वन्य जीव एवं जैव विविधता

इंसानी बस्तियों और प्रकृति से मिलने वाले क्षेत्रों के मानचित्रण के लिए बनाया पहला उपकरण

Dayanidhi

विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय की एक टीम के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने उन क्षेत्रों का मानचित्रण करने वाला पहला उपकरण बनाया है जहां वैश्विक स्तर पर लोगों की बस्तियां और प्रकृति मिलती हैं। यह उपकरण, जंगल की आगजूनोटिक रोगों के फैलने और पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता के नुकसान जैसे पर्यावरणीय संघर्षों में सुधार कर सकता है।

ये क्षेत्र जहां लोग और जंगल की भूमि से मिलते हैं उन्हें वन्य-भूमि शहरी मिलन या वाइल्डलैंड अर्बन इंटरफेस (डब्ल्यूयूआई) कहा जाता है। वन्य-भूमि शहरी मिलन (डब्ल्यूयूआई) वह स्थान है जिसमें प्रति 40 एकड़ में कम से कम एक घर है और यह 50 फीसदी जंगली वनस्पति जैसे कि पेड़, झाड़ीदार भूमि, घास के मैदान, आर्द्रभूमि, मैंग्रोव, काई और लाइकेन से ढका हुआ है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, डब्ल्यूयूआई के रूप में जाना जाने वाला क्षेत्र पृथ्वी पर केवल 4.7 फीसदी भूमि को कवर करते हैं, लेकिन लोगों की आबादी का लगभग आधा हिस्सा उनमें रहता है। शोधकर्ता ने बताया कि, बहुत से लोग इन जगहों पर रहना पसंद करते हैं क्योंकि वे प्रकृति की सुविधाओं के करीब रहना पसंद करते हैं।

नेचर में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि, यह प्रकृति के प्रति लोगों की आत्मीयता को दर्शाता है, जो एक अच्छी बात है। अगर लोग सामान्य रूप से कहते हैं, 'नहीं, हमें जंगल के पास कहीं नहीं रहना चाहिए,' तो यह भारी चिंता का विषय है।

लेकिन ये क्षेत्र जंगल की आग, जानवरों से बीमारियों के फैलने, रहने वाले जगहों के नष्ट होने और जैव विविधता के नुकसान जैसे पर्यावरणीय संघर्षों के लिए भी जाने जाते हैं। जबकि जलवायु परिवर्तन से डब्ल्यूयूआई में संभावित पर्यावरणीय संघर्ष बढ़ने का अनुमान है, जनसंख्या वृद्धि से कई स्थानों पर मनुष्यों और जंगली इलाकों के संपर्क में आने की आवृत्ति बढ़ जाती है। यह जानना कि दुनिया भर में दोनों के होने की संभावना भविष्य की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

फिर भी, डब्ल्यूयूआई को केवल विकसित देशों में ही प्रमुखता से लागू किया गया है। हालांकि उच्च-रिज़ॉल्यूशन, वैश्विक दृष्टिकोण का मानचित्रण करने के लिए बहुत सारी जानकारी को समझने की आवश्यकता होती है।

शोधकर्ता के मुताबिक, सबसे बड़ी चुनौती इसमें इस्तेमाल किए गए आंकड़ों की मात्रा है। प्रयोगशाला भवन के तहखाने में दो सर्वर हैं जिन्हें उस उद्देश्य के लिए फिर से सक्रिय किया गया था। ये साधन कई टेराबाइट्स डेटा प्रोसेसिंग को कवर करती है।

अध्ययन में कहा गया है कि, कंप्यूटर प्रोग्राम स्थापित करने के बाद, डब्ल्यूयूआई के रूप में योग्य क्षेत्रों को चुनते हुए, सभी आंकड़ों का विश्लेषण करने में तीन महीने लगे। भूमि कवर और भवन संबंधी आंकड़े  जो कंप्यूटर में डाले गए थे, वह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटाबेस से हासिल किए गए थे और बड़े सर्वर पर जमा किए गए थे।

दुनिया भर में सभी डब्ल्यूयूआई एक जैसे नहीं दिखते हैं या उनका पारिस्थितिकी तंत्र एक जैसा नहीं है। यदि लक्ष्य बेहतर प्रबंधन तरीकों को लागू करने में सक्षम होना है, तो इस बात पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होगी कि इन डब्ल्यूयूआई में किस प्रकार के परिदृश्य बने हैं। आखिरकार, वर्षा वनों का प्रबंधन घास के मैदानों के प्रबंधन से बहुत अलग है।

विशेष रूप से इन बायोम में, जहां अन्य अध्ययनों का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव आग की गंभीरता और आग की आवृत्तियों पर  पड़ेगा, जहां बहुत सारे लोग रहते हैं, ये निश्चित रूप से ऐसे क्षेत्र हैं जहां भविष्य में काम करने की जरूरत पड़ेगी।

अध्ययन के मुताबिक, पोलैंड, अर्जेंटीना और पुर्तगाल जैसे देशों में डब्ल्यूयूआई का पहले से ही लाभ उठाया जा रहा है, लेकिन इस वैश्विक दृष्टिकोण को एक उपकरण के रूप में देखते हैं जो दुनिया भर के भूमि प्रबंधकों को यह जानने में मदद कर सकता है कि उन्हें भविष्य में कहां-कहां नजर रखने की जरूरत है।

जैसे-जैसे जलवायु बदलती है, इनमें से कुछ बायोम में अधिक जंगल की आग दिखाई देगी, अधिक लोग और जानवर पहली बार एक-दूसरे के संपर्क में आएंगे और बीमारी फैलने और पारिस्थितिकी तंत्र में व्यवधान के अधिक घटनाएं होंगी।

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह काम उनके द्वारा दर्ज डब्ल्यूयूआई के आसपास स्थानीय शोध को प्रेरित करेगा, जिससे स्थानीय भूमि प्रबंधकों को बदलाव के लिए बेहतर तैयारी करने में मदद मिलेगी। वन्यजीव-शहरी इंटरफेस के वैश्विक वितरण के बारे में अधिक जानने के लिए, टीम के इंटरैक्टिव टूल बनाया है जिसे ऑनलाइन देखा जा सकता है