वन्य जीव एवं जैव विविधता

बाघों के अवैध शिकार का प्रमुख केंद्र बना हुआ है बांग्लादेश

अध्ययन के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर अवैध शिकार बाघों के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा है और चीन पारंपरिक चिकित्सा में उनके शरीर के अंगों के उपयोग के लिए मांग का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है

Dayanidhi

अस्थिर वन्यजीव व्यापार कई प्रजातियों के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा है, लेकिन व्यापार की मात्रा निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, क्योंकि बाघ जब्ती रिकॉर्ड से संबंधित आंकड़े पूरी जानकारी नहीं देते हैं। इस कारण से, यदि समस्या को बेहतर ढंग से समझना है तो व्यापार में शामिल लोगों के साक्षात्कार सहित कई प्रकार की जानकारी को जमा करना जरूरी है।

इसलिए, इस अध्ययन में, व्यापार करने के तरीकों की पहचान करने के लिए बांग्लादेश वन विभाग ने बाघ जब्ती रिकॉर्ड को डिजिटल बनाया। उन्होंने शिकारियों, तस्करों और व्यापारियों सहित बांग्लादेश के वायु, समुद्र और भूमि बंदरगाहों के माध्यम से बाघों की तस्करी में शामिल 163 लोगों का साक्षात्कार किया।

अध्ययन में कहा गया है कि, व्यापार में शामिल समुद्री डाकुओं के समूहों पर सफल कार्रवाई के सरकारी दावों के बावजूद बांग्लादेश लुप्तप्राय बाघों के अवैध शिकार का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

भारत और बांग्लादेश तक फैला विशाल सुंदरवन, मैंग्रोव वन दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले बंगाल के बाघों का घर है।

बाघों की खालों, हड्डियों और मांस को काले बाजारियों द्वारा भारी मात्रा में अवैध वन्यजीव व्यापार के रूप में खरीदा जाता है, वैश्विक स्तर जिसका मूल्य हर साल लगभग 20 बिलियन डॉलर है।

बड़ी बिल्लियों के संरक्षण समूह पैंथेरा और चीनी विज्ञान अकादमी के शोध में कहा गया है कि सुंदरबन में बाघ के काटे गए अंगों को 15 देशों में निर्यात किया गया, जिनमें भारत और चीन सबसे आम गंतव्य हैं।

सह-अध्ययनकर्ता ने कहा, बांग्लादेश बाघ के अवैध व्यापार में जितना हमने पहले सोचा गया था उससे कहीं अधिक भूमिका निभाता है।

2016 में शुरू हुई सरकारी कार्रवाई से पहले सुंदरबन में सक्रिय समुद्री डाकू समूहों को बाघ के अवैध शिकार एक आकर्षक व्यापार मिला। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कम से कम 117 समुद्री डाकू मारे गए और सैकड़ों अन्य को हिरासत में लिया गया, जबकि कई अन्य ने आत्मसमर्पण कर दिया।

लेकिन कंजर्वेशन साइंस एंड प्रैक्टिस जर्नल में प्रकाशित पेंथेरा के शोध में कहा गया है कि कार्रवाई से पैदा हुए खालीपन को 30 से अधिक विशेषज्ञ बाघ शिकार सिंडिकेट और अवसरवादी शिकारियों ने फिर से भर दिया है।

अध्ययन में कहा गया है कि व्यापारी अपनी स्वयं की कंपनियों के माध्यम से काम करते थे और कुछ मामलों में कानूनी वन्यजीव व्यापार के लाइसेंस के द्वारा अपनी गतिविधियों को छिपाते हैं।

अध्ययन आंशिक रूप से वन्यजीव व्यापार में शामिल लोगों के साथ साक्षात्कार पर आधारित है। यह भी पाया गया कि बांग्लादेश की बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण, कार्रवाई के बाद से बाघ के अंगों की घरेलू खपत में वृद्धि हुई है।

अध्ययन में कहा गया है कि स्थानीय अमीर खरीदार बाघ के अंगों के साथ-साथ प्रदर्शन के लिए खोपड़ी और खाल जैसी बड़ी सजावटी वस्तुओं का उपयोग के लिए तथा इनसे बनी दवाएं भी खरीदते पाए गए।

अध्ययन में कहा गया है कि, बांग्लादेश के आधिकारिक सुंदरबन संरक्षक अबू नासर मोहसिन हुसैन ने अध्ययन के निष्कर्षों को झूठा करार दिया, उन्होंने कहा कि कार्रवाई ने अवैध व्यापार को रोक दिया है। उन्होंने आगे बताया कि, हमने सुंदरबन में बंगाल के बाघों की आबादी के संरक्षण के लिए उपाय किए हैं।

उन्होंने कहा, पिछले पांच सालों में बाघ-मानव संघर्ष से किसी भी बाघ की मृत्यु नहीं हुई है। बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।

2019 में प्रकाशित एक आधिकारिक गणना के अनुसार, बांग्लादेश के सुंदरबन के हिस्से में मात्र 114 बंगाल टाइगर रहते हैं, जो कि चार साल पहले के रिकॉर्ड निचले स्तर से थोड़ा अधिक है।

पैंथेरा के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अवैध शिकार बाघों के लिए बड़ा खतरा है और चीन पारंपरिक चिकित्सा में उनके शरीर के अंगों के उपयोग के लिए मांग का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है।