वन्य जीव एवं जैव विविधता

चीतों को राजस्थान स्थानांतरित करने पर विचार करें केंद्र, इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं: सुप्रीम कोर्ट

सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि एक साल से भी कम समय में 40 फीसदी चीतों की मौतें अच्छी तस्वीर पेश नहीं करतीं

Himanshu Nitnaware, Lalit Maurya

सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई, 2023 को केंद्र सरकार से अधिक मौतों को रोकने के लिए शेष चीतों को अलग-अलग स्थानों पर स्थानांतरित करने का आग्रह किया है।

न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस बी पारदीवाला और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि इतने कम समय में चीतों की मौत चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। साथ ही शीर्ष अदालत ने उस  वातावरण की उपयुक्तता पर भी चिंता जताई है जहां इन चीतों को स्थानांतरित किया गया है।

कोर्ट ने चीतों को राजस्थान स्थानांतरित करने की सिफारिश करते हुए कहा कि केंद्र इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाने के बजाय इस पर उचित कार्रवाई करे।

गौरतलब है कि प्रोजेक्ट चीता के तहत केंद्र सरकार नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को भारत में फिर से बसाने के उद्देश्य से लाई थी। हालांकि पिछले चार महीनों में भारत में जन्मे तीन शावकों सहित आठ चीतों की अलग-अलग घटनाओं में बीमारियों के चलते मौत हो गई है। इनमें से दो चीतों की मौत पिछले सप्ताह ही हुई है।

जस्टिस गवई ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा कि "पिछले सप्ताह दो और मौतें। यह प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बनता जा रहा है? कृपया कुछ सकारात्मक कदम उठायें।"  इसके साथ ही उन्होंने, पूछा की सभी चीतों को फैलाने के बजाय एक ही स्थान पर क्यों रखा गया?

"एक साल से भी कम समय में होने वाली 40 फीसदी मौतें कोई अच्छी तस्वीर पेश नहीं करतीं।" इसके साथ ही न्यायाधीश गवई ने केंद्र से चीतों को राजस्थान के जवाई राष्ट्रीय उद्यान में भेजने पर भी विचार करने का सुझाव दिया है।

उनका कहना है कि, "राजस्थान के अभयारण्यों में से एक (जवाई राष्ट्रीय उद्यान) तेंदुओं के लिए बेहद प्रसिद्ध है। जो उदयपुर से 200 किलोमीटर दूर है।" उन्होंने उल्लेख किया कि वहां का परिदृश्य बेहद अच्छा है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इसे सकारात्मक नजरिए से देखते हुए वहां चीतों के लिए एक और अभयारण्य बनाने का सुझाव केंद्र को दिया है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार प्रतिष्ठित चीता स्थानांतरण परियोजना के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। भाटी ने कहा कि परियोजना ने इस प्रक्रिया के दौरान 50 फीसदी मौतों का अनुमान लगाया था।

जस्टिस पारदीवाला ने चीतों की मौत से जुड़े कारणों के बारे में पूछताछ करते हुए सवाल किया कि, " मौतें क्यों हो रही हैं, क्या ये जंगली बिल्लियां हमारी जलवायु के अनुकूल नहीं हैं।" या  भारत की जलवायु उनके लिए अनुपयुक्त है? क्यों वे गुर्दे या श्वसन प्रणाली से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रही हैं।

ऐसे में अदालत ने केंद्र से एक अगस्त 2023 को होने वाली अगली सुनवाई पर सुझावों के साथ, परियोजना की स्थिति पर अपडेट देने के लिए कहा है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बहाली की इस परियोजना की देखरेख और इस मामले में सलाह देने के लिए एक चीता परियोजना संचालन समिति का गठन किया था। 17 जुलाई, 2023 को प्रसिद्ध चीता विशेषज्ञ विंसेंट वैन डेर मेरवे ने इस बारे में अपने अवलोकन और परिप्रेक्ष्य साझा किए थे।

विशेषज्ञ ने पैनल को समझाया कि, "भारत में चीतों की आबादी स्थिर होने से पहले हमें कम से कम 50 संस्थापक चीतों की आवश्यकता होगी। उसके बाद, चीतों के अस्तित्व और आनुवंशिक विविधता को सुनिश्चित करने के लिए, हमें दक्षिणी अफ्रीकी और भारतीय आबादी के बीच चीतों का आदान-प्रदान करना होगा।“