वन्य जीव एवं जैव विविधता

कैसे बचेगी जैवविविधता, जब एक रेंजर पर है 72 वर्ग किलोमीटर की जिम्मेवारी

Lalit Maurya

क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर हर 72 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जानवरों और जैवविविधता की सुरक्षा के लिए केवल एक रेंजर है, जबकि 37 वर्ग किलोमीटर संरक्षित क्षेत्र का ध्यान रखने के लिए केवल एक कर्मी है।

इस बारे में 176 देशों और क्षेत्रों के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर संरक्षित क्षेत्रों की देखरेख करने के लिए कुल 555,436 कर्मी हैं, जिनमें 285,794 रेंजर भी शामिल हैं। ऐसे में इन संरक्षित क्षेत्रों, यहां रहने वाले जीवों और जैवविविधता का प्रभावी प्रबंधन और संरक्षण कैसे होगा यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।    

देखा जाए तो कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी के तहत 2020 के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए गए थे उन्हें करीब-करीब प्राप्त कर लिया गया है, लेकिन क्या इन संरक्षित क्षेत्रों और उनमें पाई जाने वाली जैवविविधता का प्रभावी तौर पर प्रबंधन किया जा रहा है, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

देखा जाए तो इसके लिए जरूरी कर्मियों की कमी एक बड़ी समस्या है। साथ ही इन कर्मियों के विकट परिस्थितियों और खराब स्थिति में काम करने की दशाएं भी बड़ी परेशानी का सबब हैं। गौरतलब है कि आइची लक्ष्य 11 के तहत 2020 तक जमीन की 17 फीसदी क्षेत्र और समुद्र के 10 फीसदी हिस्से को संरक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था।

वहीं 2030 तक इन संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार धरती के 30 फीसदी हिस्से पर करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे इन क्षेत्रों में मौजूद जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सम्बन्धी सेवाओं को संरक्षित किया जा सके। इसका अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और जी7 नेताओं ने समर्थन किया है।

इस कार्रवाई का उद्देश्य 2050 तक जैव विविधता के संरक्षण के साथ-साथ प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना है। देखा जाए तो इंसानों द्वारा किया जा रहा यह प्रयास न केवल प्रकृति के दृष्टिकोण से फायदेमंद होगा साथ ही यह इंसानी स्वास्थ्य और कल्याण के दृष्टिकोण से भी बहुत मायने रखता है।

रेंजरों की संख्या में करनी होगी पांच गुणा वृद्धि 

हाल ही में जर्नल साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि भूमि को केवल संरक्षित क्षेत्र घोषित करना ही काफी नहीं है इसके लिए उनका विवेकपूर्ण चयन और उससे जुड़े नियमों को लागु करना भी जरुरी है। ऐसे में शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए करीब 30 लाख कर्मियों की जरूरत होगी। मतलब की हर 13 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक कर्मी की नियुक्ति करनी होगी।

इसी तरह इन संरक्षित क्षेत्रों और जैवविविधता की सुरक्षा के लिए 15 लाख से ज्यादा रेंजर की आवश्यकता होगी। इसके लिए हर 26 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक रेंजर नियुक्त करना होगा। यह रिसर्च जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुई है।

ऐसे में शोधकर्ताओं का मानना है कि 2030 के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मौजूदा रेंजरों और इन संरक्षित क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मियों की संख्या में पांच गुणा वृद्धि करने की जरूरत है। आपकी जानकारी के लिए बता दें इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दुनिया भर की सरकारों के प्रतिनिधि कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज टू द कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी की 15वीं बैठक में शामिल होने के लिए 7 से 15 दिसंबर के बीच कनाडा के मॉन्ट्रियल में एकजुट होंगें।