वन्य जीव एवं जैव विविधता

बजट 2020-21: सरकार स्थापित कर सकती है राष्ट्रीय पौधरोपण निगम 

Ishan Kukreti

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तरफ से आगामी बजट में देश में एक प्लांटेशन कॉर्पोरेशन स्थापित करने का ऐलान करने की उम्मीद है। एक सूत्र ने डाउन टू अर्थ को बताया कि यह राष्ट्रीय संस्था देश में वर्त्तमान में चल रहीं सभी पौधरोपण संबंधी योजनाओं को अपने अंतर्गत ले लेगी। इन योजनाओं में ग्रीन इंडिया मिशन, राष्ट्रीय वृक्षारोपण कार्यक्रम और क्षतिपूरक वृक्षारोपण शामिल है।

सूत्र ने बताया कि यह कॉर्पोरेशन क्षतिपूरक वृक्षारोपण कोष (Compensatory Afforestation Fund) की धनराशि को इस्तेमाल करके देश में वृक्षारोपण की योजनाओं पर काम करेगा। इस कॉर्पोरेशन के लिए ग्लोबल पेंशन फंड से भी निवेश आएगा। क्षतिपूरक वृक्षारोपण कोष वन्य भूमि को गैर वन-भूमि में तब्दील करने के लिए विभिन्न प्रोजेक्ट्स का प्रस्ताव देने वाले लोगों से एकत्रित किये गए धन का बड़ा कॉरपस है। केंद्र सरकार ने अनिवार्य वृक्षारोपण गतिविधियों को पूरा करने के लिए 29 अगस्त 2019 को राज्यों को 47,436 करोड़ रुपये का आवंटन किया था 

इस संभावित कदम को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। दिल्ली स्थित गैर लाभकारी संस्था एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टिट्यूट के जेवी शर्मा ने कहा कि सरकार आखिर किन गतिविधियों के लिए इस कोष का इस्तेमाल करेगी? ऐसा दिखता है कि हर कोई इस पैसे को पाना चाहता है लेकिन असल बात तो यह है कि CAF कानून के मुताबिक इस पैसे का इस्तेमाल सिर्फ उन गतिविधियों के लिए किया जा सकता है, जो उस कानून में बताई गयी हैं।

कई अन्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इस कदम से देश में वन्य शासन प्रणाली का केंद्रीय ढांचा प्रभावित होगा। दरअसल जमीन से संबंधित मुद्दे राज्यों की जिम्मेदारी हैं, लेकिन वनों से जुड़े मुद्दे राज्य और केंद्र दोनों के अधीन आते हैं। लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट्स एंड एनवायरनमेंट के ऋत्विक दत्ता ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि यह कैसे काम करेगा। मैंने अभी तक इसका नोटिफिकेशन नहीं देखा है, लेकिन वृक्षारोपण के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का कॉर्पोरेशन बना देने से समस्या कड़ी हो जाएगी क्योंकि वन और वृक्षारोपण की जिम्मेदारी असल में राज्यों का अधिकार है। दत्ता ने कहा कि देश के प्लांटेशन कॉर्पोरेशन का आईडिया भारतीय संविधान के केंद्रीय ढांचे के विपरीत है।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को कई राज्यों के चुनावों में मिली हार के चलते सरकार ने यह कदम उठाया होगा। उन्होंने कहा कि जब 2016 में CAF कानून पारित हुआ था तो भाजपा कई राज्यों में मजबूत स्थिति में थी। लेकिन अब लगातार हार होने के बाद कई राज्यों में भाजपा सरकार नहीं है। खासतौर पर झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे खनिजों से भरपूर राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, जहां सबसे ज्यादा वनों की कटाई होने की संभावना है और जहां सीएएफ का अधिकतम पैसा जाएगा। एक तरीके से कहा जाए तो ऐसा माना जा सकता है जैसे केंद्र सरकार इस पैसे को अपने रखने के लिए यह कदम उठाने की योजना बना रही है।