बिजली की तारें छत्तीसगढ़ में वन्य प्राणियों के लिए अभिशाप बन गई हैं। इसके चपेट में आने के कारण से पिछले 2 वर्षों में 200 वन्य प्राणी मारे जा चुके हैं। इसके चपेट में आने से जवान भी खुद को नहीं बचा पा रहे हैं।
5 नवंबर 2020 को बीजापुर के चिन्नाकोड़ेपाल के जंगल में एंटी-नक्सल आपरेशन अभियान में गए जवान श्रीधर की मृत्यु विधुत तार के चपेट में आने से हो गई।
वहीं पर वन विभाग ने इसी वर्ष 28 अक्टूबर को एक तेंदुआ की मौत के सिलिसिले में जशपुर के पत्थलगांव से चार लोगों को पकड़ा । इन पर जंगल में एक तेंदुआ को करेंट लगाकर मारने के आरोप है। पिछले वर्ष कवर्धा के जंगलों में बैल के साथ का शिकार करने पहुंचा तेंदुआ का शव मिला। जांच के बाद पता चला अज्ञात शिकारी ने तार में करेंट प्रवाहित कर उसे जमीन पर छोड़ दिया था। जिसमें तीनों मारे गए। इसी प्रकार मुंगेंली जिले के खुड़िया जंगल में एक और तेंदुआ की मौत करेंट लगने के हो गई। इसी अगस्त महीने में महासमुदं में दो भालुओं की मौत करंट लगने के कारण हो गई। प्रदेश में भालू ही नहीं, चीतल, सांभर, जंगली सूअर, गौर आदि वन्य प्राणियों की बड़े पैमाने पर शिकार बिजली के तारों में फंसने के कारण हो चुकी है।
वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में करीब 200 से अधिक जंगली जानवर की मौत करंट लगने के कारण हुई।
करंट से बड़ी संख्या में हाथियों की मौतें-
हाथियों के संदर्भ में यह आंकड़ा और भी भयावह है। छत्तीसगढ़ वन विभाग के एपीसीसीएफ अरूण पांडे बताते हैं पिछले 10 वर्षों में पूरे प्रदेश भर में 47 हाथियों की मौत करंट के चपेट में आने के कारण से हुआ। उनमें से सर्वाधिक 21 हाथी यानि कि करीब 45 प्रतिशत करंट लगने से हाथियों मौत धरमजयगढ़ फारेस्ट डिवीजन में हुआ।
धरमजयगढ़ में हाथियों के अधिक मौत के पीछे की वजह इस क्षेत्र का हाथी विचरण क्षेत्र होना तथा बड़ी संख्या में अवैध नल कनेक्शन होना है। यह वही क्षेत्र है जो महत्वाकांक्षी लेमरू एलिफेंट रिजर्व के लिए प्रस्तावित है।
अवैध नल कनेक्शन और जंगली सूअर का मांस-
वन विभाग की एक रिपोर्ट कहती है कि इस क्षेत्र में करीब 3500 से अधिक अवैध नल कनेक्शन है।
आरोप है कि किसानों ने खेतों में बोर करा लिए हैं और खुले तारों से बिजली का अवैध कनेक्शन ले लिया है। हाथी दल रात में विचरण करते हुए जब खेत पहुंचते हैं, तो खुले तारों की चपेट में आने से मर जाते हैं।
वाईल्ड लाईफ एक्टिविस्ट नितिन सिंघवी इसके लिए वन और बिजली विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत, लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि ये सरकारी अधिकारी और कर्मचारी विधुत के अवैध कनेक्शनों को चेक नहीं करते। दूसरी बात बिजली विभाग के नए तार जो गुजरें हैं वह मानकों के हिसाब से नहीं लगाएं गए हैं। नितिन सिंघवी वन्य जीवों को बचाने के लिए हाई कोर्ट में पीआईएल भी लगा चुके हैं।
वन्य जीव बचाने लगेंगे 1,674 करोड़ रुपये
सुनवाई के दौरान विद्युत वितरण कंपनी ने वन क्षेत्रों में नीचे जा रही बिजली के नंगे तारों को कवर्ड कंडक्टर यानि इन्सुलेटेड वायर में बदलने के लिए वन विभाग 1,674 करोड़ रुपये की मागं की थी। जो अब तक कंपनी को नहीं मिलें हैं।
इस पर एपीसीसीएफ अरूण पांडेय कहते हैं इस संदर्भ में प्रक्रिया चल रही है। पर बात यहां पर मेंटलिटी की भी है। वन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों वन सूअर के मांस को काफी उच्च क्वालिटि का मानते हैं और अक्सर इसका शिकार हेतु खेतों और वनों में विधुत प्रवाह कर देते हैं। जिससे लगातार मौतें हो रही है। इस पर अंकुश लगाने विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है।