वन्य जीव एवं जैव विविधता

जंगल कटने से बढ़ जाता है पानी का बहाव: शोध

जंगल के प्राकृतिक जलाशयों के साल भर में बहने की गति या प्रवाह को वन 0.7 से 65.1 फीसदी तक कम कर सकते हैं।

Dayanidhi

यूनिवर्सिटी ऑफ़ ब्रिटिश कोलंबिया ओकानगन कैंपस के नए शोध से पता चलता है कि वन और जल आपूर्ति के बीच सही तालमेल से दोनों के बीच के संबंधों को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्वस्थ, बढ़ते जंगल, लगातार जल आपूर्ति करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  

जंगल प्राकृतिक जलाशयों को व्यवस्थित करने में अहम भूमिका निभाते हैं, जल विज्ञान (हाइड्रोलॉजिकल) प्रक्रियाओं की मदद से ये पानी को साफ करते हैं तथा इसके बहाव को कम करते है जिससे धरती का कटाव धीमा होता है, जो कि सबसे मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में से एक है। लेकिन मानव गतिविधि के कारण जंगलों में बदलाव आ रहा है और इनके परस्पर हाइड्रोलॉजिकल प्रक्रियाओं से जंगलों पर प्रभाव पड़ रहा है।

डॉ. वेई, फ़ॉरेस्ट रेनवाल बीसी की वाटरशेड रिसर्च एंड मैनेजमेंट के अध्यक्ष की अगुवाई में यह शोध किया गया है। उन्होंने कहा कि वनों की कटाई, कृषि और शहरीकरण जैसी गतिविधियां दुनिया भर में जंगलों को बदल रही हैं, जिससे पानी की कमी, बहाव की गति बढ़ रही है।

डॉ. वेई कहते है कि यह धारणा है कि मनुष्य ने प्रकृति के साथ भारी छेड़छाड़ की है, जिसके अक्सर प्राकृतिक दुनिया पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं। यही कारण है कि इन घटनाओं का वर्णन करने के लिए एंथ्रोपोसीन शब्द बनाया गया था। लेकिन अब हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि हम कहां पर गलत हैं और इस समस्या से किस तरह निपटा जा सकता है।

प्राकृतिक गड़बड़ियां जैसे कीटों के कारण बीमारियों का फैलना और जंगल की आग जैसी घटनाएं भी जंगलों के तेजी से बदलाव में अहम योगदान दे रही है। डॉ. वेई ने वर्तमान में वन-जल अनुसंधान और प्रबंधन करने के तरीकों की जांच की है। उनका लक्ष्य कमियों की पहचान कर एक नए दृष्टिकोण के बारे में जानकारी देना है। जिसमें कई तरह के बदलने वाली चीजें और उनके परस्पर प्रभाव हो सकते है, इन सबको समझने के बाद किसी भी वाटरशेड को व्यवस्थित किया जा सकता है।

इस अध्ययन में उन्होंने एक नए परिप्रेक्ष्य की ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा कि हम साल भर में बहने वाले पानी की मात्रा और गति पर वनों की कटाई से होने वाले प्रभावों को देख रहे हैं और हमने पाया कि वनों की कटाई ने पानी की बहने की गति को बढ़ाया है। हांलाकि, अध्ययन में बड़ी भिन्नताएं देखी गई जिसमें 1 प्रतिशत वनों की कमी के बीच पानी का बहाव की गति लगभग 600 प्रतिशत तक बढ़ गई थी।

अध्ययन में भिन्नताएं क्यों थी, इस बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमने निष्कर्ष निकाला कि जब जंगलों के नुकसान के कारण मिट्टी और पौधों से पानी वाष्पित हो जाता है, तब यह अंतर आता है।

लेकिन नुकसान की मात्रा 2 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक कम थी, यह एक बहुत बड़ा अंतर है जिसे वन गड़बड़ी के पैमाने, प्रकार और गंभीरता के साथ-साथ जलवायु और जलक्षेत्र के गुणों के स्थान के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। जंगल के प्राकृतिक जलाशयों के साल भर में बहने की गति या प्रवाह को वन 0.7 से 65.1 फीसदी तक कम कर सकते हैं। 

बहुत सारे बदलने वाली चीजें हैं जिन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए और ऐसा नहीं करने पर शोध के निष्कर्ष गलत हो सकते हैं।

असमानताओं को सीमित करने के लिए डॉ. वेई कहते हैं कि भविष्य के शोध और वाटरशेड प्रबंधन दृष्टिकोण को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है, जिसमें प्रमुख योगदान करने वाले और हाइड्रोलॉजिकल सेवाओं से संबंधित बदलने वाली चीजें शामिल है। 

वाटरशेड प्रबंधन के लिए उनका यह भी सुझाव है कि मशीन लर्निंग और क्लाइमेट इको-हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग जैसे नए साधनों का उपयोग किया जाना चाहिए।  डॉ. वेई कहते हैं सभी वन-जल शोधों के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण को लागू करने से गलत मूल्यांकन की संभावना कम हो जाएगी, जो हमें  समस्याओं को हल करने का बेहतर मौका देगी।