वन्य जीव एवं जैव विविधता

हिम तेंदुए को बचाने के लिए स्थानीय लोगों की मदद जरूरी, नेपाल में किया गया सर्वे

Dayanidhi

हिम तेंदुए (पैंथेरा उनिया) को एक 'वल्नरबल प्रजाति' माना जाता है, जो अब करीब 4,000 की संख्या में ही बचे हैं, इसलिए इनकी सुरक्षा को देखते हुए, इनके रहने वाली जगहों को संरक्षित घोषित किया गया है। तेंदुओं को बचाने की इसी कड़ी में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नेपाल के दो संरक्षित क्षेत्रों में जहां हिम तेंदुए और मनुष्य साथ-साथ रहते है, वहां के 705 घरों के लोगों से एक प्रश्नावली के माध्यम से जानकारी एकत्र की, इन संरक्षित क्षेत्रों में -सागरमाथा, और अन्नपूर्णा राष्ट्रीय उद्यान शामिल थे। यह अध्ययन प्लोस वन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

इन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोग हिम तेंदुओं के बारे में क्या सोचते है, उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताया। लोग हिम तेंदुए को पालतू पशुओं के शिकारी के रूप में देखते थे। स्थानीय चरवाहे कभी-कभी अपने पशुओं के शिकार के प्रतिशोध के कारण हिम तेंदुओं को मार देते थे।

दूसरी ओर लोग हिम तेंदुओं को उनकी संस्कृति का हिस्सा मानते थे, इसके अलावा इनसे लोगों को फायदा होता है जैसे- कि पर्यटकों को यहां आकर्षित करना, जो सीधे- सीधे कमाई का एक जरिया है और तेंदुओं द्वारा जंगल में रह, रहें शाकाहारियों का शिकार करके इनकी संख्या को भी नियंत्रित करना है।

अध्ययन में हिम तेंदुओं की रक्षा के लिए स्थानीय तरीको का पता चला, जिसे संरक्षण उपायों के तहत अपनाया जा सकता है। इन उपायों में तेंदुओं की हत्या और उनके शिकार पर प्रतिबंध लगाना, यदि तेंदुए द्वारा पशुओं का शिकार किया जाता है तो बदले में मुआवजा देने की योजनाएं, पर्यावरण से संबंधित शिक्षा और गतिविधियां शामिल हैं।

इसके विपरीत, स्थानीय लोग संरक्षण उपायों के अधिक विरोधी थे, वे मानते हैं कि इन उपायों के लागू होने से उनकी आजीविका प्रभावित होगी, जैसे कि लकड़ी इकट्ठा करके यहां के लोग उसे बाजार में बेचते है, यह उनके आय का एक साधन है, इस पर पाबंदी लगना आदि।

हिम तेंदुओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने वाले लोगों का मानना था कि, संरक्षण उपायों में मिलने वाले लाभों को बढ़ाया जाना चाहिए जैसे मुआवजा देना, संरक्षित क्षेत्रों को लोगों के लिए प्रतिबंधित करने के साथ-साथ वहां रहने वाले स्थानीय लोगों की आजीविका की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।

तेंदुए को बचाने के लिए किए जा रहे इस नए काम से पता चलता है कि, भविष्य में हिम तेंदुए के संरक्षण के प्रयासों की सफलता न केवल सही वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर निर्भर करती है, बल्कि स्थानीय लोगों के दृष्टिकोण और इसकी सुरक्षा के लिए किए जा रहे संरक्षण उपायों पर भी निर्भर करती है।

उत्तर-मध्य नेपाल में अन्नपूर्णा संरक्षण क्षेत्र देश का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। यहां के स्थानीय लोग संरक्षण प्रबंधन व्यवस्था में भाग लेते हैं। हिम तेंदुओं के प्रति उनके दृष्टिकोण को पहली बार 1993 में मापे जाने के बाद से बहुत सुधार हुआ है: उत्तरदाताओं का प्रतिशत जिन्होंने कहा कि उन्हें जानवर अच्छे नहीं लगते है वे अब 60 फीसदी से नीचे गिरकर 4 फीसदी पर आगए हैं।