे अपनी बीज प्रणालियों को और बेहतर बनाया जाए।

पेड़ कोई एक आकार या एक जैसे नहीं हो सकते हैं। उष्णकटिबंधीय इलाकों में हजारों पेड़ की प्रजातियों और दर्जनों पारिस्थितिक तंत्र हैं। स्थानीय रूप से जरूरी प्रजातियों को बहाल करना जो पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे कि कार्बन भंडारण, मीठे पानी का विनियमन और लकड़ी और फलों का प्रावधान के हिस्से के रूप में अनुरूप स्थानीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो सफलता की एक बड़े पैमाना हो सकता है।

कुछ पेड़ों के लक्षणों को समझना महत्वपूर्ण है, कुछ फल और हर कुछ वर्षों में केवल बीज प्रदान करते हैं, जबकि अन्य प्रचुर मात्रा में बीज पैदा करते हैं जिसके लिए बीज के अव्यवहारिक होने से पहले लगभग तत्काल रोपण की आवश्यकता होती है। यह अध्ययन एमडीपीआई नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययनकर्ता रीना जालोनन ने कहा की बहाली की हमारी परिभाषा काफी व्यापक हो गई है, क्योंकि परिदृश्य की कार्यक्षमता में सुधार करते समय कई जरूरी परिणाम हो सकते हैं। यह केवल प्राकृतिक वनों को बहाल करने के बारे में नहीं है, यह पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बहाल करने के बारे में है।

हमेशा देशी प्रजातियों को ही फिर से स्थापित करना संभव नहीं होता है, लेकिन देशी प्रजातियों को बाहर भी नहीं किया जाना चाहिए। देशी पेड़ों के बीज की गुणवत्ता और उपलब्धता में सुधार किया जाना चाहिए। यह एशियाई देशों के लिए अपने बहाली लक्ष्यों को इस तरह से पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण होगा जो लोगों और धरती दोनों को फायदा पहुंचाएगा।