वन्य जीव एवं जैव विविधता

आदिवासियों ने जीता एक मोर्चा, छत्तीसगढ़ सरकार ने लगाई रोक

नंदराजा पहाड़ की खदानें अदानी समूह को दिए जाने के विरोध में धरने पर बैठे आदिवासियों के प्रतिनिधियों से छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुलाकात की।

DTE Staff

पुरुषोत्तम सिंह ठाकुर

बैलाडीला इलाके के आंदोलनकारी आदिवासियों ने एक मोर्चा जीत लिया है। छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि परियोजना से संबंधित जो शिकायतें उनके दायरे में आ रही हैं, उन पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। हालांकि खदान को लीज पर देने के सवाल पर उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। अब आदिवासियों की लड़ाई केंद्र सरकार से है। 

मंगलवार को छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के बैलाडीला इलाके के धरनारत आदिवासियों के आरोपों की जांच कराने का निर्देश दिया है। साथ ही, अवैध रूप से की जा रही पेड़ों की कटाई और विवादित परियोजना पर रोक लगाने के आदेश दिए हैँ। हालांकि उन्होंने कहा कि खदान से संबंधित फैसला केंद्र का है और वह अपने अधिकार क्षेत्र में ही काम करेंगे। 

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के ग्राम हिरोली में एन.एम.डी.सी. बैलाडीला लौह अयस्क खान परियोजना दंतेवाड़ा के डिपाजिट 13 के संबंध में बस्तर लोकसभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की। इस परियोजना के विरोध में आदिवासी 7 जून से धरने पर हैं। 

प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र में अवैध रूप से वनों की कटाई की शिकायत की जांच की जाएगी तथा नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह प्रभावित क्षेत्र में वन कटाई का कार्य तत्काल रोका जाएगा। संबंधित क्षेत्र में परियोजना से संबंधित संचालित कार्यों पर भी रोक लगाई जाएगी। प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि खदान हस्तानांतरण आदि प्रक्रिया में ‘पंचायत स्तर पर विस्तार का कानून अधिनियम 1996 (पेशा)‘ के तहत वर्ष 2014 में कराए गए ग्राम सभा का पालन नहीं किया गया तथा फर्जी रूप से ग्राम सभा आयोजित की गई।

मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त किया कि फर्जी ग्राम सभा के आरोप की जांच कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल की मांग पर कहा कि संबंधित विषयों पर भारत सरकार द्वारा पत्राचार किया जाएगा और जनभावना की भी जानकारी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया की राज्य शासन अपने क्षेत्राधिकार की कार्रवाई करेगा लेकिन खदान पर आधिपत्य एवं स्वामित्व भारत सरकार के एन.एम.डी.सी. का है और उन्हें ही खदान के संबंध में कोई भी निर्णय लेने का अधिकार है।

प्रतिनिधि मंडल ने इस क्षेत्र के निवासियों द्वारा एन.एम.डी.सी. तथा सी.एम.डी.सी. द्वारा अडानी इंटरप्राईसेस के माध्यम से माईनिंग कार्य के विरोध की जानकारी दी और यहां के आदिवासियों की जनभावनाओं, स्थितियों और मुद्दों की जानकारी दी। प्रतिनिधि मंडल ने अपने मांगों पर आधारित एक ज्ञापन भी मुख्यमंत्री को सौंपा। उन्होंने मुख्यमंत्री को प्रतिनिधि मंडल के बातों पर तत्काल सकारात्मक पहल करने के लिए धन्यवाद भी दिया। प्रतिनिधि मंडल में विधायक मोहन मरकाम, रेखचन्द जैन, विक्रम मंडावी, पूर्व विधायक देवती कर्मा, इंटक के प्रतिनिधि देशमुख सिंग, सर्व आदिवासी समाज के नवल किशोर मंडावी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आर.सी. खेतान, आर.पी. मंडल, मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी भी उपस्थित थे।

उधर, अभी आदिवासी एनएमडीसी दफ्तर पर ही जमे हुए हैं। वे अपने साथ एक सप्ताह से अधिक समय का राशन लाए हैं। महिलाएं एनएमडीसी के बाहर ही खुली सड़क के किनारे रसोई बनाती हैं और पहले बच्चों, फिर आदमियों को खाना दिया जाता है।

इनके गीत बड़े जोशीले हैं, जो उनके बुलंद हौंसले को दर्शाते हैं। एक गीत की बानगी देखिए –

जंगल घने जंगल लाइन से लदे जंगल,

अपना जंगल रहेगा, और अंतकाल तक रहेगा

हम जंगल छोड़कर नहीं जायेंगे,

सुन मोदी, हम जंगल छोड़कर नहीं जाएंगे,

सुन ले अदानी हम जंगल छोड़कर नहीं जाएंगे

जब यहाँ जंगल नहीं रहेगा तो

हमारी आने वाली पीढ़ी क्या करेगी ?

हम भूखे पेट रह लेंगे पर

जंगल छोड़कर नहीं जायेंगे.

जनता है तो पैसा है,

कितना जनता को परेशान करोगे ?

लाइन लाइन जंगल है, लाइन लाइन जंगल है

सुन ले मोदी, सुन ले अदानी

अपना जंगल रहेगा, अपना जमीन रहेगा