नैनीताल के रामनगर वन प्रभाग में पिछले आठ महीने से बीमार हथिनी लक्ष्मी की स्थिति गंभीर हो गई है। वो अब अपने पांवों पर खड़े होने लायक भी नहीं रह गई। सही समय पर, सही इलाज न मिलने की वजह से लक्ष्मी की हालत इतनी गंभीर हुई। आला अधिकारियों के फ़ैसला लेने में हुई देरी के चलते लक्ष्मी को शुरुआती दौर में बेहतर इलाज नहीं मिल सका। लक्ष्मी हथिनी के चारों पैरों में संक्रमण हो गया है। रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ बीपी सिंह बताते हैं कि पहले उसके एक पैर में संक्रमण था। स्थानीय स्तर पर उसके इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। जो भी इलाज किया गया,उससे लक्ष्मी का पैर ठीक नहीं हुआ।
लक्ष्मी के पैरों की दिक्कत धीरे-धीरे बढ़ती गई। संक्रमण चारों पैरों में फैल गया। इस वर्ष जनवरी में उन्होंने पंतनगर से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बुलाई। मार्च और अप्रैल में भी पंतनगर विश्वविद्यालय के डीन डॉ जेल सिंह की टीम ने लक्ष्मी का निरीक्षण किया। कार्बेट नेशनल पार्क के डॉक्टर दुष्यंत शर्मा और डॉ विमल राज को इलाज के लिए उन्होंने जरूरी सलाह दी। लेकिन लक्ष्मी की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। बीपी सिंह कहते हैं कि लक्ष्मी के पैरों का संक्रमण बढ़ता देख, उन्होंने मथुरा में हाथियों के देखभाल की सर्वोच्च संस्था एसओएस एलिफेंट हेल्थ केयर सेंटर ले जाने के लिए उच्च अधिकारियों से बात की।
राज्य की चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन रंजना काला के साथ उनकी बैठक हुई। उन्हें पत्र भी लिखे। डीएफओ बीपी सिंह के मुताबिक लक्ष्मी को मथुरा शिफ्ट करने का फैसला उच्च अधिकारियों को लेना था। लेकिन उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया। इस बीच लक्ष्मी की हालत बिगड़ती चली गई। मथुरा के एसओएस सेंटर से भी डॉक्टर इलियास की टीम ने लक्ष्मी का परीक्षण किया। इसके अलावा अफ्रीका से कार्बेट नेशनल पार्क आए डॉ कोवस राथ ने भी लक्ष्मी की सेहत का परीक्षण किया। लेकिन उसकी लाचारी बढ़ती गई। अप्रैल में उसे कुछ दिनों तक क्रेन के सहारे खड़ा किया गया। अब लक्ष्मी क्रेन के सहारे भी खड़े होने की स्थिति में नहीं है। पैरों के अलावा उसकी किडनी और अन्य अंगों में भी संक्रमण की रिपोर्ट आई है।
डीएफओ बताते हैं कि फिलहाल उसकी स्थिति ज्यादा गंभीर है। पीछे के पैरों में नाखुनों के पास के घाव बढ़ गए हैं। लक्ष्मी को यदि मथुरा एलिफेंट केयर सेंटर भेजा जाता तो शायद उसके ठीक होने की उम्मीद जिंदा रहती। रामनगर वन प्रभाग के डीएफओ कहते हैं कि अब स्थिति हाथ से निकलती जा रही है, वो अब मथुरा ले जाने लायक स्थिति में भी नहीं है।
डीएफओ बीपी सिंह बताते हैं कि लक्ष्मी समेत आठ हाथियों को पिछले वर्ष नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रामनगर वन प्रभाग में लाया गया था। इससे पहले वे कार्बेट नेशनल पार्क के बाहर हिस्से में पड़ने वाले क्षेत्र ढेकुली के रिजॉर्ट पर थे। रिजॉर्ट वाले हाथियों का कमर्शियल इस्तेमाल कर रहे थे। वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत ये प्रतिबंधित है। इसी पर फैसला सुनाते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने लक्ष्मी और अन्य हाथियों को रामनगर वन प्रभाग को सौंपा। लक्ष्मी की उम्र 55 से 60 वर्ष के बीच है। बीपी सिंह कहते हैं कि चूंकि वो ज्यादातर समय रिजॉर्ट में रही है और जंगली हाथियों की तरह उसका जीवन नहीं गुजरा है। इसलिए ऐसे हाथियों की औसत उम्र कम ही होती है।
लक्ष्मी को इलाज के लिए मथुरा ले जाने का फ़ैसला यदि कुछ समय पहले लिया जा पाता, तो उसकी सेहत ठीक होने की कुछ उम्मीद बची रहती। अभी ये बेजुबान अपने शरीर के दर्द के साथ जीेने को विवश है।