डाउन टू अर्थ, हिंदी मासिक पत्रिका के चार साल पूरे होने पर एक विशेषांक प्रकाशित किया गया है, जिसमें मौजूदा युग जिसे एंथ्रोपोसीन यानी मानव युग कहा जा रहा है पर विस्तृत जानकारियां दी गई है। इस विशेष लेख के कुछ भाग वेबसाइट पर प्रकाशित किए जा रहे हैं। पहली कड़ी में आपने पढ़ा- नए युग में धरती : कहानी हमारे अत्याचारों की । दूसरी कड़ी में आपने पढ़ा- नए युग में धरती: वर्तमान और भूतकाल तीसरी कड़ी में आपने पढ़ा - नए युग में धरती: नष्ट हो चुका है प्रकृति का मूल चरित्र । चौथी कड़ी में आपने पढ़ा- छठे महाविनाश की लिखी जा रही है पटकथा । पढ़ें, अगली कड़ी-
अफ्रीकी हाथियों की विलुप्ति के लिए एशिया जिम्मेदार होगा। यह बात उस अध्ययन में कही गई है, जिसमें पहली बार हाथियों के अवैध शिकार की संख्यात्मक तस्वीर पेश की गई है। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन “हाथी दांत के लिए अवैध शिकार से अफ्रीकी हाथियों की संख्या में वैश्विक गिरावट” के अनुसार, हाथी दांत का उपभोग अव्यावहार्य है और इसके चलते अफ्रीकी हाथियों की संख्या में नाटकीय गिरावट आई है।
कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के वार्नर कॉलेज ऑफ नैचरल रिसोर्सेज के मत्स्य, वन्यजीव एवं संरक्षण जीव विज्ञान विभाग में प्रोफेसर जॉर्ज विटमायर के नेतृत्व में हुआ यह नया अध्ययन बताता है कि अवैध शिकारियों ने 2010 से 2012 के बीच पूरे अफ्रीका में अनुमानतः एक लाख हाथी (लोक्सोडोंटा अफ्रीकाना) मार दिए। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि हाथी दांत की मांग पूरी करने के लिए बीते तीन वर्षों में हर साल औसतन 33,630 हाथी खोने पड़े। हाथी दांत की यह मांग खासकर चीन एवं अन्य एशियाई देशों से आती है। अध्ययन का निष्कर्ष है कि पिछले दशक में अफ्रीका के शेष भागों के विपरीत मध्य अफ्रीकी जंगलों के हाथियों की संख्या में गिरावट आई है।
इस अध्ययन के सहलेखकों में जोसेफ एम नॉर्थ्रप, जूलियन ब्लांक, आयन डगलस-हैमिल्टन पैट्रिक ऑमंडी एवं केनेथ पीबी बर्नहम शामिल हैं। अनुसंधान के लिए विटमायर ने एक हालिया विश्लेषण का उपयोग किया और आंकड़ों का संकलन साइट्स माइक कार्यक्रम के तहत किया गया। हाथियों के अवैध शिकार में हाथी दांत व्यवसाय की भूमिका विषय पर किए गए इस खोजपूर्ण अध्ययन में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा। माइक हाथियों की मृत्यु का एक सर्वेक्षण है जिसका संयोजन विलुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय विषयक सम्मेलन (कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडैंजर्ड स्पिसीज, सीआईटीईएस) करता है।
साइट्स की हाथी व्यवसाय सूचना प्रणाली एलीफैंट ट्रेड इन्फॉर्मेशन सिस्टम (ईटीआईएस) द्वारा इस विषय पर किए गए नवीनतम विश्लेषण का शीर्षक है, “हाथी दांत एवं हाथी के अन्य अवयवों के अवैध व्यापार की निगरानी, दिसंबर 2013”। इसमें भी यह बात कही गई है कि हाथी दांत का अवैध व्यापार बहुत अधिक बढ़ चुका है। पिछले 16 वर्षों में तो यह उच्चतम स्तर तक पहुंच चुका है।
बड़े पैमाने पर (800 किलो से अधिक) हाथी दांत जब्त किए जाने जैसी कार्यवाहियां बढ़ी हैं। इससे पता चलता है कि हाथीदांत की अवैध सप्लाई बड़े स्तर पर हो रही है। मध्य केन्या स्थित सम्बुरु नेशनल रिजर्व में हाथियों की संख्या पर एक अनूठा शोध किया गया, जिसका शीर्षक “कंपरेटिव डेमोग्राफी ऑफ ऐन ऐट रिस्क अफ्रीकन एलीफैंट पॉपुलेशन” है। इस शोध में महामारी की तरह फैल रहे हाथियों के अवैध शिकार की प्रवृत्ति के संबंध में बहुत व्यथित करने वाली स्थितियों का व्यापक वर्णन है। विटमायर के संयोजन में हुए और गत वर्ष प्लॉस वन में प्रकाशित इस शोध से इस अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण सूचनाएं एवं आंकड़े मिले। विटमायर के अनुसार, इस अध्ययन में जो अनुमान लगाए गए हैं, वास्तविकता उससे भी अधिक भयावह हो सकती है क्योंकि अवैध शिकारियों के निशाने पर बहुत बड़े कद वाले वयस्क हाथी होते हैं, क्योंकि उनके दांत बड़े होते हैं, जिनकी मृत्यु के साथ-साथ जन्मदर भी घट जाती है। इससे हाथियों का आपसी संपर्क नष्ट हो जाता है।
वह कहते हैं कि उनका नवीनतम अध्ययन ही ऐसा पहला अध्ययन है जो हाथियों के अवैध संहार की गंभीरता की स्पष्ट तस्वीर आंकड़ों सहित प्रस्तुत करता है और यह भी स्पष्ट करता है कि इस स्तर पर अवैध शिकार के चलते यह प्रजाति ही विलुप्त होने की ओर बढ़ रही है। उनकी अपेक्षा है और इसे लेकर वे आशान्वित भी हैं कि उनका यह शोध विश्व स्तर पर प्रचारित व प्रसारित होगा तथा उन लोगों तक पहुंचेगा, जो हाथीदांत के प्रसंस्करण के काम से जुड़े हैं। इससे इस उत्पाद की मांग घटाने में मदद मिल सकेगी।” (देखें- जॉर्ज विटमायर स्पीक अबाउट हिज वर्क)। इसी क्रम में साइट्स सचिवालय, आईयूसीएन/एसएससी अफ्रीकीन एलीफैंट स्पेशलिस्ट ग्रुप और ट्रैफिक द्वारा साझा तौर पर प्रस्तुत की गई एक अन्य रिपोर्ट “स्टेटस ऑफ अफ्रीकन एलिफैंट पॉपुलेशंस एंड लेवल्स ऑफ इल्लीगल किलिंग्स एंड द इल्लीगर ट्रेड इन आइवरी” भी यह स्पष्ट करती है कि बड़े पैमाने पर हो रहे हाथियों के अवैध शिकार के चलते कितनी तेजी से हाथियों की जनसंख्या घट रही है। क्योंकि इसके चलते स्वस्थ हाथियों की जन्म दर भी घट जाती है।
यह अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि 2008 तक पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में हाथियों की बहुत अच्छी आबादी थी, लेकिन फिर यह घटने लगी। अब पूरे महाद्वीप में लगभग 75 प्रतिशत आबादी सिकुड़ रही है। वन्यजीव व्यवसाय की निगरानी में लगे नेटवर्क ट्रैफिक की ओर से आई एक रिपोर्ट अवैध शिकार और हाथी दांत के अवैध व्यवसाय के चलते अफ्रीकी हाथियों पर मंडराते गंभीर संकट के बारे में बताती है। साथ ही, इस रिपोर्ट में हाथियों के रहवास के परिक्षेत्र में आई कमी पर भी चिंता जताई गई है। क्योंकि आगे चलकर यह इस प्रजाति के अस्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण दीर्घकालिक संकट का कारण बनेगा। यह रिपोर्ट दिसंबर, 2013 में हुए अफ्रीकी हाथियों से संबंधित एक शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत की गई थी।
इसके पूर्व इसी महीने वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी द्वारा 7 अगस्त को जारी किए गए शोधपत्र का निष्कर्ष है कि भ्रष्टाचार, संगठित अपराध और प्रवर्तन की कमी हाथी दांत के किसी भी वैध व्यवसाय को अफ्रीकी हाथियों की आबादी के क्षरण का एक बड़ा कारक बना देते हैं। अतः हाथियों को बचाने के लिए यह अनिवार्य है कि हाथी दांत के सारे व्यापार बंद कर दिए जाएं और हाथी दांत के पूरे उपलब्ध स्टॉक को नष्ट कर दिया जाए।
अफ्रीका के जिन राज्यों में हाथी दांत का व्यवसाय फल-फूल रहा है, वे इस खराब व्यवस्था को कम करने के लिए कुछ प्रयास भी कर रहे हैं। बोत्स्वाना सरकार एवं प्रकृति-संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) द्वारा संयुक्त रूप से दिसंबर 2013 में गैबोरोन में आयोजित अफ्रीकी हाथियों से संबंधित शिखर सम्मेलन (अफ्रीकन एलीफैंट समिट) में वे साथ आए थे। साथ ही, हाथियों के अवैध शिकार तथा हाथी दांत के अवैध कारोबार की प्रवृत्ति को रोककर इस चलन को उलटने एवं पूरे महाद्वीप में हाथियों की आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 14 आवश्यक उपायों को सर्वसम्मति से अपनाया था।
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