वन्य जीव एवं जैव विविधता

कुफ्री में घोड़ा मालिकों ने बनाई अवैध सड़क, जांच के आदेश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थल कुफ्री में हो रहे पारिस्थितिकी विनाश के मामले को देखने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संयुक्त समिति को निर्देश दिया है। कुफ्री, शिमला के नजदीक है। यह निर्देश 13 मार्च, 2023 को जारी किया गया है।

इस समिति में शिमला के मंडल वन अधिकारी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शिमला के जिला मजिस्ट्रेट इसमें शामिल होंगें। समिति साइट का दौरा करने के साथ जरूरी जानकारियां करेगी और उसपर एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। कोर्ट ने रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समिति को दो माह का समय दिया है।

पेशे से अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार यादव ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया कि पिछले दो दशकों से कुफ्री में बर्फबारी कम हो रही है। इसके कारण जल स्रोत सूख रहे हैं और सर्दियों के मौसम में ज्यादातर समय शिमला में बर्फ नहीं जमी है। 

कुफ्री के आसपास 8 से 10 वर्ग किलोमीटर के छोटे से क्षेत्र में लगभग 700 से 800 घोड़े काम कर रहे हैं, जो आरक्षित वन और जलग्रहण क्षेत्र के किनारे पर है। इन घोड़ों की अनियंत्रित आवाजाही ने क्षेत्र में जीवों और वनस्पतियों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।

वहीं स्थानीय प्रशासन ने वन के निषिद्ध क्षेत्र में घोड़ों को खड़ा करने के लिए एक विशाल क्षेत्र उपलब्ध कराया है। आवेदक ने कहा कि दिन भर चलने के बाद, इन घोड़ों के मालिकों ने घोड़ों को आसपास के जंगलों में छोड़ दिया था। इससे देवदार के पेड़ की जड़ों के साथ-साथ अन्य वनस्पति और जीवों को गंभीर नुकसान पहुंचा है।

इतना ही नहीं, कुफ्री से लगभग एक किलोमीटर दूर चैल कुफ्री मार्ग पर घोड़े के मालिकों ने जेसीबी मशीन का उपयोग करके अवैध सड़क का निर्माण किया है, जो पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि हालांकि वन अधिकारियों को इसकी जानकारी थी इसके बावजूद उन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।

एसीसी सीमेंट द्वारा किए जा रहे प्रदूषण की जांच के लिए समिति गठित

एनजीटी ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चंद्रपुर के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति को एसीसी चंदा सीमेंट कंपनी द्वारा किए जा रहे प्रदूषण के मामले को देखने का निर्देश दिया है। मामला महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले के नाकोड़ा गांव का है।

कोर्ट ने समिति को दो महीने के भीतर साइट का दौरा करने के साथ प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने और यदि पर्यावरण कानूनों और नियमों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन पाया जाता है तो उसके खिलाफ उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने कहा है कि चंद्रपुर के जिला मजिस्ट्रेट समिति में समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होंगे।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता सुरेश मल्हारी पैकाराव का कहना है कि सीमेंट कंपनी कथित तौर पर बेकार कपड़े, एक्सपायर्ड दवाएं, बाल, जानवरों के शव और प्लास्टिक को जला रही थी, जिससे स्थानीय निवासियों, मवेशियों और कृषि भूमि के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। उनका कहना है कि ईंधन के रूप में जलाने के लिए कचरा नागपुर, मुंबई, पुणे, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और बेंगलुरु जैसे शहरों से लाया जाता है।

इसकी वजह से वर्धा नदी क्षेत्र में हवा का तापमान और जल प्रदूषण में वृद्धि हो रही है, जोकि इस क्षेत्र में पानी का एकमात्र स्रोत है। इसके दूषित होने से स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। आवेदन में जानकारी दी गई है कि आवासीय क्षेत्र से 40 से 50 मीटर की दूरी पर सीमेंट कंपनी के आसपास बड़ी संख्या में ट्रक खड़े हैं और इससे ध्वनि और वायु प्रदूषण भी हो रहा है।

सूरत में दूषित कचरा छोड़ रही प्रिंटिंग मिल: एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

मधुसूदन रंगाई और छपाई मिलों के खिलाफ दायर प्रदूषण की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, एनजीटी ने एक संयुक्त समिति को साइट का दौरा करने और प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने का निर्देश दिया है। मामला गुजरात के सूरत का है।

इस मामले में एनजीटी ने 13 मार्च, 2023 को कहा है कि अगर किसी भी रूप से पर्यावरण कानूनों और नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो दो महीने के भीतर कानून को ध्यान में रखते हुई जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

शिकायत यह थी कि मधुसूदन डाइंग एंड प्रिंटिंग मिल्स दूषित कचरे और सीवेज को नहर में बहा रही है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और इससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।

एनजीटी ने बायो-मेडिकल वेस्ट प्लांट पर लगे आरोपों की जांच के दिए निर्देश

एनजीटी ने मुंबई के बीचोबीच और मानखुर्द-गोवंडी की झुग्गी बस्ती से सटे बायो-मेडिकल वेस्ट प्लांट के आरोपों पर एक संयुक्त समिति से रिपोर्ट मांगी है। यह वेस्ट प्लांट एसएमएस एनवोक्लीन प्राइवेट लिमिटेड का है।

इस समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। समिति को साइट का दौरा करने और प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के बाद, अगले दो महीनों के भीतर अपनी कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।