वन्य जीव एवं जैव विविधता

लगातार कम हो रहे है साइकैड के पौधे, पारिस्थितिकी तंत्र में निभाते है अहम भूमिका

अध्ययन में पाया गया कि साइकैड पौधों की दो प्रजातियां मिट्टी के माध्यम से नाइट्रोजन और कार्बन को साझा करती हैं, जिससे अन्य जीवों को फायदा होता है

Dayanidhi

साइकैड बहुत लंबे जीवाश्म इतिहास वाले पौधों में से एक हैं। ये आज की तुलना में पहले बहुत अधिक पाए जाते थे। साइकैड के पौधे पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में साइकैड का प्रतिनिधित्वसाइकस वंश द्वारा किया जाता है जिसमें 12 प्रजातियां शामिल हैं। 

एक नए अध्ययन से पता चला है कि साइकैड के पौधे लगातार कम हो रहे हैं। दुनिया भर में ये पौधे सबसे अधिक खतरे वाले समूह में हैं। ये पौधे अपने पड़ोसी जीवों को एक महत्वपूर्ण सेवा प्रदान करते हैं। अध्ययन में पाया गया कि कम से कम दो साइकैड पौधों की प्रजातियां मिट्टी के माध्यम से नाइट्रोजन और कार्बन को साझा करती हैं, जिससे अन्य जीवों के लिए वहां रहने योग्य वातावरण का निर्माण होता है।

अमेरिका की मॉन्टगोमरी बॉटनिकल सेंटर के कार्यकारी निदेशक पैट्रिक ग्रिफिथ ने कहा कि इस अध्ययन से पता चलता है कि प्राकृतिक आवासों से साइकैड के पौधों को होने वाले नुकसान से खतरनाक प्रभाव पैदा होता है। जिससे अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ये प्रभाव साइकैड के पौधों के पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर निर्भर करते हैं। यह अध्ययन हॉर्टिकल्चर नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

साइकैड के पौधे अपने विशेष जड़ों के भीतर नाइट्रोजन को स्थिर करने वाले साइनोबैक्टीरिया की मेजबानी करते हैं। सूक्ष्मजीव इच्छानुसार नए अर्जित किए गए नाइट्रोजन को आपस में साझा करते हैं जिससे खुद को और मिट्टी के जीवों दोनों को फायदा होता है।

वेस्टर्न पेसिफिक ट्रॉपिकल रिसर्च सेंटर के एसोसिएट डायरेक्टर एड्रियन एरेस के अनुसार, गुआम विश्वविद्यालय में शोध दल लंबे समय से अपने स्थानीय सीमा में साइकस माइक्रोनिका के पोषक संबंधों का अध्ययन कर रहे हैं।

एरेस ने कहा कि इस अनोखे पेड़नुमा (आर्कियोसेन्ट) साइकैड प्रजाति के पौधे का सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व है। यह पौधों द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के बारे में नई जानकारी को उजागर करता है।

अध्ययन मिट्टी में तीन तत्वों के मिश्रण पर केंद्रित है जो जीवित जीवों के वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं। साइकैड के पौधे अपने आस-पास की मिट्टी में, नाइट्रोजन और कार्बन की सांद्रता को संतुलित करते हैं। साइकैड के पौधे मिट्टी में फास्फोरस की सांद्रता को भी संतुलित करते हैं। 

एरेस ने कहा कार्बन और नाइट्रोजन के प्रत्यक्ष योगदान के अलावा, साइकैड के पौधों द्वारा किए गए रासायनिक परिवर्तनों ने दूसरों के लिए - अन्य पौधों के उगने, सूक्ष्मजीवों के जीने के लिए उचित वातावरण का निर्माण किया। यह सब जंगलों में स्थानीय विविधता में वृद्धि करने में सहायक होते हैं। 

एरेस ने आगे जोड़ते हुए कहा, उच्च जैव विविधता वाले पारिस्थितिक तंत्र आम तौर पर अधिक प्रतिरोधी होते हैं। जो खतरों से होने वाले नुकसान और बुरे प्रभावों को सहन कर लेते हैं। साइकैड के पौधों द्वारा दूसरे जीवों, पौधों के लिए बनाए गए स्थान मिट्टी के खाद्य जाल को एक सूक्ष्म आवास (माइक्रोहैबिटैट) प्रदान करते हैं जो आस-पास के जंगल की मिट्टी से भिन्न होता है।

साइकैड के पौधे मिट्टी में उन सूक्ष्मजीवों को फायदा पहुंचाते हैं जिन्हें फास्फोरस की अपेक्षा अधिक नाइट्रोजन और अधिक कार्बन स्तर की जरुरत होती है। वैज्ञानिक इन मौलिक संबंधों को "स्टोइकोमेट्री" कहते हैं, और जीवों के स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए इन संबंधों के महत्व के बारे में बहुत अध्ययन किया गया है।

स्टोइकोमेट्री यह एक रासायनिक प्रतिक्रिया में विभिन्न उत्पादों और अभिकारकों के द्रव्यमान की संख्या के बीच मात्रात्मक संबंध है। अध्ययन में लिए गए मॉडल साइकैड के पौधों की दो प्रजातियां शामिल की गईं थी।