वन्य जीव एवं जैव विविधता

मौसम का असर, भोपाल में 60 प्रतिशत कम आए प्रवासी पक्षी

विशेषज्ञ मान रहे कि मौसम में उतार-चढ़ाव की वजह से कम संख्या में प्रवासी पक्षी आए हैं, देशभर के 120 पक्षी विशेषज्ञाें ने गिनती की

Manish Chandra Mishra

भोपाल में 60 फीसदी तक प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी दर्ज की गई है। साथ ही शहर के रामसर साइट बड़े तालाब के आसपास 125 प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी देखी गई है। यह आंकड़े 2 फरवरी वर्ल्ड वेटलैंड डे के मौके पर को तीन संस्थाएं भोपाल बर्ड्स,  क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्राहालय तथा वीएनएस नेचर सेवियर्स के बर्ड काउंट में सामने आए। पूरी दुनिया में ईको सिस्टम को संरक्षित करने के लिए 2 फरवरी को विश्व नम भूमि दिवस यानी कि वर्ल्ड वेटलेंड डे मनाया जाता है। पहली बार 2 फरवरी 1971 में ईरान शहर के रामसर में हुए कन्वेंशन में विश्व की लगभग 2062 नम भूमियों को चिन्हित किया गया था। इस संधि पर 163 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। मध्यप्रदेश में भोज वेटलैंड को 2002 में  रामसर साइट के तौर पर शामिल किया गया।

देशभर के 120  प्रतिभागियों ने सुबह 6 बजे से भोज ताल के विभिन्न  5 चयनित जोन में  पक्षियों की गणना की। चार घंटे चले इस गणना में विशेषज्ञों को पक्षियों की संख्या कम दिखी, हालांकि वे प्रजातियों की संख्या से संतुष्ट दिखे। पक्षी विशेषज्ञ मोहम्मद खालिक बताते हैं कि पक्षियों की संख्या में कमी पूरे देश में देखी जा रही है। इसकी वजह है मौसम में परिवर्तन। भोपाल में सालभर में 250 प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं।
हालांकि, कुछ पक्षी भोपाल में काफी बड़े दिनों बाद देखा गया है। गणना के दौरान ब्लैक बिटर्न को पहली बार देखा गया ये पक्षी वन विहार में चिन्हित किया गया। येलो वेटेलड लैपविंग को कई वर्षों बाद भोज ताल पर देखा गया है। खालिक बताते हैं कि संख्या की बात करें तो 60 फीसदी पक्षियों को संख्या में कमी देखी गई है। यहां बड़ी संख्या में कॉमन कूट (800), लैसर व्हिस्टलिंग डक ( 350 ) और कॉमन पोचार्ड ( 250 ) की संख्या में देखे गए।
कैसे किया बर्ड काउंट
भोपाल के भोजताल इलाके को 6 ज़ोन में बांटकर अलग अलग टीम के द्वारा सर्वे किया गया। ये जोन थे बिशनखेड़ी से मुगलियाछाप , बम्होरी , छोटे तालाब से बोरवन , बोरवन बैरागढ़ और  वन विहार राष्ट्रीय उद्यान  इस गणना में महाराष्ट्र , उत्तरप्रदेश , झारखण्ड ,बिहार  आदि राज्यों के प्रतिभागियों ने भी भाग लिया। इस अवसर पर स्त्रोत व्यक्ति के रूप में  डॉ संगीता राजगीर , मो खालिक ( भोपाल बर्ड्स ), मानिक लाल गुप्ता (वैज्ञानिक -बी ) क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्राहालय, भोपाल, दिलशेर खान ( बर्ड एक्सपर्ट ), अल्ताफ बैग ( बर्ड एक्सपर्ट ) , रवि मेहरा एवं भुवनेश बैरागी ( सारस केंद्र ), डॉ. डी के स्वामी , डॉ. विपिन धोटे ( वीएनएस नेचर सेवियर्स) प्रतिभागियों की मदद के लिए उपस्थित थे।


ये पक्षी देखे गए

पक्षी गणना के अंतर्गत 125  प्रजातियों की पहचान की गई। इनमे प्रवासी पक्षियों में रेड क्रेस्टेड पोचार्ड , कॉमन पोचार्ड, कॉमन कूट, नॉर्थेर्न शोवलर, कॉमन टील,  ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, ब्रह्मिनी शेल्डक, ब्लू थ्रोट, लैसर वाइट थ्रोट , ग्रीन सैंडपीपर, पेंटेड स्टोर्क, ब्राउन हेडेड गल्ल, ब्लैक हेडेड गल्ल  पर्पल हेरॉन, लार्ज कोर्मोरेंट, साइबेरियन स्टोन चैट, कॉमन चिफचैफ, यूरेशियन कूट, स्पॉट बिल डक, लैसर व्हिस्टलिंग डक, ब्लैक हेडेड आइबिस, ग्लॉसी आइबिस, रेड स्टार्ट, कॉमन स्निप, ब्लैक बिटर्न, स्पॉटेड ईगल देखे गए।


कहां कितने पक्षी
स्थान- प्रजाति की संख्या
बिशनखेड़ी से मुगलियाछाप- 70
बम्होरी-44
छोटे तालाब से बोरवन- 63
बोरवन बैरागढ़- 50
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान-66