वन्य जीव एवं जैव विविधता

जयपुर की नाहरगढ़ वाइल्डलाइफ सेंचुरी में व्यावसायिक गतिविधियां, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने जिला वनाधिकारियोंं की भूमिका की भी जांच करने को कहा है

Susan Chacko

राजस्थान के चर्चित पर्यटन स्थल नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के भीतर व्यावसायिक गतिविधियांं चलाने की शिकायत राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) से की गई है। इस मामले की सुनवाई 18 मार्च को हुई और एनजीटी ने शिकायत की जांच करने का निर्देश जारी किया है।

शिकायत में कहा गया है कि ये व्यावासयिक गतिविधियां बिना मंजूरी के चल रही हैं। एनजीटी ने राजस्थान के वन और वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है। 

अदालत ने आगे निर्देश दिया है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना और दिशानिर्देश और वन अधिनियम और पर्यावरण नियमों के नियमों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और नाहरगढ़ अभयारण्य को अतिक्रमण से बचाया जाना चाहिए।

एनजीटी ने यह भी कहा कि अभयारण्य का सीमांकन करने के लिए खंभे और तारें लगाए जाएं और सुरक्षा की कार्रवाई तुरंत की जाए।

साथ ही, वन विभाग और वन्यजीव अभ्यारण्य के जिला स्तरीय अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा जाए कि उन्होंने संरक्षित क्षेत्र की अधिसूचना पर ध्यान क्यों नहीं दिया और इन नियमों के उल्लंघन के लिए कौन जिम्मेदार है. यदि कोई निर्माण हो रहा है तो उस जिले के जिम्मेदार अधिकारी जिसके कार्यकाल में वह निर्माण कराया गया है, को संज्ञान में लिया जाए और नियमानुसार आगे की कार्रवाई शुरू की जाए।

एनजीटी ने कहा कि अधिसूचना और दिशानिर्देशों का प्राथमिक उद्देश्य पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र और वन्यजीव अभयारण्य की रक्षा करना है, जिसे तुरंत लागू करने की आवश्यकता है और दो महीने के भीतर आगे की कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

जांच रिपोर्ट (जांच अधिकारी) का तर्क यह था कि वन अधिकारी वन्यजीव अभयारण्य की सुरक्षा में सहयोग नहीं कर रहे थे और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी और वन्यजीव मंजूरी के बिना अभयारण्य के भीतर व्यावसायिक गतिविधियां हो रही थीं।