वसंत विहार में पेड़ों की अवैध रूप से की जा रही कटाई-छंटाई के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली नगर निगम के आयुक्त से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने एमसीडी के साथ उप वन संरक्षक, पश्चिम वन प्रभाग और वसंत विहार वेलफेयर एसोसिएशन को भी मामले पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
आवेदकों ने कोर्ट को जानकारी दी है कि 30 सितंबर, 2022 को वसंत विहार में बिना किसी अनुमति के कुछ पेड़ काटे और गिराए गए थे और इस संबंध में संजीव बागई द्वारा विभिन्न अधिकारियों के पास 28 अक्टूबर, 2022 को शिकायत भी दर्ज कराई गई थी।
इस बारे में 18 नवंबर, 2022 को आवेदकों को एक व्हाट्सएप भी मिला था, जिसमें कहा गया था कि वसंत विहार में लगभग 7,000 पेड़ हैं, जिनकी छंटाई लंबे समय से बाकी है और वो छंटाई 21 नवंबर, 2022 से शुरू होगी।
आगे यह कहा गया कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के पास छंटाई के पर्याप्त साधन नहीं हैं और उन्हें वसंत विहार में पेड़ों की छंटाई करने में अपनी असमर्थता से अवगत कराया गया। आवेदकों ने इस पर आपत्ति जताई और सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत एमसीडी से इस बाबत जानकारी मांगी, लेकिन उनको कोई जवाब नहीं मिला।
हालांकि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 और पेड़ों की छंटाई के लिए 1 अक्टूबर, 2019 को जारी दिशा-निर्देशों के तहत आवश्यक अनुमति लिए बिना ही ठेकेदार ने 20 नवंबर, 2022 से वसंत विहार में पेड़ों की छंटाई शुरू कर दी थी। ऐसे में आवेदकों ने संबंधित अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अपशिष्ट संबंधी मानदंडों का उल्लंघन कर रहे हैं रेवाड़ी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
रेवाड़ी के लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा संचालित पांच सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा संचालित एक एसटीपी हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं हैं। यह जानकारी एनजीटी द्वारा 30 सितंबर 2022 को दिए आदेश से गठित संयुक्त समिति की रिपोर्ट में सामने आई है।
संयुक्त समिति ने निरीक्षण के दौरान एसटीपी के इनलेट और आउटलेट से नमूने एकत्र किए थे और उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा था। इन नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि पैरामीटर निर्धारित सीमा से अधिक पाए गए हैं।
संयुक्त समिति ने निरीक्षण के दौरान एसटीपी के इनलेट और आउटलेट से नमूने एकत्र किए थे और उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा था। इन नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि पैरामीटर निर्धारित सीमा से अधिक पाए गए हैं। ऐसे में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिन पांच एसटीपी के नमूने निर्धारित सीमा से अधिक पाए गए हैं उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया है।
समिति ने सिफारिश की है कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी), रेवाड़ी और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) को अपने नियंत्रण में आने वाले एसटीपी को अपग्रेड करने या उसमें सुधार करने की जरूरत है, जिससे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए तय सीवेज/एफ्लुएंट डिस्चार्ज मानकों को बनाए रखा जा सके।
आवेदक ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि रेवाड़ी में मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकले सीवेज को दिल्ली जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर गांव खरखरा, खलियावास के पास सहाबी नदी की सैकड़ों एकड़ खाली भूमि में छोड़ा जा रहा है।
वहां रुके हुए सीवेज ने पेड़ों और अन्य वनस्पतियों को नष्ट कर दिया है। इसके चलते खरखरा, खलियावास, भटसाना, तातरूप, निखरी, मसानी, रसगान, डूंगरवास, तिथरपुर, अलवलपुर, धारूहेड़ा गांव के निवासी दूषित भूजल पीने के कारण महामारी और पानी से जुड़े रोगों की चपेट में आ गए हैं।