वन्य जीव एवं जैव विविधता

पौधों की 59 फीसदी बीमारियों को रोक सकती हैं चींटियां, शोध में खुलासा

चींटियों की वजह से सेब के दो रोगों पर काबू किया गया, अब नए अध्ययन पता चला है कि चींटियां 14 तरह के पौधों की बीमारियों को रोक सकती हैं

Dayanidhi

आरहस विश्वविद्यालय , डेनमार्क  के नए शोध से पता चला है कि चींटियां कम से कम 14 विभिन्न पौधों की बीमारियों को रोकती हैं। छोटी चींटियां शरीर की ग्रंथियों से एंटीबायोटिक दवाओं का स्राव करती हैं। इससे कई रोग पनपने से रुक जाती हैं। अब शोधकर्ता ऐसे जैविक कीटनाशकों को खोज रहे हैं, जो पौधों की बीमारियों को ठीक कर सकते हैं। यह शोध ओइकोस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

शोध में कहा गया है कि चींटियां एकदम साथ-साथ रहती हैं, इसलिए ये तेजी से संक्रमण फैला सकती हैं। लेकिन बीमारियों के खिलाफ उनकी अपनी दवा होती है। एक ओर, वे बहुत स्वच्छ होती हैं और दूसरी ओर, वे खुद को बीमारियों से ठीक कर सकती हैं और एक दूसरे से उत्पादित एंटीबायोटिक से इलाज कर सकती हैं।

इससे पहले हुए शोध के दौरान चींटियों को एक सेब के बगान में रखा गया था, वहां उन्होंने सेब के दो रोगों (पपड़ी और सेब के गलन रोग) को कम किया था। चींटियों ने औसतन 59 फीसदी पौधों की बीमारियों को कम किया। इसने शोधकर्ताओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, जहां उन्हें अब वैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं कि चींटियां कम से कम 14 विभिन्न प्रकार के पौधों की बीमारियों को रोक सकती हैं।

इस शोध का नेतृत्व करने वाले, आरहूस विश्वविद्यालय में बायोसाइंस विभाग के वरिष्ठ शोधकर्ता जोआचिम ऑफेनबर्ग ने कहा कि हम अभी तक नहीं जानते हैं कि चींटियों ने पौधों को कैसे ठीक किया था, लेकिन हम जानते हैं कि चींटियां अपना रास्ता खोजने के लिए पौधों पर अपने निशान छोड़ते हुए फेरोमोन का स्राव करती हैं। और हम जानते हैं कि इनमें से कुछ में एंटीबायोटिक गुण होते हैं। जोआचिम ऑफेनबर्ग बताते हैं कि पौधे की बीमारियों का इलाज इन फेरोमोन्स के कारण हो सकता है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि भविष्य में चींटियों और उनके एंटीबायोटिक्स को कृषि में इस्तेमाल करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। जोआचिम ऑफेनबर्ग कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि क्षेत्र में अधिक शोध से नए प्रकार के जैविक नियंत्रण एजेंटों का पता चलेगा जो कि कृषि में प्रतिरोधी पौधों की बीमारियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।