वन्य जीव एवं जैव विविधता

कीटनाशक व वायरसों की वजह से बढ़ रही हैं मधुमक्खियों की बीमारियां, वैज्ञानिकों ने चेताया

शोध टीम ने पाया कि मधुमक्खियां खेतों में एक बार में औसतन 23 तनावों से जूझ रही थीं, जो मिलकर उनमें 307 आंतरिक क्रियाएं पैदा करती हैं

Dayanidhi

यॉर्क विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया कि परागण करने वाली मधुमक्खियां कई तरह के तनावों से गुजर रही हैं। इसकी वजह कीटनाशक व वायरस हैं। 

शोध के मुताबिक, वैज्ञानिक दशकों तक अलग-अलग तरह के कीटनाशकों, परजीवी, वायरस या आनुवंशिकी भूमिका की जांच करने के बाद भी मधुमक्खियों की कॉलोनी की बढ़ती मृत्यु दर की व्याख्या करने में असमर्थ रहे हैं। इससे शोध ने इस बात का पता लगाने की कोशिश की कि क्या पिछले अध्ययनों में एक समय में एक तनाव पर गौर करने से कुछ छूट गया था या नहीं।

शोध में पाया गया कि वायरस और कीटनाशकों की वजह से मधुमक्खियां प्रभावित हो रही हैं जो उनकी आंतरिक क्रियाओं के माध्यम से बुरे प्रभावों को और बढ़ा देते हैं।

प्रमुख कीटनाशकों के बारे में बहुत सारे अध्ययन हुए हैं, लेकिन इस शोध में बहुत सारे छोटे कीटनाशकों को भी जोड़ा गया, जिनके बारे में आमतौर पर गौर नहीं किया जाता है या अध्ययन नहीं किया जाता। शोधकर्ताओं को बहुत सारे वायरस मिले (जिनमें घुन भी शामिल हैं) जिनका मधुमक्खी पालक आमतौर पर परीक्षण या प्रबंधन नहीं करते हैं।

शोध में कहा गया है कि जिस तरह मनुष्य कमजोरी का अनुभव करता है और उसके हृदय रोग की जांच की जाती है तब मधुमेह या उच्च रक्तचाप का पता चलता है, उसी प्रकार मधुमक्खियां भी कई तरह के तनाव का सामना कर रही हैं।

शोधकर्ताओं ने मधुमक्खी की कॉलोनियों की जांच की और कॉलोनी में चल रही हर चीजों को देखा। फिर सभी कॉलोनियों की तुलना की गई, ताकि यह देखा जा सके कि क्या हो रहा है और सब कुछ एक दूसरे से कैसे संबंधित है। दो या अधिक तनाव वास्तव में एक दूसरे के साथ तालमेल बिठा सकते हैं जिससे मधुमक्खियों के स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

दुनिया भर में मधुमक्खियों की बस्तियों को कुछ सबसे अहम फसलों - सेब, कैनोला तेल और बीज, हाईबश और लोबश ब्लूबेरी, सोयाबीन, क्रैनबेरी और मकई के परागण का काम दिया गया।

अध्ययन में लंबी अवधि तक इस प्रक्रिया को दोहराया गया। शोध दल ने पाया कि मधुमक्खियां एक बार में औसतन 23 तनावों से जूझ रही थीं, जो मिलकर उनमें 307 आंतरिक क्रियाएं पैदा करती हैं।

मधुमक्खी उद्उ  अरबों डॉलर का उद्योग हैं। 2021 में, मधुमक्खियों ने बागों, सब्जियों, जामुन और कैनोला जैसे तिलहनों के परागण से लगभग सात बिलियन डॉलर का आर्थिक मूल्य अर्जित किया और 75 से 90 मिलियन पाउंड के शहद का उत्पादन किया। यह पता लगाना कि कौन से तनावों के प्रबंधित होने पर सबसे अधिक लाभ प्रदान करेंगे, उनसे निपटने के लिए सही उपकरण विकसित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा, कुछ ऐसा जो मधुमक्खी पालकों के पास अक्सर नहीं होता है।

मधुमक्खियां वर्तमान में खराब स्वास्थ्य, कॉलोनी के नुकसान, परजीवियों, रोगजनकों और दुनिया भर में बढ़े हुए तनावों का सामना कर रही हैं। कनाडा और अमेरिका में कुछ मधुमक्खी पालकों को सर्दियों में अपनी कॉलोनियों के 60 प्रतिशत तक के नुकसान का सामना करना पड़ता है।

शोध में शोधकर्ता ने कहा कुछ संयोग बहुत बार हो रहे हैं और हम उन्हें बार-बार देखते हैं, लेकिन हम नहीं जानते कि ये संयोजन मधुमक्खियों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं। यह प्राथमिकता देने में मदद करता है कि हम अब कौन से प्रयोगों को प्रयोगशाला में वापस ले जा सकते हैं और यह स्थापित कर सकते हैं कि ये आंतरिक क्रियाएं मधुमक्खियों को कैसे प्रभावित करती हैं।