वन्य जीव एवं जैव विविधता

पहली बार किंग पेंगुइन को बर्ड फ्लू ने बनाया शिकार, उप-अंटार्कटिक क्षेत्र में वायरस ने बढ़ाई चिंताएं

अत्यंत संक्रामक एवियन इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन एच5एन1 क्लैड 2.3.4.4बी, दुनिया भर में लाखों पक्षियों और स्तनधारियों की मौत का कारण बन चुका है

Himanshu Nitnaware, Lalit Maurya

उप अंटार्कटिका क्षेत्र में किंग प्रजाति के एक पेंगुइन की मौत का मामला सामने आया है। संदेह है कि इस पेंगुइन की मौत बर्ड फ्लू वायरस (एवियन इन्फ्लूएंजा) के चलते हुई है। यह पहला मौका है, जब किसी किंग पेंगुइन को बर्ड फ्लू वायरस ने अपना शिकार बनाया है।

गौरतलब है कि हाल ही में वैज्ञानिकों ने दक्षिण जॉर्जिया की ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरी (बीओटी) और अंटार्कटिका के पास दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह में बर्ड फ्लू के चलते एलिफैंट और फर सील की मौत की पुष्टि की थी।

इसके कुछ सप्ताह बाद, अब इस क्षेत्र से कम से कम तीन पेंगुइन की मौतों की खबरें सामने आई हैं। अंटार्कटिक क्षेत्र में बर्ड फ्लू के चलते पेंगुइन की होती मौतों की आशंका ने वैज्ञानिकों के लिए भी चिंताएं खड़ी कर दी हैं।

इस बारे में साइंटिफिक कमिटी ऑन अंटार्कटिक रिसर्च (एससीएआर) के ताजा अपडेट के मुताबिक दक्षिण जॉर्जिया द्वीप पर एक किंग पेंगुइन की मौत का ममलसा सामने आया है। उसी स्थान पर एक जेंटू पेंगुइन की भी एवियन इन्फ्लूएंजा स्ट्रेन एच5एन1 से मृत्यु होने का संदेह है।

वहीं फॉकलैंड्स में सी लायन आइलैंड पर, दक्षिण जॉर्जिया और दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के पास बर्ड फ्लू से एक और जेंटू पेंगुइन की मृत्यु होने की पुष्टि हुई है। बता दें फॉकलैंड में जेंटू पेंगुइन की मौत की खबर 19 जनवरी को सामने आई थी, जबकि दक्षिण जॉर्जिया में किंग पेंगुइन की मौत की सूचना 10 जनवरी को दी गई थी।

एससीएआर के अनुसार, 20 से अधिक शिशु पेंगुइनों की या तो मौत हो चुकी है या उनमें बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) एक अत्यंत संक्रामक वायरल बीमारी है, जिसने दुनिया भर में पक्षियों और स्तनधारियों को अपनी चपेट में ले लिया है। 2021 के बाद से देखें तो, इसका एचपीएआई एच5एन1 क्लैड 2.3.4.4बी नामक स्ट्रेन दुनिया भर में हावी हो गया है। इसके प्रकोप के चलते यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अफ्रीका में लाखों पक्षियों की मौत हो चुकी है।

बता दें कि अक्टूबर 2023 में, समुद्री पक्षियों के माध्यम से बर्ड फ्लू दक्षिण अमेरिका से उप-अंटार्कटिक क्षेत्र में पहुंचा था। इसने एलीफैंट और फर सील के साथ ब्राउन स्कुआ और केल्प गल्स जैसे विभिन्न जीवों को संक्रमित कर दिया। इसकी वजह से बड़े पैमाने पर इन जीवों की मौतें भी हुई हैं।

इस बीमारी ने दुनिया भर में कितना व्यापक असर डाला है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चिली और पेरू में इसकी वजह से कम से कम 20,000 सी लॉयन के मरने की खबर सामने आई है। इसी तरह पेंगुइन और पेलिकन सहित 500,000 से अधिक समुद्री पक्षी भी इस बीमारी की भेंट चढ़ चुके हैं।

इससे पहले दिसंबर 2023 में, आर्कटिक में पहली बार बर्ड फ्लू के कारण ध्रुवीय भालू की हुई मौत की खबर भी सामने आई थी। इसको लेकर वैज्ञानिकों में भी चिंता बढ़ गई है। उन्हें चिंता है कि यह बीमारी अंटार्कटिका के दूर-दराज के क्षेत्रों में पेंगुइन की कॉलोनियों तक पहुंच सकती है।

ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वेक्षण के समुद्री पक्षी विशेषज्ञ नॉर्मन रैटक्लिफ ने अंग्रेजी अखबार द गार्जियन को बताया कि दुनिया की करीब 98 फीसदी फर सील दक्षिण जॉर्जिया में पाई जाती हैं। उनका कहना है कि यह क्षेत्र एलीफैंट और फर सील की आबादी के लिए बेहद मायने रखता है, जो अब इनकी आबादी में गिरावट के गंभीर खतरे का सामना कर रहा है।

इस बारे में शोधकर्ताओं द्वारा किए एक जोखिम मूल्यांकन में चेतावनी दी गई है कि यह वायरस बसंत के दौरान पेंगुइन की घनी आबादी वाली कॉलोनियों में तेजी से फैल सकता है, जो संभावित रूप से "आधुनिक समय की सबसे बड़ी पारिस्थितिक आपदाओं में से एक" का कारण बन सकता है।

वहीं एससीएआर के अनुसार, अब तक अंटार्कटिका की मुख्य भूमि पर संक्रमण का कोई संदिग्ध या पुष्ट मामला सामने नहीं आया है।