वन्य जीव एवं जैव विविधता

गर्म होती जलवायु में परागणकर्ता कीटों को आश्रय देते हैं जंगल

शहरी क्षेत्रों में मधुमक्खियों पर अधिक औसत तापमान का असर दिखाई दिया, जिसके कारण इन इलाकों में उनकी आबादी में गिरावट देखी गई

Dayanidhi

एक नए अध्ययन के मुताबिक हमारी लगभग 75 फीसदी प्रमुख खाद्य फसलें और 80 फीसदी से अधिक जंगली पौधों को कीटों द्वारा परागित करने की जरूरत पड़ती है। केवल फसल परागण का मूल्य ही दुनिया भर में हर साल लगभग 577 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

सबसे महत्वपूर्ण परागणकर्ता मधुमक्खियां हैं, लेकिन ये एकमात्र कीट नहीं हैं जो मनुष्यों और प्रकृति के लिए यह सेवा दे रहे हैं। इनमें मक्खियां, ततैया, गुबरैले, तितलियां और पतंगे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कई अध्ययनों ने हाल के दशकों में दुनिया भर में कीटों की आबादी में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है। अब तक कीटों के लिए उपयुक्त आवासों के नुकसान पर ध्यान केंद्रित किया गया है, उदाहरण के लिए, प्राकृतिक क्षेत्रों का कृषि या शहरी क्षेत्रों में बदलाव आदि।

लेकिन परागण करने वाले कीड़ों के लिए गर्म और शुष्क जलवायु के चलते भूमि उपयोग के क्या परिणाम होते हैं? और संभावित बुरे परिणामों को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है? जूलियस-मैक्सिमिलियंस-यूनिवर्सिटी (जेएमयू) वुर्जबर्ग द्वारा एक नए अध्ययन में इसकी पड़ताल की गई है।

जेएमयू शोध दल और सहयोगी पहली बार यह दिखाने में सफल रहे कि कैसे जलवायु और भूमि उपयोग एक साथ बवेरिया में स्थानीय और परिदृश्य पैमाने पर परागण करने वाले कीड़ों की विविधता को आकार देते हैं।

जंगल, घास के मैदान, कृषि योग्य और शहरी आवासों के 179 जगहों से 3200 से अधिक परागण करने वाली प्रजातियों की पहचानी की गई। अध्ययन में पाया गया कि गर्म जलवायु में परागणक करने वाले जीवों पर इसका भारी असर पड़ता हैं। यह भविष्य में जलवायु में बदलाव होने से परागणक विविधता के अधिकतर  नुकसान होने के बारे में आगाह करता है।

जेएमयू के पशु पारिस्थितिकी और उष्णकटिबंधीय जीव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर बताते हैं कि मधुमक्खियों, मक्खियों, गुबरैले, तितलियों और पतंगों जैसे परागणकों ने गर्म और शुष्क जलवायु के लिए अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दिखाईं। लेकिन वनों के अधिक अनुपात वाली जगहों में अधिक अलग-अलग परागणक पाए गए। इसलिए एक महत्वपूर्ण खोज यह है कि जंगल कुछ हद तक गर्म होती जलवायु के प्रभावों को कम कर सकते हैं।

स्टीफन-डेवेंटर बताते हैं कि अध्ययन इस बात को उजागर करता है कि फूलों के महत्व और भूमि उपयोग के खराब प्रभावों के अलावा, जलवायु परिस्थितियां परागणक विविधता के रखरखाव में अहम भूमिका निभाती हैं। उदाहरण के लिए, उच्च तापमान और कम वर्षा से कुल परागणक विविधता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जबकि शहरी क्षेत्रों में मधुमक्खियों पर अधिक औसत तापमान का असर दिखाई दिया।

परागणकर्ता की क्षमता को बढ़ाने के लिए अधिक परागण विविधता की आवश्यकता होती है। हालांकि जलवायु में हो रहे बदलाव और वर्तमान भूमि उपयोग केवल कुछ परागणक प्रजातियों को विभिन्न आवासों में ही जीवित रहने में मदद करेगा।

शोधकर्ता गनुजा ने कहा हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि परिदृश्य में वन भूमि का एक बड़ा हिस्सा गर्म होती जलवायु से कीटों के लिए शरणगाह के रूप में काम कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जंगल और जंगल के किनारे बड़े पैमाने पर प्राकृतिक स्थितियां होती हैं जो लोगों द्वारा प्रभावित आवासों की तुलना में अत्यधिक गर्मी और सूखे को संभाल सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने एक अन्य सुझाव दिया कि शहरों में हवा के तापमान को कम करना होगा, इसके लिए पेड़ लगाने होंगे। जीव विज्ञानी बताते हैं इससे अधिक मधुमक्खी प्रजातियां शहरी क्षेत्रों में रह पाएंगी। संक्षेप में कहें तो कीट इस विविधता को पसंद करते हैं। फूल वाले पौधे जो यथासंभव अलग-अलग होते हैं, सभी क्षेत्रों में छोटे जीवों के लिए आवश्यक हैं। यह अध्ययन साइंस एडवांस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।