वन्य जीव एवं जैव विविधता

लोकसभा में पारित हुआ जैव विविधता (संशोधन) विधेयक 2022, किन बातों पर रहेगी नजर

Vibha Varshney, Lalit Maurya

मणिपुर में हिंसा पर हंगामे के बीच, मंगलवार 25 जुलाई 2023 को मानसून सत्र के आठवें दिन जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2022 लोकसभा में बिना किसी आपत्ति के पारित हो गया। गौरतलब है कि यह विधेयक 2002 के जैविक विविधता अधिनियम को संशोधित करता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी) के लक्ष्यों को हासिल करने में भारत की सहायता के लिए लागू किया गया था।

1992 में स्थापित सीबीडी यह मानता है कि देशों को अपने क्षेत्रों के भीतर अपनी जैविक विविधता को नियंत्रित करने का पूर्ण अधिकार है। इस विधेयक को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने 16 दिसंबर, 2021 को संसद में पेश किया था।

बाद में इसे 20 दिसंबर, 2021 को एक संयुक्त समिति के पास भेजा गया था क्योंकि इसको लेकर यह चिंता जताई गई थी कि यह संशोधन उद्योगों के पक्ष में है और सीबीडी की भावना के विपरीत है। इसकी ध्यान से जांच करने के बाद संयुक्त समिति ने दो अगस्त, 2022 को संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी, जिसमें सुझाव दिया गया था कि विधेयक पर  कुछ छोटे बदलावों के बाद मंजूरी दी जा सकती है।

क्यों किया गया यह संशोधन

इस विधेयक में किए गए महत्वपूर्ण बदलाव औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देते हैं और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्दति का समर्थन करते हैं। वे इस क्षेत्र में सहयोगात्मक अनुसंधान और निवेश को प्रोत्साहित करते हैं। साथ ही औषधीय उत्पाद बनाने वाले चिकित्सकों और कंपनियों के लिए राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण से अनुमति लेने की आवश्यकताओं को भी कम करते हैं। इसका अन्य उद्देश्य वन उपज का लाभ स्थानीय लोगों तक पहुंचाना भी है।

इसके अतिरिक्त विधेयक में किए इन बदलावों से उल्लंघन के लिए आपराधिक दंड को हटा दिया गया है। साथ ही यह भारतीय चिकित्सा पद्दति से जुड़े चिकित्सकों को लाभ प्राप्त करने या साझा करने के लिए मंजूरी लेने की आवश्यकता से भी छूट देता है।

हालांकि यह संशोधन उन मुद्दों का समाधान नहीं करता, जिनका सामना भारत में जैव विविधता संरक्षण में करना पड़ता है। ऐसे में भारत को दिसंबर 2022 में मॉन्ट्रियल में आयोजित सीबीडी के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन में स्थापित नए संरक्षण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने होंगे। इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दुनिया के पास अब सिर्फ सात साल बचे हैं।