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गढ़वा भुखमरी मामला: मानवाधिकार आयोग ने डीएम को तलब किया

अक्टूबर 2021 में गढ़वा जिले में 8 हजार आदिवासियों को तीन महीने तक भुखमरी का सामना करना पड़ा था

DTE Staff

नई दिल्ली स्थित आदिवासी अधिकार संगठन, इंडिजीनियस राइट्स एडवोकेसी सेंटर (आईआरएसी) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा झारखंड के मुख्य सचिव और गढ़वा जिले के जिला मजिस्ट्रेट को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए तलब करने के फैसले का स्वागत किया है।

अदालत ने गढ़वा जिले में लगभग 8,000 आदिवासियों की भुखमरी से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर डीएम को 29 जून 2022 को आयोग के समक्ष पेश होने को कहा है।

अक्टूबर 2021 में, स्थानीय मीडिया में यह खबरें छपी थी कि गढ़वा जिले में तीन महीने के दौरान राशन न मिलने के कारण विशेष रूप से कमजोर जनजातीय के 8,000 आदिवासियों को भुखमरी का सामना करना पड़ा। उनमें से कुछ जंगली जड़ी-बूटी खाकर जिंदा थे।

इन भूखे आदिवासियों की ओर से आईआरएसी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक शिकायत दर्ज की, जिसने एक मामला दर्ज किया और मुख्य सचिव, झारखंड सरकार और जिला मजिस्ट्रेट, गढ़वा जिले को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने के लिए कहा।

आईआरएसी के कार्यकारी निदेशक दिलीप चकमा बताते हैं कि पहला नोटिस 16 नवंबर 2021 को जारी किया गया था और अंतिम नोटिस 8 मार्च 2022 को जारी किया गया, लेकिन मुख्य सचिव और जिला मजिस्ट्रेट दोनों ने नोटिसों की अनदेखी की और एनएचआरसी को रिपोर्ट जमा नहीं की।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेशों का पालन न करना एक गंभीर मामला है। इसलिए हम एनएचआरसी द्वारा की गई सख्त कार्रवाई का स्वागत करते हैं।

अपने आदेश दिनांक 24 मई 2022 में, एनएचआरसी ने झारखंड के मुख्य सचिव और गढ़वा के जिला मजिस्ट्रेट को आवश्यक दस्तावेजों / सूचनाओं के साथ नई दिल्ली में आयोग के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा है। हालांकि, यदि आवश्यक दस्तावेज / सूचना 22 जून 2022 को या उससे पहले प्राप्त होते हैं, तो संबंधित अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति को समाप्त कर दिया जाएगा।

एनएचआरसी के पास शिकायतों की जांच करते समय एक दीवानी न्यायालय के समान शक्ति है और वह किसी भी अधिकारी को समन कर सकता है और किसी भी व्यक्ति को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 13 के तहत जानकारी प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।