वन्य जीव एवं जैव विविधता

खोज: गैलापागोस में मिली नई और बहुत बड़ी कछुए की प्रजाति

20वीं सदी के खोजकर्ता गैलापागोस द्वीप के उत्तर-पूर्व के निचले इलाकों में कभी नहीं पहुंचे, जहां आज ये जानवर रहते हैं, जिसके चलते यहां लगभग 8,000 कछुए एक अलग वंश से मेल खाते हैं

Dayanidhi

वर्तमान में मानवजनित पर्यावरणीय बदलावों के कारण प्रजातियां तेजी से विलुप्त हो रही हैं। कुछ मामलों में विलुप्त घोषित की गए प्रजातियों को फिर से हासिल किया जा सकता है। इसी क्रम में गैलापागोस द्वीप समूह के एक दूर ज्वालामुखी का इलाका पहले से विलुप्त घोषित प्रजातियों के कई विशाल कछुओं का घर है जिनमें चेलोनोइडिस हाथीपोपस या फ्लोरियाना नामक कछुआ भी शामिल है।

अब डीएनए परीक्षण के बाद गैलापागोस द्वीप में विशालकाय कछुए की एक नई प्रजाति की खोज की गई है। जिसमें पता चला है कि यह इस द्वीप में रहने वाले जानवरों के बीच पहली बार दर्ज किया गया है। इस बात की जानकारी इक्वाडोर के पर्यावरण मंत्रालय ने दी है।

शोधकर्ताओं ने वर्तमान में सैन क्रिस्टोबाल में रहने वाले कछुओं की आनुवंशिक सामग्री की तुलना 1906 में द्वीप के ऊंचाई वाले इलाके की एक गुफा से एकत्र की गई हड्डियों और गोले से की। शोधकर्ताओं ने तुलना में दोनों को अलग पाया।  

20वीं सदी के खोजकर्ता गैलापागोस द्वीप के उत्तर-पूर्व के निचले इलाकों में कभी नहीं पहुंचे, जहां आज ये जानवर रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप लगभग 8,000 कछुए एक अलग वंश से मेल खाते हैं जैसा कि पहले सोचा गया था।

मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि सैन क्रिस्टोबाल  द्वीप में रहने वाले विशाल कछुए की प्रजाति, जिसे अब तक वैज्ञानिक रूप से चेलोनोइडिस चैथामेंसिस के रूप में जाना जाता है, आनुवंशिक रूप से एक अलग प्रजाति से मेल खाती है। यहां बताते चले कि मंत्रालय ने विशाल कछुए की प्रजाति के बारे में ट्विटर पर भी जानकारी साझा की है।

गैलापागोस कंजरवेंसी ने बताया कि चेलोनोइडिस चैथामेन्सिस लगभग एक विलुप्त प्रजाति है और यह द्वीप वास्तव में कछुओं की दो अलग-अलग किस्मों का घर रहा है, एक ऊंचाई वाले इलाकों में रहता है और दूसरा तराई इलाके में।

गैलापागोस द्वीप इक्वाडोर के तट से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर प्रशांत क्षेत्र में स्थित। गैलापागोस द्वीप एक संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र है और यह वनस्पतियों और जीवों की अनोखी प्रजातियों का घर है।

इस द्वीपसमूह को ब्रिटिश भू-विज्ञानी और प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन की वहां के विकास के अवलोकन से प्रसिद्ध किया था। गैलापागोस नेशनल पार्क के अनुसार, द्वीपों पर मूल रूप से विशाल कछुओं की 15 प्रजातियां थीं, जिनमें से 3 सदियां पहले विलुप्त हो गई थीं।

2019 में प्रजातियों के विलुप्त माने जाने के 100 से अधिक वर्षों के बाद फर्नांडीना द्वीप पर चेलोनोइडिस फैंटास्टिका का एक नमूना पाया गया था। ब्रिटेन में न्यूकैसल विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका में येल, अमेरिकी एनजीओ गैलापागोस कंजरवेंसी और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन को वैज्ञानिक पत्रिका हेरीडिटी में प्रकाशित किया गया था।

शोधकर्ताओं ने कहा वे यह निर्धारित करने के लिए हड्डियों और गोले से अधिक डीएनए फिर से हासिल करना जारी रखेंगे, कि क्या सैन क्रिस्टोबाल  पर रहने वाले कछुओं को, जो कि 557 किलोमीटर लंबा है, इसे एक नया नाम दिया जाना चाहिए।