वर्तमान में विभिन्न कारणों से लगातार घटते जंगलों की निगरानी करना महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय वन नीतियों, योजना और सतत विकास के लिए विश्वसनीय वन संसाधन जानकारी विकसित करने के लक्ष्य के साथ जंगलों की निगरानी तथा आकलन और भी जरूरी हो जाता है।
मौजूदा तरीकों से जंगलों और इसके पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी और इसे मापना एक जटिल चुनौती है, जिसके लिए अधिक संसाधनों और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जंगलों की निगरानी को अधिक सुलभ और आसान बनाने के लिए मेन विश्वविद्यालय ने एक वायरलेस सेंसर नेटवर्क (वाईएसई-नेट) प्रयोगशाला विकसित की है।
इसमें मिट्टी की नमी की निगरानी को ऊर्जा दक्ष और किफायती बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग करने का एक नया तरीका ईजाद किया है। इसका उपयोग जंगलों की निगरानी करने तथा मापने और अधिक कुशल बनाने के लिए किया जा सकता है।
वनों और कृषि पारिस्थितिक तंत्रों में मिट्टी की नमी में होने वाला बदलाव एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, विशेष रूप से ग्रीष्म काल तथा सूखे की स्थिति को देखते हुए। मिट्टी की नमी का निगरानी नेटवर्क और बड़े, स्वतंत्र रूप से उपलब्ध डेटाबेस के बावजूद, व्यावसायिक मिट्टी नमी सेंसर की लागत और उनके द्वारा चलाने के लिए उपयोग की जाने वाली शक्ति भूमि के स्वास्थ्य पर नजर रखने वाले शोधकर्ताओं, वन वासियों, किसानों और अन्य लोगों के लिए काफी खर्चीली हो सकती है।
न्यू हैम्पशायर विश्वविद्यालय और वरमोंट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के साथ,यूमैन के वाइज-नेट ने एक वायरलेस सेंसर नेटवर्क तैयार किया है जो मिट्टी की नमी की निगरानी और आंकड़ों को संसाधित करने में अधिक शक्तिशाली तथा प्रभावी होने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करता है।
मेन विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अली अबेदी कहते हैं, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर्यावरण से सीख सकता है, वायरलेस लिंक की गुणवत्ता और आने वाली सौर ऊर्जा की भविष्यवाणी कर सकता है। ताकि सीमित ऊर्जा का कुशलतापूर्वक उपयोग किया जा सके और एक मजबूत, कम लागत वाला नेटवर्क लंबे और अधिक भरोसेमंद तरीके से चल सके।
सॉफ्टवेयर में समय के आधार पर सीखने की क्षमता है, इसमें उपलब्ध नेटवर्क संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए इस बात की भी बुद्धिमत्ता है। यह मौजूदा उद्योग मानकों की तुलना में बड़े पैमाने पर निगरानी के लिए कम लागत पर बिजली कुशल प्रणाली बनाने में मदद करता है।
वाईएसई-नेट ने सेंटर फॉर रिसर्च ऑन सस्टेनेबल फॉरेस्ट के निदेशक हारून वीस्किटल के साथ भी सहयोग किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अनुसंधान विज्ञान द्वारा सूचित किए गए हैं और अनुसंधान आवश्यकताओं के अनुरूप हैं।
वीस्किटल कहते हैं कि मिट्टी की नमी पेड़ के विकास का पहला तथा अहम हिस्सा है, लेकिन यह हर दिन तेजी से मौसमी रूप से बदलता है। हमारे पास प्रभावी ढंग से निगरानी करने की क्षमता की कमी है। ऐतिहासिक रूप से, हम महंगे सेंसर का उपयोग करते थे जो निश्चित अंतराल पर एकत्रित होते थे, उदाहरण के लिए, हर मिनट - लेकिन ये बहुत विश्वसनीय नहीं थे।
इस तरह की वायरलेस क्षमताओं वाला एक सस्ता और अधिक मजबूत सेंसर वास्तव में शोधकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए समान रूप से भविष्य के प्रयोगों के लिए दरवाजे खोलता है।
यद्यपि शोधकर्ताओं द्वारा डिजाइन की गई प्रणाली मिट्टी की नमी पर केंद्रित है, उसी पद्धति को अन्य प्रकार के सेंसरों तक बढ़ाया जा सकता है, जैसे परिवेश का तापमान, बर्फ की गहराई और साथ ही अधिक सेंसर नोड्स के साथ नेटवर्क को बढ़ाया जा सकता है।
अबेदी कहते हैं कि विभिन्न बदलने वाली चीजों की वास्तविक समय की निगरानी के लिए अलग-अलग नमूना दरों और बिजली के स्तर की आवश्यकता होती है। एक एआई एजेंट इन्हें सीख सकता है और आंकड़ों को जमा करने और ट्रांसमिशन आवृत्ति को नमूने के बजाय समायोजित कर सकता है। हर एक आंकड़े को एक निश्चित बिंदु पर भेज सकता है, जो उतना कुशल नहीं है।
यह अध्ययन स्प्रिंगर इंटरनेशनल जर्नल ऑफ वायरलेस इंफॉर्मेशन नेटवर्क्स में प्रकाशित हुआ है।