वन्य जीव एवं जैव विविधता

फसल की पैदावार बनाए रखने के लिए मधुमक्खियों की कितनी और प्रजातियों की जरूरत होगी?

मधुमक्खी आबादी की विविधता फसल परागण को बनाए रखने के लिए जरूरी है, जो हम लोगों की खाद्य आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

Dayanidhi

रटगर्स यूनिवर्सिटी ने पहला एक ऐसा अध्ययन किया है जिसमें दिखाया गया है कि लंबे समय तक फसल की पैदावार बनाए रखने के लिए, मधुमक्खियों की कितनी और प्रजातियों की आवश्यकता होती है।

नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों ने कहा कि मधुमक्खी आबादी की विविधता फसल परागण को बनाए रखने के लिए जरूरी है, जो हम लोगों की खाद्य आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता नताली लेमांस्की ने कहा, हमने देखा कि जैव विविधता समय के साथ पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साल भर में मौसम के अनुसार स्थिर परागण सेवाएं हासिल करने के लिए आपको अधिक मधुमक्खी प्रजातियों की आवश्यकता होती है। लेमांस्की, रटगर्स स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंटल एंड बायोलॉजिकल साइंसेज में पारिस्थितिकी, विकास और प्राकृतिक संसाधन विभाग में शोधकर्ता हैं।

टीम ने न्यू जर्सी, पेनसिल्वेनिया और कैलिफ़ोर्निया के दर्जनों खेतों में मधुमक्खियों की विभिन्न आबादी पर गौर किया। उन्होंने पाया कि पूरे फूलों के मौसम में अपेक्षा से अधिक मधुमक्खी प्रजातियां न केवल परागण के लिए जरूरी थे, बल्कि बढ़ते समय के साथ इससे भी अधिक की आवश्यकता होगी।

शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने अलग-अलग मधुमक्खी प्रजातियों की खोज की है जो साल के अलग-अलग समय में एक ही प्रकार के पौधों को परागित करते हैं। उन्होंने यह भी पाया कि विभिन्न मधुमक्खी प्रजातियां अलग-अलग वर्षों में एक ही तरह के पौधों की प्रमुख परागणक थीं।

शोधकर्ताओं ने कहा, सभी मधुमक्खी प्रजातियों को कमजोर वर्षों के दौरान परागण की न्यूनतम सीमा बनाए रखने की आवश्यकता होती है।

नेशनल साइंस फाउंडेशन के डायरेक्टरेट फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज के डिप्टी डिवीजन डायरेक्टर मिशेल एलेकोनिच ने कहा, इस शोध से पता चलता है कि हर एक प्रजाति मायने रखती है, लेकिन मधुमक्खी विविधता और भी अधिक मायने रखती है। यह वही मधुमक्खियां नहीं हैं जो किसी निश्चित समय पर प्रचुर मात्रा में होती हैं और बढ़ते समय के साथ साल-दर-साल संतुलन प्रदान करने के लिए इनकी विविधता आवश्यक है।

लेमांस्की ने कहा कि अध्ययन एक लंबे समय से चली आ रही अवधारणा की पुष्टि करता है। जिसे पारिस्थितिकीविद "बीमा परिकल्पना" के रूप में संदर्भित करते हैं। विचार यह है कि पारिस्थितिक तंत्र को शायद तब लाभ होता है जब प्रकृति चीजों में विविधता लाती है, एक प्रमुख प्रजाति पर निर्भर होने के बजाय एक पौधे या जानवर की श्रेणी की कई प्रजातियों का समर्थन करती है।

लेमांस्की ने कहा, हमने पाया कि एक ही दिन की तुलना में बढ़ते समय के दौरान फसल परागण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए दो से तीन गुना मधुमक्खी प्रजातियों की आवश्यकता होती है। इसी तरह, एक वर्ष की तुलना में छह वर्षों के दौरान परागण प्रदान करने के लिए दोगुने प्रजातियों की आवश्यकता पड़ेगी।

शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण को फूलों के लिए मधुमक्खी के दौरे और हर एक फूल पर जमा पराग कणों की मात्रा के माप के आधार पर एक कैलेंडर तैयार किया। साल में हफ्तों और महीनों और फिर कई वर्षों के आधार पर विश्लेषण किया। उन्होंने दक्षिणी न्यू जर्सी में 16 ब्लूबेरी फार्म, सेंट्रल न्यू जर्सी और पूर्वी पेनसिल्वेनिया में 25 तरबूज फार्म और कैलिफ़ोर्निया की उत्तरी सेंट्रल वैली में 36 तरबूज फार्म पर किसानों से अनुमति लेकर आंकड़े एकत्र किए।

लेमांस्की ने कहा कई वर्षों में आवश्यक प्रजातियों में वृद्धि की मात्रा फसल प्रणालियों के बीच उल्लेखनीय रूप से जुड़ी हुई थी। इसके अलावा, समय-सीमा और आवश्यक प्रजातियों की संख्या के बीच संबंध खत्म  नहीं हुए हैं। यह बताता है कि कई मौसमों में फैली लंबी समय श्रृंखला, विश्वसनीय पारिस्थितिकी तंत्र सेवा सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता की आवश्यकता को और बढ़ा सकती है।