वन्य जीव एवं जैव विविधता

किस तरह लग सकती है वन्यजीवों की तस्करी पर रोक, वैज्ञानिकों ने सुझाए उपाय

Dayanidhi

कई अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने मिलकर मेडागास्कर के सोआलाला के भीतर और उसके आसपास प्लॉशर कछुओं के निवास स्थान का पता लगाने के लिए 2018 से भारी प्रयास किए हैं। शोधकर्ताओं ने यहां आस-पास के गांव, इनकी तस्करी के रास्ते और हर क्षेत्र से जुड़े अवैध व्यापार के खतरों का पता लगाया।

लगभग 50 वन्यजीव प्रेमी समूह ने अधिक स्पष्ट जानकारी भी साझा की। यह जानकारी शिकारियों की तस्करी प्रक्रिया को रोकने में अहम भूमिका निभा सकती है, जैसे कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व, निर्णय लेने पर ज्वार का प्रभाव और जहां शिकारी अपनी तस्करी की योजना बनाने के लिए आपस में मिलते हैं।

यह जानकारी एक स्पष्ट, प्लास्टिक शीट पर उतारी गई थी जिसे क्षेत्र के रंग-आधारित मानचित्र पर उकेरा गया था। उस जानकारी को तब एक भौगोलिक सूचना प्रणाली में डिजिटाइज किया गया था, जिसे शोधकर्ताओं ने अव्यस्थित बताया था, फिर भी उन प्लॉशर कछुआ के तस्करी नेटवर्क पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने के लिए नई जानकारी का खुलासा किया।

मैरीलैंड विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर मेरेडिथ गोर बताते हैं, हमारी वैज्ञानिक टीम ने आंकड़ों के बारे में सोचने, मापने और विश्लेषण करने के लिए एक क्रॉस-डिसिप्लिनरी और क्रॉस-सेक्टोरल दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया। हम न केवल आंकड़ों के परिदृश्य को यह स्पष्ट करने में सक्षम थे कि अवैध तरिके से आपूर्ति  के लिए जल मार्ग कितने महत्वपूर्ण हैं, हम परंपरागत रूप से हाशिए पर पड़ी आवाजों, महिलाओं से इस पर जानकारी के साथ तकनीकी स्थानीय आंकड़ों को समझ सकते थे।

गोर और उनके साथ शोध करने वालों का तर्क है कि अगर इस तरह की प्रक्रिया को कम्प्यूटेशनल साइंस, ऑपरेशन इंजीनियरिंग और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के रूप में नए हिस्से के साथ जोड़ा जाए, तो शोधकर्ता वन्यजीव तस्करी नेटवर्क पर रोक लगा सकते हैं और इस तरह अधिक जानवरों का संरक्षण कर सकते हैं, जैसे प्लॉशेयर कछुआ, जो पहले से ही विलुप्त होने के कगार पर हैं।

प्रोफेसर बिस्ट्रा दिलकिना ने कहा हमारा हालिया काम दुनिया भर में वन्यजीव तस्करी के जटिल मुद्दे को हल करने के लिए एक दूसरे के सहयोग की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। दिलकिना दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कंप्यूटर विज्ञान और औद्योगिक और सिस्टम इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं। 

उन्होंने कहा किस तरह हमारे अलग-अलग विषय के जानकार वन्यजीवों की अवैध तस्करी और व्यापार से लड़ने के लिए एक साथ काम कर सकते हैं। विशेष रूप से, मैं आंकड़ों के फायदों के बारे में गहराई से सोचने के लिए उत्साहित हूं। मशीन लर्निंग और अनुकूलन में संचालित दृष्टिकोण इस महत्वपूर्ण प्रयास को आगे बढ़ा सकते हैं।

भविष्य की बात करते हुए, शोधकर्ताओं का मानना है कि अलग-अलग विषयों के सहयोग में वृद्धि के साथ, संरक्षणवादी एक दिन यह अनुमान लगाने में सक्षम हो सकते हैं कि एक तस्कर किस तरह काम करेगा। उन क्षेत्रों को चुनेगा जहां स्थानीय लोग प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं और वन्यजीवों की तस्करी को रोकने में अहम भूमिका निभाने के लिए सशक्त बन सकते हैं।

गोर कहते हैं, आशा है कि इससे जुड़े विषयों, भविष्य में संरक्षण क्षेत्र के लिए अतिरिक्त फायदे पहुचाएंगे, विशेष रूप से बदलते परिवेश में वन्यजीव तस्करी नेटवर्क के पैटर्न में बदलाव के बारे में जानकारी को आगे बढ़ाकर। यह शोध प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ द साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।