वन्य जीव एवं जैव विविधता

ओरछा वन्य जीव अभ्यारण्य के इको सेंसिटिव जोन में अवैध खनन के आरोपों की जांच के लिए समिति गठित

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निवाड़ी में चल रहे स्टोन क्रशर और अवैध खदानों के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला मध्यप्रदेश के निवाड़ी में ओरछा वन्य जीव अभ्यारण्य के इको सेंसिटिव जोन से जुड़ा है।

इस समिति में निवाड़ी के कलेक्टर और मध्य प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगें। अदालत ने समिति को छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

मामले में आवेदक का कहना है कि दो जनवरी 2018 को इस क्षेत्र को ओरछा वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर दिया गया था, जोकि पर्यावरण के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। इन इकाइयों के संचालन से यहां की समृद्ध वनस्पतियों और जैवविविधता के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो गया है। साथ ही इससे क्षेत्र में लोगों और वन्यजीवों दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

उनका यह भी आरोप है कि यह खनन इकाइयां कई कानूनों को ताक पर रख चल रही हैं, जिनमें 1980 का वन संरक्षण अधिनियम, 1996 का मध्य प्रदेश लघु खनिज नियम, 1974 का जल (रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, और वायु प्रदूषण अधिनियम, 1981 शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आवेदक का यह भी कहना है कि खनिकों में से एक ने वहां मौजूद नाले पर एक अस्थाई पुल का निर्माण किया है, जिससे उसका प्रवाह बाधित हो गया है।

हरदा के जलमग्न क्षेत्र में रेत खनन पट्टों की नीलामी का मामला, एनजीटी ने जांच के दिए आदेश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरदा के जलमग्न क्षेत्रों में रेत खनन पट्टों की नीलामी के दावों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है। मामला मध्य प्रदेश के हरदा जिले का है। आरोप है कि यह कार्रवाई मध्य प्रदेश रेत (खनन, परिवहन, भंडारण और व्यापार) नियम 2019 का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है।

ट्रिब्यूनल ने समिति से छह सप्ताह के भीतर इस मामले में की  गई कार्रवाई पर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

साथ ही एनजीटी ने इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, मध्य प्रदेश राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, खनिज संसाधन विभाग, भूविज्ञान और खान निदेशक और अन्य को नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। इस सभी उत्तरदाताओं को अगली सुनवाई से पहले अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई नौ जुलाई 2024 को होनी है।

गौरतलब है कि प्रभात मोहन पांडे ने इस मामले में एनजीटी के समक्ष शिकायत की थी। इस शिकायत के मुताबिक रेत खदानों की कोई पहचान या स्थान नहीं है। साथ ही खनन के पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए कोई जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) भी तैयार नहीं की गई है।