वन्य जीव एवं जैव विविधता

जंगलों को बचाने की कुंजी हैं उसके मूल निवासी

Lalit Maurya

पुरातन जंगल, दुनिया से लुप्त होते जा रहे हैं। आज भी उनका लगभग एक तिहाई से अधिक हिस्सा उनके मूल निवासियों द्वारा संजो कर रखा गया है। जिनपर भी अब विकास के नाम पर काटे जाने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसे बचाने के जद्दोजहद सारी दुनिया में जारी है। अभी हाल ही में दावाग्नि ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के जंगलों को लगभग तबाह कर दिया है। जो स्पष्ट तौर पर जंगलों के प्रबंधन में हो रही ढिलाई को दर्शाता है| पुरातन जंगलों को बचाये रखने के उद्देश्य से किये गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि जंगलों में रहने वाले मूल निवासी आज भी अपने आवास जंगलों को बचाये रखने में सफल रहे हैं। आज भी धरती के बचे 36 फीसदी बचे अनछुए जंगल उसके मूल निवासियों द्वारा ही संजो कर रखे गए हैं। ये जंगल आज भी मानव विकास की भूख से अछूते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैव विविधता को बचाये रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। 

यह लोग आज भी अपने जंगलों और पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। जोकि कई मामलों में आधुनिक संरक्षण तकनीकों की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हुई है। वर्तमान में ये मूल निवासी ब्राज़ील जैसे कई देशों में लगातार हमलों का सामना कर रहे हैं, जहां इनसे इनके घरों को छीन लेने की जंग लगातार जारी है। उदाहरण के लिए ब्राजील को देख लीजिये जहां राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो की सरकार, स्वदेशी भूमि पर खनन को वैध बनाने के लिए भरसक कदम उठा रही है।

मूल निवासियों के अधिकार क्षेत्र से बाहर के जंगलों में दिखी 10 फीसदी की गिरावट

वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 50 देशों में उपग्रहों के माध्यम से स्थानिक विश्लेषण किया हैं, जहां आज भी प्राचीन जंगल बचे हुए हैं। इसके लिए उन्होंने मूल निवासियों की जमीन के नक्शों का भी उपयोग किया है। अध्ययन के अनुसार 2000 के बाद से मूल निवासियों के अधिकार क्षेत्र के अनछुए जंगलों में 8.2 फीसदी की कमी आयी है। जबकि उनके अधिकार से बाहर के जंगलों में इस सदी में 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च द्वारा पिछले महीने जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि अमेजन में जंगलों की कटाई पिछले एक वर्ष में दोगुनी से अधिक हो गई है। जबसे बोल्सनारो ने पदभार संभाला था।

यह अध्ययन फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। जिसके लेखकों ने दुनिया के समस्त देशों से मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में शामिल करने का आह्वान किया है। इस अध्ययन के एक लेखक जॉन फा ने बताया कि वर्तमान में दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग उसे नष्ट कर रही है। जिसका श्रेय आंशिक रूप से क्रमिक सरकारों द्वारा बनायी गयी खराब योजना और संसाधनों के प्रबंधन को दिया जा सकता है।