वन्य जीव एवं जैव विविधता

ग्रेट बैकयार्ड पक्षियों के सर्वे में पाई गई 1,067 प्रजातियां: रिपोर्ट

Dayanidhi

अखिल भारतीय सर्वेक्षण, द ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट (जीबीबीसी) के दौरान 1,067 पक्षियों की प्रजातियों को देखा गया। यह एक सालभर में किया जाने वाला कार्यक्रम है, जो हर फरवरी में 4 दिनों तक चलता है। जिसमें पक्षियों की गिनती करने और पक्षी संरक्षण में योगदान करने के लिए सभी स्तरों के पक्षी प्रेमियों को शामिल किया जाता है।

यह सभी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों को प्रकृति से जुड़ने और हमारी दुनिया को साझा करने वाले पक्षियों के बारे में अधिक जानने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।

जबकि जीबीबीसी के 2022 संस्करण में 3,782 से अधिक पक्षी प्रेमी शामिल थे, जिन्होंने 40,000 से अधिक जानकारी की सूची दर्ज की और 1,017 प्रजातियों को दर्ज किया।

पक्षियों के सर्वे के 11वें संस्करण में, इस वर्ष का आयोजन 17 से 20 फरवरी, 2023 तक रहा, जो अब प्रकाशित हो चुका है। इस आयोजन के 2023 संस्करण में भाग लेने वाले 190 देशों में भारत दूसरे स्थान पर रहा।

द ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट (जीबीबीसी) के चार दिनों के दौरान, पक्षियों को देखने वाले भारतीय या बर्डवॉचर्स ने 46,000 से अधिक जानकारी की सूची और 1,067 पक्षी प्रजातियों को ईबर्ड नामक पेज पर डाला, ईबर्ड पक्षियों के रिकॉर्ड रखने का एक ऑनलाइन मंच है।

जीबीबीसी में 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पक्षी प्रेमियों ने भाग लिया। जबकि केरल ने सबसे अधिक संख्या में जानकारी जो कि 9,786 है दर्ज कीं, पश्चिम बंगाल ने सबसे अधिक संख्या में पक्षी प्रजातियां 489 दर्ज की। त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ के पक्षी प्रेमियों ने संरक्षण के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की।

जबकि ओडिशा, उत्तर प्रदेश, नागालैंड, बिहार, झारखंड और मणिपुर को इस वर्ष जीबीबीसी में उनकी उत्साहपूर्ण भागीदारी के लिए सम्मानित किया गया।

आयोजकों के मुताबिक, जीबीबीसी जैसे कार्यक्रम सिविल सोसाइटी को पक्षी आबादी, वितरण और प्रवास पैटर्न के साथ-साथ उनकी स्थानीय स्थिति का अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। पक्षी प्रजातियों को बेहतर ढंग से समझने और उनकी रक्षा करने के लिए सिटीजन वैज्ञानिकों द्वारा योगदान किए गए आंकड़ों का उपयोग वैज्ञानिकों और संरक्षणवादियों द्वारा भी किया जाता है।

इस आयोजन में भारत की मजबूत भागीदारी देश में पक्षियों को देखने या बर्डवॉचिंग और संरक्षण में बढ़ती रुचि को दर्शाती है और भारतीय उपमहाद्वीप की समृद्ध जैव विविधता पर प्रकाश डालती है। 

बिहार के प्रकृतिवादी और पक्षी प्रेमी ने कहा कि जीबीबीबीसी को सफल बनाने के लिए बिहार के पक्षी प्रेमियों ने एक साथ कड़ी मेहनत की है। परिणाम दिखाते हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अधिक प्रजातियां और जानकारी दर्ज की गई हैं। यह कहना सही होगा कि इस आयोजन ने पक्षियों के प्रति उनके जुनून को बढ़ा दिया है।